Friday , April 26 2024

कही-अनकही सचकही

पत्रकारिता छोड़ ब्याह कराने वाले बिचौलिए की भूमिका में आ गए हैं रवीश बाबू…

प्रीति कमल रवीश कुमार पत्रकारिता का एक जाना-माना नाम है। मैग्सेसे भी जीत चुके हैं। लेकिन अब वे इस प्रोफ़ेशन को छोड़ने का मन बना चुके हैं। कैसे, क्यों और काहे? क्योंकि रवीश कुमार ने जयपुर में आयोजित टॉक जर्नलिज़्म कार्यक्रम में कुछ ऐसी बातें कहीं, जो एक पत्रकार नहीं ...

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बुद्ध-महावीर के स्थल से उस लड़की के गिड़गिड़ाने की आवाज़… आपके कानों तक पहुँची क्या?

अनुपम कुमार सिंह “भैया, मुझे अपनी छोटी बहन समझ कर माफ़ कर दीजिए। छोड़ दीजिए।” “बहुत बदनामी हो जाएगी। छोड़ दीजिए भैया।” इंसानी खाल में छिपे भेड़ियों से घिरी एक बच्ची बस इतना ही बोलती रही। उस पर टूटने वाले दरिंदे मंगल ग्रह से नहीं आए थे। वे भी उसी ...

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आतंक का एक मजहब है: कट्टरपंथी इस्लाम… एक ने स्वीकारा, आप भी स्वीकारिए

अजीत भारती ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के दौरान बहुत सी चीजें कही गईं, दिखीं और दिखाई गईं। मोदी के लिए एक भीड़ आई थी, जिसे कुछ कुख्यात पत्रकार रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की भीड़ सदृश बताते हुए लेख लिखते पाए गए। फर्क बस यही है कि ऐसे पत्रकार अब इतना नीचे ...

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कॉन्ग्रेस सरकारों की कर्जमाफी: किसानों को नहीं मिली राहत, यूपी पर गला फाड़ने वाला मीडिया भी चुप

अनुपम कुमार सिंह पिछले वर्ष के अंत में हुए विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी का वादा कर सरकार गठन में सफलता प्राप्त की। अपने तरकश के सारे तीर फेल हो जाने के बाद कॉन्ग्रेस ने कर्जमाफी का दाँव खेला था, क्योंकि पंजाब में ...

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मलाला राजनैतिक हलाला की प्रक्रिया से गुजर रही हैं

पाकिस्तान के टूटते मन्दिर और मलाला प्रलाप सर्वेश तिवारी श्रीमुख नोबेल धारिणी सुश्री मलाला ने कश्मीर पर एक चर्चित बयान दिया है। नोबेल उत्कोच मिलने के बाद व्यक्ति का हर बयान बड़ा हो जाता है। वह कुछ भी कह दे तो लोगों को सुनना पड़ता है। हालांकि सुश्री मलाला की ...

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‘न्यायपालिका बिकी हुई है’: वामपंथी गिरोह का अगला नैरेटिव क्योंकि इनके बाप-दादा फँस रहे हैं

अजित भारती  “तुम सोचते हो कि हमारी लड़ाई साल भर की है, दस साल की है या फिर बीस, पचास या सौ साल की है, जबकि हमारी लड़ाई तब तक की है, जब तक हमारी जीत नहीं हो जाती।” ये ध्येय वाक्य एक आतंकी विचारधारा का भी है, इज़रायल वालों ...

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आर्थिक मंदी और जीडीपी का बुखार कश्मीर से 370 हटते ही क्यों शुरू हुआ

दयानंद पांडेय ऐसा क्यों है कि आर्थिक मंदी और जी डी पी का बुखार कश्मीर से 370 हटते ही शुरू हुआ। और कि पी चिदंबरम के सी बी आई कस्टडी में जाते ही टाईफाईड में कनवर्ट हो गया यह बुखार। न , न मैं यह बिलकुल नहीं कह रहा कि ...

