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सुप्रीम कोर्ट ने सेना की जिन बहादुर महिलाओं का जिक्र किया, जानें उनके जज्बे की कहानी

नई दिल्ली। हिंद की सेना में आज महिला शक्ति की बड़ी जीत हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा है कि भारतीय सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन मिले, महिलाओं को कमांड पोस्टिंग का अधिकार मिले. कोर्ट ने कहा कि सेना में महिलाओं को लेकर सोच बदलने की जरूरत है. सेना में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिले. सरकार महिलाओं को कॉम्बैट रोल देने का फैसला और सेना करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थाई कमीशन पर 3 महीने में फैसला लागू हो.

सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन के HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. इस दौरान कोर्ट ने महिला सैनिकों की बहादुरी और जज्बे के किससे भी सुनाए. आइए जानते हैं इन बहादुर महिला सैनिकों की क्या है कहानी :

मेजर मिताली मधुमिता : सेना मेडल पाने वाली पहली महिला
मेजर मिताली मधुमिता ने 26 फरवरी 2010 को काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए आतंकी हमले के दौरान कई लोगों की जान बचाई थी. हमले की सूचना मिलते ही वे बिना देर किए घटनास्थल की ओर रवाना हो गईं. जब उन्हें अफगान के सुरक्षा बलों ने घटनास्थल पर जाने से रोका तो उन्होंने अपनी गाड़ी छोड़ दी और पैदल ही चल दीं. घटनास्थल पर पहुंचकर उन्होंने घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया और उनके साथ लगातार डटी रहीं. इतना ही नहीं, उन्होंने सभी घायलों को भारत वापस भेजने तक लगातार उनके साथ खड़ी रहीं. इस जज्बे और बहादुरी के लिए उन्हें 2011 में सेना मेडल से नवाजा गया. यह सम्मान पाने वालीं मिताली पहली महिला आर्मी अफसर भी हैं.

स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल : पहली महिला अफसर, जिसने जीता युद्ध सेवा मेडल
इंडियन एयरफोर्स में फायटर कंट्रोलर मिंटी अग्रवाल ही वो अफसर हैं, जिनके कारण पाक लड़ाकू विमान भारतीय सीमा में घुसते ही भागने पर मजबूर हो गए. यह घटना पिछले साल हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद की है. मिंटी ही वो अफसर हैं, जो पाक के एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराने वाले अभिनंदन को गाइड कर रही थीं. मिंटी के पास अभिनंदन को दुश्मन विमानों का सटीक लोकेशन बताना और अपने विमानों को दुश्मनों से बचाने की जिम्मेदारी थी. सही लोकेशन मिलते ही मिंटी ने अभिनंदन से कहा- टारगेट लॉक… हिट…. अभिनंदन ने संदेश मिलते ही मिसाइल दाग दी. इस बहादुरी के लिए मिंटी को अगस्त 2019 में युद्ध सेवा मेडल से भी नवाजा गया था.

दिव्या अजीत कुमार :  पहली महिला अफसर, जिन्हें मिला स्वॉर्ड ऑफ ऑनर
महज 21 साल की उम्र में कोई महिला अफसर 244 परुष और महिला साथियों को बेस्ट ऑलराउंड कैडेट की रेस में पछाड़ दे, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. लेकिन दिव्या अजीत कुमार ने ऐसा कर दिखाया. फील्ड ट्रेनिंग, ड्रिल टेस्ट, ऑब्स्टेकल ट्रेनिंग, स्विमिंग टेस्ट, सर्विस सब्जेक्ट जैसी कई सारी ट्रेनिंग फील्ड्स में अन्य से बेहतर स्कोर करने वाले को ही इस सम्मान नवाजा जाता है और दिव्या ने ऐसा कर दिखाया. भारतीय थल सेना के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था. उन्होंने 2015 में गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना की सभी महिला टुकड़ियों का नेतृत्व भी किया.

गुंजन सक्सेना : पहली महिला अफसर, जिन्हें मिला शौर्य वीर अवॉर्ड
युद्ध प्रभावित क्षेत्र में उड़ान भरने वाली पहली महिला हैं गुंजन सक्सेना. कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने एक नहीं, बल्कि कई उड़ानें भरी थीं. उन्होंने युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में सिर्फ जरूरी सामान ही नहीं पहुंचाया, बल्कि घायल सैनिकों का रेस्क्यू भी किया. पाकिस्तानी सैनिक रॉकेट लॉन्चर और गोलियों से लगातार हमला कर रहे थे, लेकिन गुंजन का हौसला पस्त नहीं कर सके. वे निडर होकर अपनी जान की परवाह किए बिना उड़ान भरती रहीं. इस बहादुरी के लिए उन्हें राष्ट्रपति ने शौर्य वीर अवार्ड से भी नवाजा.

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