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शाहीन बाग: तीन दिनों की बातचीत के बाद भी रास्ता खोलने को लेकर नहीं बनी बात, लौटे वार्ताकार

नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों से वार्ताकारों ने लगातार तीन दिन तक बातचीत की और समस्या का हल निकालने की कोशिश की. हालांकि, अभी तक बातचीत किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है और शाहीन बाग का रास्ता नहीं खुल पाया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार सीनियर वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन शुक्रवार को तीसरे दिन भी शाम 6:30 बजे प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन कोई बात नहीं बन पाई.

शुक्रवार को शाहीन बाग पहुंचीं सीनियर एडवोकेट साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से सवाल किया कि आप लोगों ने सिर्फ एक रोड बंद की है, तो दूसरी रोड को किसने बंद किया है? इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम यहां पर धरने पर बैठे हैं और अपनी सुरक्षा के लिए रोड बंद किया है. इस पर सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने पूछा कि क्या आप लोगों ने ही दूसरी सड़क को बंद किया है, तो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि दूसरी रोड के लिए हम जिम्मेदार नहीं है. इस पर साधना रामचंद्रन ने कहा कि तो क्या आपके मुताबिक सड़क बंद करने के लिए दिल्ली पुलिस जिम्मेदार है?

इसके बाद वार्ताकारों ने रास्ते को लेकर दिल्ली पुलिस से पूछा, तो एसएचओ ने कहा कि रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने बंद किया है. इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस हमको सुरक्षा देने का आश्वासन दे, तो हम रास्ता खोल सकते हैं. इस पर दिल्ली पुलिस ने फौरन कह दिया कि हम प्रदर्शनकारियों को पूरी सुरक्षा देंगे. हालांकि प्रदर्शनकारी राजी नहीं हुए और कहा कि हमको दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं हैं. दिल्ली पुलिस लिखित में सुरक्षा देने का वादा करे.

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर एंबुलेंस आती है, तो उसको निकलने के लिए हम रास्ता दे देते हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शाहीन बाग में गोली चलती है, तो ऐसे माहौल में दिल्ली पुलिस हमको सुरक्षा कैसे दे पाएगी? प्रदर्शनकारियों ने कहा कि असम में एनआरसी लागू हुआ, तो जिन लोगों के पास कागजात नहीं थे, उनकी जमीन चली गई. प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस वही पुलिस है, जिसने जामिया मिलिया इस्लामिया में घुसकर छात्रों पर लाठियां चलाई थी.

शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों की बात सुनने के बाद संजय हेगड़े ने कहा, ‘हमने आपकी बात सुनी है. इसको सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दूंगा. मैं सरकार का आदमी नहीं हूं, इसलिए कोई फैसला लेने का अधिकार मुझे नहीं है.’ इस तरह तीन दिन की बातचीत के बावजूद शाहीन बाग में रास्ता खोलने को लेकर बात नहीं बनी.

मीडिया के सामने होगी बातचीत: प्रदर्शनकारी

इससे पहले प्रदर्शनाकरियों ने कहा कि वो मीडिया के सामने ही  बातचीत करेंगे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर वार्ताकार मीडिया को बाहर जाने के लिए कहते हैं, तो फिर कोई बातचीत नहीं होगी. बता दें कि इससे पहले दोनों दिन बातचीत मीडिया के सामने नहीं हुई थी. वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से समस्या का समाधान निकालने के लिए खुद ही बातचीत करने की कोशिश में लगे रहे.

सुप्रीम कोर्ट से वार्ताकारों की नियुक्ति

बता दें कि शाहीन बाग चल रहे प्रदर्शन के कारण कालिंदी कुंज सड़क बंद है. आम लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए तीन वार्ताकार नियुक्त किए. इन तीन में से दो वार्ताकार वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वरिष्ठ वकील साधना रामचंद्रन लगातार प्रदर्शकारियों से बातचीत में जुटे हैं.

बीते दिन वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से पूछा कि रास्ता कैसे खुलेगा, तो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक CAA वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक हम एक इंच भी पीछ नहीं हटेंगे.

नाराज हो गई थीं साधना रामचंद्रन

वहीं, गुरुवार को दूसरे दिन की बातचीत में वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों के सामने इस बात पर जोर दिया कि सड़क खुल जाए और प्रदर्शन भी चलता रहे. शाहीन बाग में ऐसा कोई रास्ता निकाला जाए. बीते दिन काफी देर तक आंदोलनकारियों और वार्ताकारों के बीच बातचीत का सिलसिला चलता रहा. अंत में जब कोई नतीजा निकलता नहीं दिखा तो बात करने लायक माहौल ना होने की बात कहकर साधना रामचंद्रन नाराज हो गईं.

हेगड़े बोले- सहमति से निकले हल

वहीं, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों से कहा, आप ये कह रहे हैं कि अगर आप यहां से निकले तो और कोई नहीं आएगा सुनवाई के लिए. यही तो डर है ना कि कोई नहीं आएगा सुनने वाला. आज जब तक सुप्रीम कोर्ट है, आपकी सुनवाई कोई नहीं रोक सकता. आपके लिए आपकी तरफ से हम बहुत सारे वकील हैं, जो कोर्ट में आपकी बात बहुत बुलंद तरीके से रखेंगे. पर ये नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट सुन नहीं रही है. हम यही देखने आए हैं कि कुछ हल निकले आपकी तरफ से निकले, आपकी सहमति से निकले.

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