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राजस्थान कैबिनेट ने पलटा वसुंधरा का फैसला, पंचायत चुनाव में अब पढ़ा-ल‍िखा होना जरूरी नहीं

जयपुर। राजस्थान सरकार की पहली कैबिनेट की शनिवार को हुई बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण रही. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित हुई इस बैठक में ना केवल जन घोषणा पत्र को सरकारी दस्तावेज बनाने का निर्णय लिया गया, बल्कि पंचायती राज चुनाव में शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान समाप्त करने सहित कई अहम निर्णय लिए गए है.

बैठक में संविदा कर्मियों की समस्याओं को दूर करने के लिए कमेटी का गठन के अलावा वृद्धावस्था पेंशन योजना में राशि बढ़ाने के बाबत भी चर्चा हुई है. इसके अलावा कैबिनेट की बैठक में  पंडित दीनदयाल की तस्वीर को लेटर पैड से हटाने और उसकी जगह अशोक स्तंभको ही केंद्र में रखने का भी फैसला किया गया.

सूचना व जनसंपर्क मंत्री रघु शर्मा ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘कांग्रेस सरकार ने पंचायती राज व स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता की अर्हता समाप्त करने का फैसला किया है.’’ उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2015 में स्थानीय निकाय चुनावों में उम्मीदवारों के न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता संबंधी प्रावधान लागू किये गये थे.

शर्मा ने कहा कि कांग्रेस का जन घोषणा पत्र, राजस्थान की मौजूदा सरकार का नीतिगत दस्तावेज होगा और इसे समयबद्ध तरीके से तत्परता से कार्यान्वित किया जाएगा. इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मंत्रिमंडल की समिति गठित करने का निर्णय किया गया है जिसके लिए मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री गहलोत को अधिकृत किया है. इसके साथ ही पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पिछले छह महीनों में लिये गए फैसलों की समीक्षा भी की जाएगी.

उन्होंने कहा कि किसानों के अल्पकालीन फसली कर्ज की माफी के सवाल पर मंत्रिमंडल ने अंतर्विभागीय समिति गठित करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री गहलोत यह समिति गठित करेंगे. शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक व भूमि विकास बैंक से कर्जमाफी की पात्रता व मापदंड क्या होंगे, इसको लेकर भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की गयी हैं लेकिन जल्द ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विधि विश्वविद्यालय व हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय फिर शुरू किया जाएगा. गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में इन दोनों संस्थानों की शुरुआत की थी जिसे वसुंधरा राजे सरकार ने बंद कर दिया. इसे तत्काल शुरू करने का फैसला किया गया है.

वृद्धावस्था पेंशन के बारे में शर्मा ने कहा कि सरकार ने दो स्लैब में मिल रही 500 रुपये व 750 रुपये की पेंशन को बढ़ाकर क्रमश: 750 रुपये व 1000 रुपये प्रति माह करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि एनआरएचएम, पैरा टीचर, उर्दू पैराटीचर, लोक जुंबिक कर्मी, आंगनबाड़ी कर्मी, विद्यार्थी मित्र व पंचायत सहायक जैसे संविदाकर्मियों की समस्या पर विचार करने के लिए समिति गठित की जाएगी. यह समिति इन सभी कर्मियों की बातों को सुनकर उनकी समस्याओं के समाधान फैसला करेगी.

शर्मा ने कहा कि 2011 व 2012 राजस्थान लोकसेवाओं के प्रदान की गारंटी का अधिनियम 2011 व राजस्थान सुनवाई अधिकार अधिनियम 2012 का साथ साथ इस्तेमाल करके शासन पारदर्शिता, जवाबदेही, संवेदनशीलता और आम जन की सुनवाई को सुनिश्चित करने का हमारी सरकार काम करेगी.

बाड़मेर में प्रस्तावित बहुप्रतीक्षित रिफाइनरी परियोजना पर शर्मा ने कहा कि यह रिफाइनरी राजस्थान का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसकी शुरुआत कांग्रेस सरकार ने की थी. उन्होंने कहा-गत पांच साल में इसको लेकर निर्वतमान सरकार ने ढुलमुल रवैया अपनाया उससे यह राज्य के इस महत्वपूर्ण परियोजना पर तेज गति से काम नहीं हो पाया. हमारी सरकार ने फैसला किया है कि ये हमारी सरकार की प्राथमिकता होगी और रिफाइनरी के काम को बहुत तेजी के साथ एक निश्चित समयावधि में पूरा करेंगे.

उन्होंने कहा सरकार के सभी मंत्री जिस दिन राजधानी में रहेंगे उस दिन सुबह एक घंटे जन सुनवाई करेंगे. उन्होंने कहा,‘‘सारा मंत्रिमंडल सुबह नौ बजे से दस बजे के बीच आम जनता की सुनवाई करेगा. मंत्री अपने घर पर आम जनता से संवाद स्थापित करेंगे उनकी बात सुनेंगे व समस्याओं के समाधान का काम करेंगे.’’

सरकारी पत्रों (लैटरहैड) पर से पंडित दीनदयाल का फोटो हटाने का फैसला भी मंत्रिमंडल की पहली बैठक में किया गया. शर्मा ने कहा,‘‘सरकारी लैटरहैड में अशोक स्तंभ ही प्रमुख होगा, किसी नेता का उसमें कोई उल्लेख नहीं होगा.’’ उन्होंने कहा कि निर्वतमान वसुंधरा राजे सरकार ने सरकारी लैटरहैड पर अशोक स्तंभ को किनारे कर पंडित दीनदयाल की फोटो बीच में लगाने का फैसला किया था जिसके समाप्त कर दिया गया है.

सरकार ने नरेगा के प्रभावी कार्यान्यवन की कार्ययोजना बनाने का निर्देश मुख्य सचिव को दिए हैं. इसी तरह स्थानीय निकायों में मेयर, सभापति व अध्यक्ष का निर्वाचन फिर प्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति से आम मतदाता वोट डालकर कर सकेगा. सरकार ने इस बारे में भी पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के फैसले को बदल दिया है. एक सवाल के जवाब में शर्मा ने कहा,‘‘गत सरकार के आखिरी छह महीने में किए गए फैसलों की समीक्षा की जाएगी.’’

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