जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को निष्क्रिय किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान पिछले दो महीने से कश्मीर में मुस्लिमों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का रोना रो रहा है। इसके लिए वो ग़लत बयानबाज़ी का कुचक्र तक रच रहा है। इस पर दक्षिण और मध्य एशिया के अमेरिकी कार्यवाहक सहायक सचिव ऐलिस वेल्स ने फ़टकार लगाते हुए कहा कि वो कश्मीर से ध्यान हटाकर चीन में मुस्लिमों पर इलाज के नाम पर हो रहे अत्याचार की चिंता करे। वहाँ उन्हें नज़रबंदी शिविरों में रखा जा रहा है। पाकिस्तान इस विषय पर कोई चिंता ज़ाहिर नहीं करता।
वेल्स ने कहा,
“ट्रम्प प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन द्वारा मुस्लिमों के नज़रबंदी शिविरों के भयानक हालात के मामलों को उठाया है। मुस्लिमों के लिए ऐसे हालात पूरे चीन में हैं। हम आगे भी इस मसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना जारी रखेंगे।”
उन्होंने अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के मद्देनज़र परमाणु-हथियारबंद दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच बढ़े तनाव के मुद्दे को संबोधित करते हुए दोनों देशों से बयानबाज़ी को कम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर इमरान ख़ान की टिप्पणियाँ गैरजरूरी थीं।
चीन द्वारा 1 मिलियन से अधिक उइघुर मुस्लिमों की नज़रबंदी पर पाकिस्तान की चुप्पी पर निशाना साधते हुए वेल्स ने कहा, “मैं पश्चिमी चीन में हिरासत में लिए जा रहे मुसलमानों के विषय पर पाकिस्तान की ओर से वही प्रतिक्रिया देखना चाहूँगा। मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा सिर्फ़ कश्मीर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्यापक रूप से दुनिया भर में लागू है।”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त राष्ट्र महासभा के साथ-साथ अन्य कई मंचों से भी कश्मीर मुद्दा उठा चुके हैं। लेकिन उन्हें किसी भी कोशिश में सफलता नहीं मिली। हाल ही में यूएन महासभा में इमरान ने ख़ुद मान लिया कि वे कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में असफल रहे। इमरान ने कहा था कि वे मामले की गंभीरता न समझ पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से खफ़ा हैं।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अब तक सिर्फ़ चीन ने ही पाक का समर्थन किया है। यूएन में बंद कमरे में कश्मीर समस्या पर बहस कराने के लिए चीन ने ही पाक का साथ दिया था। हालाँकि, उसकी कोशिशें असफल रहीं। 57 देशों के इस्लामिक कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन (आईओसी) ने भी पाक का साथ नहीं दिया।
चीन में क़ैद मुसलमानों के विषय पर इमरान ख़ान पहले भी पर चुप्पी साध चुके हैं। अलजजीरा के एक साक्षात्कार के दौरान पत्रकार मोहम्मद जमजूम ने जब उसने सवाल किया, “पाकिस्तान चीन के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है, क्या आपने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कभी उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के मुद्दे पर चर्चा की है?”
When asked about China's treatment of Uyghur Muslims, primer minister of Pakistan says, "frankly, we've been facing so many of our internal problems that I don't know much about this problem." pic.twitter.com/wLkfYZkq1Z
— Naila Inayat (@nailainayat) September 14, 2019
इस पर इमरान ने जवाब दिया था कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता इसलिए उन्होंने कोई बात नहीं की। आंतरिक समस्याओं से जूझने का हवाला देकर उन्होंने कहा था कि फ़िलहाल वो देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगे हुए हैं, इसलिए चीन में नज़रबंद मुसलमानों के मुद्दे पर उन्हें वास्तव में कोई जानकारी नहीं है। इस साक्षात्कार में इमरान ख़ान ने इस बात को भी स्वीकारा था कि अगर भारत के साथ परंपरागत युद्ध हुआ तो उनके देश को मुँह की खानी पड़ेगी।