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रेल बजट पेश करने के 24 घंटे के भीतर ले लिया गया था दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा

नई दिल्‍ली। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को एक और बड़ा झटका लगा है. टीएमसी के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि बंगाल में जिस प्रकार की हिंसा हो रही है, उससे मुझे घुटन महसूस हो रही है, जिसके लिए मैं राज्यसभा की सदस्यता छोड़ रहा हूं.

दिनेश त्रिवेदी टीएमसी के दिग्गज नेता माने जाते हैं और यूपीए-2 में रेल मंत्री रहे हैं. हालांकि, साल 2012 में बजट में यात्री किराए में अच्छी-खासी बढ़ोतरी किए जाने के चलते ममता बनर्जी उनसे इतनी नाराज हुईं कि रेल बजट पेश किए जाने के 24 घंटे के भीतर दिनेश त्रिवेदी से इस्तीफा लेकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बना दिया था, लेकिन वो भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं.

कांग्रेस से शुरू हुआ था सफर

देश के पूर्व रेलमंत्री रहे दिनेश त्रिवेदी ने अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया था और बाद में जनता दल होते हुए ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से जुड़ गए थे. उन्हें ममता के करीबी नेताओं में गिना जाता था. यही वजह रही कि यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान जब ममता बनर्जी 2011 में बंगाल की मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने अपनी जगह दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्रालय का जिम्मा सौंप दिया था.

दिनेश त्रिवेदी ने बतौर रेलमंत्री साल 2012 में रेल बजट पेश किया था. यात्री किराए में उन्होंने अच्छी-खासी बढ़ोतरी करने के साथ रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश का प्रस्ताव रखा था.

त्रिवेदी ने किराए में 2 से लेकर 30 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि की थी जबकि उनसे पहले लालू यादव और ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते हुए किराए नहीं बढ़ाए गए थे. रेलवे के लिए सख्त कदमों के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी दिनेश त्रिवेदी की तारीफ की थी, लेकिन ममता बनर्जी किराए में बढ़ोतरी को लेकर नाराज हो गई थीं.

…जब ममता ने दिनेश त्रिवेदी से इस्तीफा देने को कहा

ममता ने दिनेश त्रिवेदी से रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए कहा, जिस पर वो तैयार नहीं हुए और कहा कि हमारे इस्तीफे की वजह बताई जाए. इस पर ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा, दिनेश त्रिवेदी को रेलमंत्री के पद से हटाकर मुकुल रॉय को ये पद देना चाहिए. कल्याण बनर्जी ने दिनेश त्रिवेदी से इस्तीफ़ा देने को कहा. कल्याण बनर्जी ने उनसे कहा था कि वे सम्मानपूर्वक ढंग से पद से हट जाएं और बर्खास्त किए जाने का इंतजार न करें. हालांकि, बाद में उन्होंने रेल मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया था.

कई दलों के साथ किया काम 

दिनेश त्रिवेदी राजनीति में आने से पहले बहुत से कार्यक्षेत्रों में हाथ आजमा चुके हैं. हालांकि राजनीति के क्षेत्र में भी उन्हें बहुत सारे दलों का अनुभव है, क्योंकि उन्होंने पहले 80 के दशक में कांग्रेस का दामन थामा, तो फिर 90 के दशक में जनता दल से हाथ मिला लिया और आखिर में 90 के दशक के आखिर में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ काम करने लगे.

1974 में एमबीए कर चुके दिनेश त्रिवेदी ने शिकागो में एक कंपनी के लिए 2 साल तक काम किया.1984 में त्रिवेदी ने नौकरी छोड़कर खुद की एक एयर फ्रंट कंपनी की शुरुआत की. इतना ही नहीं, इन्होंने उपभोक्ताओं के लिए प्रोटेक्शन सेंटर की भी शुरुआत की थी. यहां तक कि देश में सूचना का अधिकार अधिनियम आंदोलन का मार्ग प्रशस्त करने वाली वोहरा रिपोर्ट बनाने में भी त्रिवेदी का पूर्ण सहयोग रह चुका है.

साल 1998 में जब ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की तो दिनेश त्रिवेदी टीएमसी में आ गए थे और पार्टी के पहले महासचिव बनाए गए. टीएमसी में आने से पहले वह 1990 से 96 तक जनता दल के टिकट पर गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे. इसके बाद टीएमसी ने पश्चिम बंगाल से उन्हें राज्यसभा भेजा और वह 2002 से 2008 तक सांसद बने रहे.

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में दिनेश त्रिवेदी बैरकपुर सीट से लड़े और जीते थे. 2009 में उन्हें केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया. अन्ना हजारे के समर्थन में उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था. इसके बाद ममता बनर्जी ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर एक बार बैरकपुर से टिकट दिया, जिसके चलते अर्जुन सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी. ममता ने दिनेश त्रिवेदी को साल 2020 में राज्यसभा भेजा था, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, अभी उन्होंने टीएमसी छोड़ने का ऐलान नहीं किया है.

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