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किसान आंदोलन चलाना है… पैसा हो या शराब, हर तरह से किसानों की मदद करें: महिला कॉन्ग्रेस नेता, वीडियो हुआ वायरल

किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हैं। इस बीच कॉन्ग्रेस की महिला नेता के बयान ने पार्टी की किरकिरी करा दी है। हरियाणा में कॉन्ग्रेस की नेता विद्या रानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में विद्या रानी किसान आंदोलन में शराब दान करने की बात कह रही हैं।

वीडियो में कुछ लोगों के बीच मौजूद कॉन्ग्रेस नेता कहती हैं, “हम कई जगहों पर, जींद में पदयात्रा करेंगे। जिससे हमारी कॉन्ग्रेस पार्टी को नई जान मिलेगी। इससे हमारी पार्टी एक नए तरीके से जन्म लेगी। इस बार हम जो हारे हैं, तो हमारा अस्तित्व तो खत्म ही हो चुका था, लेकिन ये आंदोलन जो हमें मिला है ना, ये 26 तारीख को खत्म हो चुका था। लेकिन किसी ना किसी तरह, क्योंकि किसान के इरादे मजबूत हैं। ये दोबारा से खड़ा हुआ और इतनी मजबूती से खड़ा हुआ कि इसको हमें चलाना है। किसानों ने तो अपने तरफ से किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी।”

वो आगे कहती हैं, “हर जगह उन्होंने अपने खाने-पीने का जितना हो सका, अपना इंतजाम किया। मैं यही कहूँगी कि हर साथी की जितनी हिम्मत है, चाहे वो पैसे-रूपए से दान कर सकता है, सब्जियों से दान कर सकता है, घी का दान कर सकता है, जैसे शराब का भी कर सकते हैं। सारी तरफ से जिससे जो भी सहयोग बनता है, करें और इस आंदोलन को बढ़ाएँ। ये आंदोलन सिर्फ किसान का नहीं है बल्कि यह आंदोलन हम सबका है और इसका फर्क हम सब पर पड़ेगा।”

उनके इसी बयान पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता डॉक्टर हर्षवर्धन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने विद्या रानी का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “और कितना गिरेगी कॉन्ग्रेस? कॉन्ग्रेस नेता विद्या रानी किसान आंदोलनकारियों तक शराब पहुँचाने की बात कर रही हैं। महात्मा गाँधी को आदर्श मानने वाली कॉन्ग्रेस के लिए यह नैतिक पतन की पराकाष्ठा है। आंदोलन को कहाँ से ऑक्सीजन मिल रहा है, यह अब किसी से छिपा नहीं है।”

विद्या रानी जींद जिले के गाँव दनोदा की रहने वाली हैं। वह कॉन्ग्रेस की टिकट पर 2014 और 2019 में नरवाना से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। दोनों ही बार उनकी हार हुई थी। गौरतलब है कि वर्तमान में जब कथित किसान आंदोलन चुनिंदा नेताओं को छोड़ कर भारी जनसमर्थन नहीं पा रहा है तो इस प्रोटेस्ट को सांप्रदायिक व जातिगत रंग दिया जाने का प्रयास हो रहा है।

हाल ही में हरसिमरत बादल ने लोकसभा में इस पूरे आंदोलन को सिख बनाम हिंदू का मामला बता दिया था। ये भाषा बिलकुल वैसी ही थी जिस तरह से खालिस्तानी बोलते हैं। उससे पहले साल 2020 के दिसंबर माह में बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत पर ब्राह्मण विरोधी टिप्पणी करने के मामले में केस दर्ज हुआ था।

वहीं हरियाणा के बहादुरगढ़ के नामी जाट नेता हवा सिंह सांगवान ने पिछले हफ्ते ऐलान किया कि वह 21 अप्रैल को 250-300 लोगों के साथ सिख धर्म अपनाएँगे। उन्होंने कहा कि हिंदू कोई धर्म नहीं है, सबको सिख धर्म स्वीकार लेना चाहिए। बता दें कि ये वही नेता हैं जिन्होंने हरियाणा में जाट आरक्षण की आग को भड़काया था।

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