नई दिल्ली। Delhi Assembly Election 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव के माहौल के बीच इंडिया गेट पर इन दिनों अलसाई धूप में चुनावी चर्चा गर्म हो रही है। यहां कोई आप के उम्मीदवारों पर जीत का दावा ठोक रहा है तो कोई भाजपा व कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनावी रण में उतरे दिग्गजों पर भरोसा जता रहा है। हालांकि, इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की सियासी बिसात पर हार व जीत के दंगल में सत्ता का ताज किसके सिर सजेगा। इस बार मूंगफली छीलने की चटक आवाज के साथ सियासी गलियारे को लेकर भी आवाजें सुनने को मिल रही हैं।
पेशे से शिक्षक कृष्णा कहते हैं कि इस बार केजरीवाल सरकार में लोगों को बिजली व पानी के बिलों से राहत मिली है। वहीं, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी विकास हुआ है। वहीं, उनकी बात को बीच में रोकते हुए पंकज कहते हैं कि सिर्फ मुफ्त पानी देने से ही कुछ नहीं होता है जनाब, यहां मुद्दा तो लोगों तो साफ पानी मिलने का है। आज भी राजधानी के कई इलाकों में लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है। वहीं, पानी के सैंपल भी मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। ऐसे में मुफ्त पानी भी भला किस काम का। इस बीच कांग्रेस की ओर से दावा ठोकते हुए शिवकुमार कहते हैं कि दिल्ली में भाजपा व आप पार्टी सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली में विकास की बयार सिर्फ कांग्रेस के समय देखने को मिली थी। ऐसे में कांग्रेस बिजली व पानी मुफ्त देने के साथ इसे बचाने पर भी जोर दे रही है।
बिजली पानी बचाने वालों को कैशबैक भी मिलेगा। लोकेंद्र कहते हैं कि दोनों पार्टियों के पास केजरीवाल के चेहरे के सामने मुख्यमंत्री पद के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है क्योंकि लोकप्रिय होने का भी उम्मीदवार को लाभ मिलना स्वाभाविक है। वहीं, विपक्षी पार्टियों ने अब तक मुख्यमंत्री पद के लिए घोषणा तक नहीं की है। पंकज कहते हैं कि बेशक मुख्यमंत्री पद की घोषण नहीं की गई, लेकिन भाजपा की ओर से राष्ट्रीयता का मुद्दा भी लोगों पर प्रभाव डालेगा। ऐसे में लोकेंद्र कहते हैं कि यह चुनाव सिर्फ दिल्ली के मुद्दों पर ही टिका हुआ है। इसमें बिजली, पानी, सड़क, सीवर व महिला सुरक्षा के मुद्दे अहम हैं। इस बीच शिवकुमार कहते हैं कि कांग्रेस सरकार ने पिछले 15 सालों में दिल्ली के ढांचागत विकास को रफ्तार दी थी। ऐसे में दिल्ली की हरियाली भरी तस्वीर भी कांग्रेस की वजह से ही है।
पंकज कहते हैं कि भाजपा की ओर से बड़े चेहरे दिल्ली की गली मोहल्लों में उतरकर प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं। इससे भाजपा को इस चुनाव में मजबूती मिल सकती है। पंकज कहते हैं कि शाहीन बाग का मुद्दा भी इस चुनाव पर प्रभाव डालेगा क्योंकि तीनों पार्टियों का इस मुद्दे पर अलग रवैया है। ऐसे में जो भी हो आठ तारीख को दिल्ली की जनता उम्मीदवारों की परीक्षा लेने को तैयार है। ऐसे में देखते हैं कि 11 तारीख को किस पार्टी के चेहरे पर मुस्कान की लंबी लकीर खींचती है और कितने चेहरों पर हार की मायूसी दिखती है।