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मोहन भागवत ने एक लाइन से मोदी और कांग्रेस दोनों को दे दी नसीहत

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नई दिल्ली में हुए तीन दिवसीय वैचारिक कार्यक्रम के आखिरी दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विभिन्न सवालों के जवाब दिए. दो दिनों के उनके संबोधन के बाद उनसे 25 विषयों से संबंधित 215 सवाल पूछे गए थे.

इसी दौरान मोहन भागवत ने राजनीति में श्मशान और कब्रिस्तान और भगवा आतंकवाद जैसे मामलों के होने पर भी जवाब दिया. इस सवाल के जवाब से उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को नसीहत भी दी.

भागवत से सवाल पूछा गया था कि राजनीति में श्मशान, कब्रिस्तान, भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों को कैसे देखते हैं? इस सवाल के जवाब में भागवत ने कहा कि राजनीति लोककल्याण के लिए चलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि लोककल्याण का माध्यम सत्ता होता है. अगर राजनीतिक वर्ग के लोग ऐसे चलने लगें तो फिर श्मशान, कब्रिस्तान, भगवा आतंकवाद जैसी बातें होंगी ही नहीं.

उन्होंने कहा कि ये सारी बातें तब होती हैं, जब राजनीति केवल सत्ता के लिए चलती है. जो लोग राजनीति में हैं उनका उस तरह का प्रशिक्षण होने की जरूरत है.

संघ प्रमुख ने कहा कि अगर राजनीति गांधी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अनुसार लोककल्याण वाली होगी तो श्मशान वाली सियासत खत्म हो जाएगी.

आपको बता दें कि श्मशान-कब्रिस्तान वाला मामला भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की ओर से उठाया जाता रहा है तो भगवा आतंकवाद के मामले को कांग्रेस उठाती रही है. मोहन भागवत ने यह कहकर कि लोककल्याण की राजनीति में इस तरह के मुद्दों की जगह नहीं  है, कांग्रेस और भाजपा को एक साथ जवाब दिया है.

इसके साथ ही संघ प्रमुख ने राजनीति में शामिल न होने और केवल भाजपा को ही संगठन मंत्री देने और भाजपा के अलावा दूसरे दलों को समर्थन देने के सवाल का भी जवाब दिया.

इस सवाल पर मोहन भागवत ने कहा , ‘हमसे जो संगठन मंत्री मांगता है, उसी को दिया जाता है. अभी तक किसी दूसरे दल ने संगठन मंत्री नहीं मांगे हैं. अगर हमसे मांगे जाएंगे तो हम इस पर भी विचार करेंगे, अगर वे दल अच्छा काम कर रहे होंगे तो जरूर देंगे.

इसके साथ ही संघ प्रमुख ने कहा कि 93 साल में संघ ने किसी दल का समर्थन नहीं किया है, संघ केवल नीतियों का समर्थन करता है. संघ की नीति का समर्थन करने वाले संघ की शक्ति का फायदा उठा जाते हैं. उन्होंने कहा कि जब संघ के स्वयंसेवक आपातकाल के खिलाफ लड़े तो बाबू जगजीवन राम और मार्क्‍सवादी गोपालन जैसे लोगों का भी समर्थन किया. इसके बाद राममंदिर के पक्ष में होने के कारण भाजपा को फायदा मिला.

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