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अगर आपने तबरेज का नाम सुना है और रंजीत का नहीं तो जान लीजिए ‘उनका’ एजेंडा कामयाब रहा

अनुपम कुमार सिंह मॉब लिंचिंग भी आजकल 2 तरह की हो गई है- ‘अच्छी’ लिंचिंग और ‘बुरी’ लिंचिंग। ‘अच्छी’ लिंचिंग वह है, जिसमें आरोपित हिन्दू हों और मृत व्यक्ति मुस्लिम। ‘बुरी’ लिंचिंग वह है, जिसमें इसका उल्टा हो। ‘अच्छी’ मॉब लिंचिंग पर हंगामा खड़ा किया जाता है, सरकार पर सवाल ...

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मीडिया को सत्ता का गुंडा बताने वाले रवीश के 4P- प्रपंच, पाखंड, प्रोपेगेंडा, प्रलाप

“काहे री नलिनी तू कुम्हिलानी, तेरी नाल सरोवर पानी। जल में उतपति जल में बास, जल में नलिनी तोर निवास।” कबीर के इस दोहे का अर्थ है- “नलिनी तुम क्यों नाहक कुम्हलाई जाती हो, तुम्हारी नाल सरोवर के पानी में है, तुम्हारी उत्पत्ति और निवास ही जल में है, फिर ...

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8 घटनाएँ मंदिरों की अमानत में खयानत की: क्या किसी सरकार ने इसकी सुध ली?

मृणाल प्रेम तिरुपति मंदिर में भगवान बालाजी के मुकुट और आभूषण चोरी होने और मामला दो साल तक दबे रहने पर आउटरेज केवल वही कर सकता है, जिसे सेक्युलर-समाजवादी भारतीय गणराज्य की गुलामी और भेदभाव की ज़ंजीरों में जकड़े हिन्दू धर्म/हिंदुत्व की बेड़ियों का पता न हो। जानने वालों के हिसाब से ...

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बात श्री-श्री 1008 श्री रवीश कुमार और उनके अखंड (आपको पता ही है) भक्तों की

कहते हैं कि कलि काल में एक महान व्यक्ति का अभ्युदय हुआ जो हर मामले का जानकार हुआ करता था। वो जो कह देता था, वही परम सत्य हुआ करता था। वो टीवी नामक यंत्र से रात के नौ बजे प्रवचन किया करता था। उसके भक्तों की संख्या बढ़ती गई ...

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थूक कर कितनी बार चाटेंगे राहुल गॉंधी, अब तो पाकिस्तानी भी कहने लगे कंफ्यूज्ड

अजीत झा बचपन में पढ़ा था थूक कर चाटना। यानी अपनी ही बातों से मुकर जाना। बीते कुछ सालों से जिस एक व्यक्ति को बार-बार इस मुहावरे पर खरे उतरता देख रहा हूँ, वो कोई और नहीं देश के इकलौते चिर युवा 49 वर्षीय राहुल गॉंधी हैं। अब तो हालत ...

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2०13 तक डबल डिजिट की शहरी और ग्रामीण आय अब रह गयी पांच फीसद

राजेश श्रीवास्तव भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ बढ़ रही है। 2०16-17 में जीडीपी विकास दर 8.2% थी, 2०18-19 में वो 5.8% पर पहुंच गई है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की रिसर्च के मुताबिक 2०19-2० की पहली तिमाही में यह और नीचे जाकर 5.6% पर पहुंचने की आशंका है। ...

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कृषि प्रधान देश के 76 फीसद किसान तलाश रहे खेती के विकल्प

राजेश श्रीवास्तव लखनऊ । कभी भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता था । लेकिन आज वह स्थिति आ गयी है जब हमारा अन्नदाता ख्ोती को छोड़कर उसका विकल्प तलाशने लगा है। यह स्थिति सिर्फ यह सोचने को विवश नहीं करती कि किसान ख्ोती छोड़ रहा है। बल्कि यह सोचने ...

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वामपंथ एक कैंसर है, इसको इग्नोर करने से काम नहीं चलेगा, इनकी जड़ पर एसिड डालना ज़रूरी

अजीत भारती वामपंथ के नाम पर आपको खूब इमोशनल अदरक-लहसुन सुँघाया जाएगा। वो कहेंगे कि ‘कामनिष्ठ मैनिफेस्टो’ पढ़ो। आप पूछिए कि क्यों पढ़ें? वो कहें कि मार्क्स के विचार पढ़ो, आप पूछिए कि क्यों पढ़ें? वो कहेंगे कि वामपंथ की विचारधारा उदारवादी है, आप कहिए कि नक्सलियों के हिमयाती और ...

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