Friday , April 19 2024

‘भारत के खिलाफ अंतिम और निर्णायक युद्ध, फिर होगा इस्लाम का राज’: गूगल ने विरोध के बाद ‘गजवा-ए-हिंद’ एप को हटाया

गूगल का सहारा लेकर भी अब इस्लामी आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। शनिवार (जून 19, 2021) को गूगल के प्ले स्टोर पर कुछ लोगों ने ‘गजवा-ए-हिंद’ नाम का एप देखा, जिसके बाद इसका विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर ट्रेंड करा कर गूगल से अपील की गई कि वो इस एप को अपने प्लेटफॉर्म से हटाए। ‘गजवा-ए-हिंद’ का अर्थ हुआ पूरे भारत पर इस्लाम का कब्ज़ा। इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकी अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं।

इसके तहत वो पूरे भारत को इस्लाम के अधीन कर के यहाँ खलीफा का राज़ स्थापित करने का स्वप्न देखते हैं। इन शब्दों को इस्लामी साहित्य हदीथ के आधार पर बनाया हुआ बताया जाता है। तमिलनाडु के राजनीतिक दल ‘इंदु मक्कल काची’ ने ट्विटर पर इस एप के बारे में शेयर करते हुए लिखा था कि गूगल अब भारत के खिलाफ जिहाद को बढ़ावा देने में भी लग गया है। ‘अग्निवीर’ के संस्थापक संजीव नेवार ने इस मामले में NIA और केंद्रीय गृह मंत्रालय को टैग किया।

उन्होंने कहा कि इसे एक शैक्षिक एप के रूप में प्ले स्टोर पर डाला गया है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि न सिर्फ इस एप को हटाया जाए, बल्कि इसके पीछे कौन लोग हैं इसका भी पता लगाया जाए। अन्य प्लेटफॉर्म पर भी ये एप डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, जिसके विवरण में लिखा है कि ‘गजवा-ए-हिंद’ के बारे में कुछ अच्छे हदीथ में बताया गया है, खासकर सुनन अन नसाई की किताब में इसका विवरण है।


अदील खान की कंपनी लाहौर में स्थित है

साथ ही इसका अर्थ समझाते हुए लिखा है कि ये भारत के खिलाफ अंतिम और निर्णायक युद्ध होगा, जिसके तहत पूरे भारतीय उप-महाद्वीप पर इस्लाम का राज होगा। साथ ही ‘अल्लाह के संदेशवाहक के दास थॉबान’ के हवाले से लिखा है कि उम्माह के दो समूह हैं, जिन्हें अल्लाह आग से स्वतंत्र करेंगे। लिखा है कि इसमें से एक समूह भारत पर आक्रमण करेगा और एक ‘इसा-बिन मरयम’ के साथ में रहेगा। 2016 में इसे लेकर एक इस्लामी कट्टरपंथी साहित्य लिखा गया था।

बता दें कि तभी इस एप को भी बनाया गया था और इसे Tareensoft नाम की एक पाकिस्तानी कंपनी ने तैयार किया था। मुहम्मद अदील खान इस कंपनी का मालिक है। अदील के फ्रीलांस प्रोफ़ाइल से देखा जा सकता है कि ये कंपनी लाहौर में स्थित है। इस्लाम से लेकर तब्लीगी जमात तक, इस कंपनी के कई साहित्य ऑनलाइन उपलब्ध हैं। गूगल प्ले स्टोर की पॉलिसी कहती है कि हिंसा को बढ़ावा देने वाले कंटेंट को वो हटा देगा। इस एप को भी अब हटा दिया गया है।

हाल ही में गूगल कन्नड़ को सबसे घटिया भाषा बताने वाले परिणाम दिखा कर विवादों में आया था। बाद गूगल ने कन्नड़ भाषा में लिखे अपने माफीनामे में कहा कि सर्च का रिजल्ट कंपनी की सोच को नहीं दिखाता है। कंपनी ने कहा था कि वो अपने एल्गोरिदम को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। इसी के साथ गूगल ने कन्नड़ को सबसे गंदी भाषा बताने वाले सर्च रिजल्ट्स को हटा लिया था।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch