प्रखर श्रीवास्तव
लिबरल और सिकलुर गैंग सक्रिय हो इसके पहले पूरे मुद्दे को समझ लीजिए, आपसे अब कहा जाएगा कि “वो तो बेचारे अपना प्रदर्शऩ कर रहे थे आपको क्या जरूरत पड़ी थी मैदान में उतरने की, पूरी दिल्ली की शांति इन कपिल मिश्रा जैसे लोगों ने ही भंग की है”… ये बार-बार कहेंगे कि जय श्रीराम बोलने वालों ने देखो कैसे दिल्ली मे हिंसा की, ये बार-बार वीडियो शेयर करेंगे।
ये दिल्ली की हिंसा को दूसरा गुजरात बता देंगे, ये इनका बहुत पुराना मॉडस ऑपरेंडी है, 2002 के गुजरात दंगों में भी इन्होने यही किया था, ये आज तक सिर्फ गुजरात दंगों की बात करते हैं लेकिन बहुत शातिर तरीके से गोधरा कांड की बात छुपा जाते हैं। आप ही बताइये कि अगर गोधरा नहीं होता तो क्या गुजरात का दंगा कभी होता ? सोचिए जब 58 बेगुनाहों को जिंदा जला दिया जाएगा तो क्या इस एक्शन का रिएक्शन नहीं होगा ? लेकिन गुजरात दंगों के नाम पर मोदी को कोसने वाले इन सिकलुर गैंग ने कभी गोधरा की बात नहीं की, और आज भी ये नहीं बोलेंगे की दिल्ली में बह रहा ये सारा “मवाद” शाहीन बाग के “फोड़े” से निकला है।
आखिर दिल्ली में कब तक एक्शन का रिएक्शन नहीं होगा ? आप 70 दिन तक दिल्ली को हाईजैक करके बैठ जाएंगे… लोग समय पर दफ्तर नहीं पहुंच पाएंगे, भूखे प्यासे बच्चे स्कूलों से समय पर घर नहीं लौटेंगे, बीमारों की एंबुलेंस रोक ली जाएगी… और ये सब एक-दो दिन नहीं पूरे 70 दिन तक चलेगा और फिर भी आप सोचेंगे कि सामने वाला चुप रहेगा… अगर आप ऐसा सोचते हैं तो गलत है… क्या गलत किया कपिल मिश्रा ने ??? यही तो कहा था कि अगले दो दिन में सड़क खाली कर दीजिए, लोगों को दिक्कत हो रही है, नहीं तो फिर हम भी सड़कों पर उतरेंगे… लेकिन आप उनकी बात सुनने के बजाय उनके लोगों पर पत्थर मारना शुरु कर देते हैं… तो फिर अब आप भी तो बदले में पत्थर खाएंगे ही न… आपने एक पुलिसवाले की जान ले ली, उसके तीन बच्चों को यतीम बना दिया… आपको क्या लगता है खाकी वर्दी वाले ये भूल जाएंगे… वो क्या आपको गुलाब के फूल देंगे ?
अगर आपको सीएएस के विरोध में सड़कों पर बैठने और पुलिस को पत्थर मारने का अधिकार है तो फिर जो सीएए के समर्थक आपको आपकी ही भाषा में जवाब दे रहे हैं तो आप अकेले उनपर कैसे उंगली उठा सकते हैं… आखिर कोई कब तक सहन करेगा ???
अगर आप सही में दिल्ली में अमन चाहते हैं तो बंद कीजिए अपना ढोंग… बंद कीजिए वो नौटंकी जो आप लगातार 70 दिन से कर रहे हैं… बंद कीजिए अपने धरने-प्रदर्शन… फिर देखिएगा सिर्फ 12 घंटे में दिल्ली में हर तरफ शांति होगी… लेकिन आपको तो इस देश से, हिंदुओं से आज़ादी चाहिए न… ले लीजिए… कर दीजिए एक और 1947… आप लोगों को तभी शांति मिलेगी… वैसे भी आप लोग तो “शांतिदूत” हैं।
नोट – न्यूटन का एक्शन का रिएक्शन सिर्फ फिजिक्स का फार्मुला नहीं है… ये इंसानों के दिमाग पर भी लागू होता है।