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जब मेनका की वजह से चकनाचूर हो गया था जगजीवन राम का PM बनने का सपना, बेटे के न्यूड फोटो ने मचा दी थी सनसनी

जब मेनका की वजह से चकनाचूर हो गया था जगजीवन राम का PM बनने का सपना, बेटे के न्यूड फोटो ने मचा दी थी सनसनीबात 1978 की है। देश में पहली गठबंधन और गैर कांग्रेसी सरकार चल रही थी। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे, जबकि उनके और इंदिरा गांधी के प्रतिद्वंद्वी रहे बड़े दलित नेता जगजीवन राम, जिन्हें ‘बाबूजी’ कहा जाता था, देश के उप प्रधानमंत्री थे। 1977 के चुनावों के बाद बन रही जनता पार्टी की सरकार में वैसे तो जगजीवन राम को प्रधानमंत्री बनाया जाना था लेकिन जयप्रकाश नारायण की नजदीकियों की वजह से मोरारजी के नाम पर अंतिम मुहर लगी थी।

इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले से जगजीवन राम बहुत नाराज थे। इसकी वजह से उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। जगजीवन राम की पहचान भारतीय राजनीति में तब न सिर्फ एक बड़े दलित नेता के रूप में बल्कि एक सक्षम प्रशासक और अनुभवी राजनीतिज्ञ के रूप में थी।

बेटे की न्यूड तस्वीर, करियर तबाह:
जगजीवन राम 1977 के चुनावों में प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन 1978 में दिल्ली से प्रकाशित होने वाली एक मैग्जीन में उनके 46 वर्षीय बेटे सुरेश राम की एक महिला के साथ न्यूड तस्वीर छपी थी। इस घटना ने भारी राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया था क्योंकि देश के उप प्रधानमंत्री का बेटा संभवत: देश के पहले सियासी सेक्स स्कैंडल में शामिल पाया गया था। उस तस्वीर में राम के बेटे के साथ एक कॉलेज छात्रा आपत्तिजनक स्थिति में दिखाई गई थी। हालांकि, बाद में सुरेश राम ने उस युवती से शादी कर ली थी लेकिन तब तक जगजीवन राम को इसका बड़ा राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ा था।

इंदिरा की बहू मेनका गांधी थीं संपादक:
जिस पत्रिका में यह तस्वीर छपी थी, उसका नाम सूर्या था। उस पत्रिका की संपादक उस वक्त मेनका गांधी थीं, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहू थीं। उस स्कैंडल की तस्वीरें तब पोलेरॉइड कैमरे से लिया गया था। कई लोगों का मानना ​​है कि जगजीवन राम के करियर के नाजुक मोड़ पर सामने आया यह स्कैंडल उनके राजनीतिक करियर को बर्बाद करने की एक कथित साजिश थी। कुछ ने तो यह भी अनुमान लगाया था कि उनकी ही अपनी पार्टी के कुछ राजनेताओं का इस सेक्स स्कैंडल में हाथ था। ताकि जगजीवन राम का सियासी करियर खत्म किया जा सके।

यूं अधूरी रह गई पीएम बनने की ख्वाहिश:
1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। उसके बाद फिर जगजीवन राम और चौधरी चरण सिंह के बीच प्रधानमंत्री पद की लिए सियासी लड़ाई शुरू हुई लेकिन इंदिरा गांधी ने चौधरी चरण सिंह का साथ दिया और वह प्रधानमंत्री बने। चौधरी चरण सिंह की सरकार गिरने पर जनता पार्टी ने 1980 के चुनावों में जगजीवन राम को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया लेकिन उस चुनाव में इंदिरा ने जबर्दस्त तरीके से वापसी की और जगजीवन राम का प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया।

बाबू जगजीवन राम एक राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक न्याय के हिमायती थे। उनका जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार के रोहतास जिले चंदवा गांव में सोभी राम और वसंती देवी के घर हुआ था। बाबू जगजीवन राम के नाम 1936 से 1986 तक लगातार 50 वर्षों तक सांसद रहने का विश्व रिकॉर्ड है।

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