पंकज चतुर्वेदी
दिल्ली पुलिस पूरी तरह असफल रही , बीते चौबीस घंटे से पूर्वोत्तर दिल्ली के कुछ इलाकों में कानून व्यवस्था उपदावियों की बंधक बन गयी है , जाफराबाद से ले कर करावल नगर के दस किलोमीटर के दायरे में सी ए ए के विरोध ओर समर्थन को साम्प्रदायिक रंग दे दिया गया , विरोधियों ने सड़क जाम करने की मूर्खता की ओर कपिल मिश्रा जैसे लोगों से सरे आम लोगों को भडकाया, लोग ट्रेक्टर ट्रोली में पत्थर बाहर रहे हैं, सडक चलते रिक्शा या ऑटो चलाने वाले मुसलामानों को पीटते रहे — पुलिस चुप रही।
दूसरी तरफ से भी १६ से १८ साल के लडके पत्थर का जवाब ईंट से देने को उतर गए , पुलिस भयंकर साम्प्रदायिक है, इतना हंगामा होने पर भी मंदिरों में हनुमान चालीसा बजाई जा रही है जबकि दिन में बाढ़ बजे बाद भगवान को विश्राम के लिए मंदिर के पट बंद होते है .
इतनी अराजकता तब जब देश में अमेरिका के राष्ट्रपति आये हुए हैं , हम क्या सन्देश दे रहे हैं ? दुर्भाग्य की बात यह है कि जन प्रतिनिधि कहलाने वाले एक भी विधी लोगों के बीच नहीं आये- न समझाने ना आश्वासन देने .
यदि गंभीरता से देखा जाए तो दिल्ली में ख़ुफ़िया तंत्र फ़ैल रहा , पुलिस का दंगा- निरोधी काम असफल रहा– काश कल पुलिस ने कल यदि कपिल मिश्र को जेल भेज दिया होता ओर सडक जाम करने वालों को कडा सन्देश दिया होता तो आज यह हालात नहीं होते . जाफराबाद रोड पर घरों को फूंका जा रहा है।
सड़क पर उतरकर उपद्रवी गोलियां चला रहे हैं और सरेआम पिस्टल लहरा रहे हैं। रास्ते में एक को गोली भी मार दी गई है। पुलिस पूरी तरह बेबस दिख रही है। आज सडक पर लड़के गोलिया चला रहे हैं ओर पुलिस मूक दर्शक बनी है- एक लड़के ने सरे आम आठ राउंड गोली चलायी।
(वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)