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विदेश से भारत आए कोरोना संक्रमितों में से आधे इस्लामी मुल्कों से लौटे, सबसे ज्यादा 105 दुबई से

नई दिल्ली। कोरोना वायरस का संक्रमण चीन के वुहान से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैला। भारत में पहला मामला 30 जनवरी को केरल में सामने आया। वुहान यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे एक छात्र के देश लौटने के बाद संक्रमण का यह पहला मामला दर्ज हुआ। इसके बाद से अब तक देश में 724 संक्रमित सामने आ चुके हैं। इनमें से 66 पीड़ित रिकवर कर चुके हैं। 17 मरीज इस संक्रमण से नहीं लड़ पाए और उनकी मृत्यु हो गई।

भारत में इस संक्रमण के आँकड़ों का विश्लेषण करने पर एक चौंकाने वाले बात सामने आती है। भारत में 300+ संक्रमण के मामले उन लोगों के हैं, जिनका प्रत्यक्ष रूप से विदेश यात्राओं का इतिहास रहा है। इन 300 मामलों में से भी 142 पॉजिटिव मामले उन लोगों के हैं, जो मध्य-पूर्व के इस्लामी मुल्कों से लौटे हैं।

दरअसल, covid19indiaOrg द्वारा इकट्ठा किए गए डाटा का दिल्ली के डॉ. अनुपम सिंह ने विश्लेषण किया है। उन्होंने पाया कि करीब 300 मामले ऐसे मरीजों के थे, जिनका ऐसे देशों में ट्रैवल करने का इतिहास सामने आया, जो संक्रमण की जकड़ में बुरी तरह फँसे हैं। नमें 142 मामले ऐसे थे जो मिडिल ईस्ट की यात्रा करके लौटे थे। यानी दुबई, कतर, सऊदी अरब, मक्का और ईरान। इनमें भी दुबई टॉप पर है। जहाँ से करीब 105 लोग संक्रमित होकर देश लौटे। लेकिन इनमें संक्रमण की पहचान भारत आने के बाद हुई।

Anupam Singh@anupampom

Coming to spreaders.
What is the average spread by people who do local transmission?
a median of 2 and mean of 2.7

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Anupam Singh@anupampom

Let’s look at these super-spreaders with n>3 transmission. Some people transmitted to 16+ patients.
You can look more deeply by going on @covid19indiaorg website from id(patientnumber indexed here)

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यहाँ बता दें इससे पहले कई लोगों ने इस बात का अनुमान लगाया था कि विदेश से लौटे संक्रमित लोगों में अधिकतर दुबई से हो सकते हैं, क्योंकि दुबई अन्य देशों के मुकाबले भारत वापस आने वाले कई लोगों के लिए पारगमन बिंदु है। मगर, उन दावों के बीच पॉजिटिव केसों की साफ तस्वीर साफ नहीं हुई थी। पर अब ये तस्वीर आँकड़ों के साथ साफ है।

डॉ. सिंह द्वारा किए गए विश्लेषण के परिणामों से ये भी मालूम चलता है कि भारत में इस आपदा के कारण मृत्यु दर वरिष्ठ नागरिकों में लगभग 2 प्रतिशत हैं। वही पुरुषों और महिलाओं में इसके होने का अनुपात, 60:40 का है।

Anupam Singh@anupampom

A thread on epidemiology/distribution of COVID-19 cases in India. I extracted data from API of @covid19indiaorg and ran some analysis on it

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डॉ. सिंह ने वापस लौटे संक्रमित मरीजों के डाटा में से ऐसे लोगों की भी शिनाख्त की है जिन्होंने भारत आकर कोरोना वायरस को अन्य 16 लोगों में फैलाया और घातक साबित हुए।

बता दें, डॉ. सिंह ने अपना अध्य्यन जिस आधार पर किया है, उसे covid19org ने सबसे लिए उपलब्ध कराया है। इसे आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

डॉ. सिंह द्वारा किए गए अध्य्यन से कुछ बातें और भी शीशे की तरह साफ होती हैं। सबसे पहले ये कि जो भारत सरकार ने पूरे देश को 21 दिन के लॉकडाउन करने का फैसला लिया है, वो फैसला बेहद महत्वपूर्ण है। इसे इस वायरस के संक्रमण को देश में फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। बावजूद इसके किसी को लॉकडाउन के पीछे का कॉन्सेप्ट समझने में दिक्कत हो तो वह डॉ. सिंह की रिसर्च में सामने आए परिणामों को देखकर समझ सकता है कि आखिर किस तरह ये वायरस फैलता है और 2 से 27 लोगों को इंफेक्ट करता है।

यहाँ ये भी बता दें कि मध्य-पूर्व से लौटे संक्रमित मरीजों के आँकड़े और उनसे संक्रमित हुए लोगों की संख्या देखकर ये भी स्पष्ट होता है कि लॉकडाउन के अलावा 14 अप्रैल तक अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को भारत में आने-जाने से रोकने का फैसला भी बेहद अहम है। इससे यक़ीनन कोरोना के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मदद मिलेगी।

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