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भगवद्गीता और PM मोदी की तस्वीर लेकर ‘आत्मनिर्भर मिशन’ पर स्पेस में जाएगा सैटेलाइट

भारत से निजी क्षेत्र का पहला सैटेलाइट (सतीश धवन सैट/ Satish Dhawan Satellite) अपने साथ श्रीमद्भगवद्गीता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और 25 हजार लोगों के नाम लेकर अंतरिक्ष में जाने को तैयार है। ये सैटेलाइट इस माह के अंत तक लॉन्च की जाएगी। इस नैनो सैटेलाइट को चेन्नई आधारित कंपनी स्पेसकिड्ज ने डेवलप किया है। ये कंपनी छात्रों के बीच स्पेस साइंस से जुड़ी चीजों को प्रमोट करने के लिए जानी जाती है।

स्पेसकिड्ज इंडिया के सीईओ और संस्थापक डॉ. श्रीमथी केसान (Dr Srimathy Kesan) ने बताया कि समूह में इसे लेकर बहुत उत्साह है। ये उनका स्पेस में भेजा जाने वाला पहला सैटेलाइट है। उनके अनुसार, “जब हमने इस मिशन को फाइनल किया, हमने लोगों से उनके नाम स्पेस में भेजने के लिए पूछे। मात्र एक हफ्ते में हमारे पास 25 हजार एंट्री आई। इनमें 1 हजार ऐसे नाम हैं जो भारत से बाहर के हैं।” जानकारी के मुताबिक, जिन लोगों के नाम स्पेस में भेजे जाएँगे, उन्हें एक बोर्डिंग पास भी मिलेगा।

डॉ. श्रीमथी केसान के अनुसार, स्पेस साइंस में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के मकसद से ऐसा किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मिशन में टॉप पैनल में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के साथ आत्मनिर्भर मिशन लिखा होगा। ये सैटेलाइट पूरी तरह भारत में निर्मित है। यहाँ तक की इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्किटरी भी भारत में ही तैयार हुए हैं। उन्होंने कहा कि जैसे अन्य मिशन में बाइबल भेजी जाती है, उसी आधार पर वह इस सैटेलाइट में भगवद्गीता भेज रहे हैं।

केसान ने कहा कि इसरो की सलाह के बाद कुछ डिजाइन परिवर्तन होने हैं। इसके बाद इसे श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट भेजा जाएगा। हम सैटेलाइट भेजने से पहले अंतिम मिनट की जाँच कर रहे हैं। हमें इसरो में परीक्षण  के बाद सोलर पैनल को फिर से देखना है, क्योंकि इसमें कुछ दिक्कत थी। लेकिन हमने यही सोचा था कि ये दो दिन में अंतरिक्ष में पूरी तरह जा सकती है।

बता दें कि स्पेसकिड्ज की इस सैटेलाइट का प्रक्षेपण इसरो अपने विश्वसनीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘पीएसएलवी सी-51’ से दो अन्य निजी उपग्रहों के साथ करेगा। कंपनी के मुख्य तकनीकी पदाधिकारी ने बताया कि 3.5 किलोग्राम वजनी इस नैनो उपग्रह में एक अतिरिक्त चिप लगाई जाएगी, जिसमें सभी लोगों के नाम होंगे। इस नैनोसेटेलाइट को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्‍थापक के नाम पर ही रखा गया है। इसका मकसद सिर्फ़ छात्रों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान को बढ़ावा देना है।

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