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The Hindu के ‘इस्लामोफोबिक’ कार्टून में लोगों ने पहचाना कोरोना वायरस का लिबास, पूछा- क्या मुसलमान कोरोना जितने बुरे हैं?

देश की मुख्यधारा की मीडिया और समाचार पत्रों पर अक्सर पूर्वग्रहों को लेकर कई तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं। कई बार देखा जाता है कि अभिव्यक्ति की आजादी का सहारा लेकर हिन्दू मान्यताओं और प्रतीकों को किसी भी शक्ल और नैरेटिव में पिरोकर जनता के सामने रखा जाता है और ख़ास विरोध भी इस बारे में बमुश्किल देखा जाता है। लेकिन कारोना वायरस की महामारी के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ने पाला बदलने का प्रयास किया और यह खतरा मोल लिया है।

मशहूर समाचार पत्र द हिन्दू (The Hindu) ने 26 मार्च के अपने कार्टून में कोरोना के खिलाफ सन्देश दिखाने की कोशिश की, जिस कारण यह अखबार एक बड़े वर्ग के निशाने पर आ गया है।

26 मार्च को द हिन्दू ने एक कार्टून चित्र पब्लिश किया, जिसमें कोरोना वायरस (Covid-19) को हाथों में बन्दूक थामे हुए पृथ्वी ग्रह को डराते हुए बताया गया है कि इसने पूरी पृथ्वी को आतंकित किया है। लेकिन कुछ लोगों ने इस कार्टून में भी कोरोना वायरस के ‘लिबास’ पहचान लिए और फिर इसे इस्लामोफ़ोबिक कार्टून घोषित कर दिया।

The Hindu में प्रकाशित 26 मार्च का कार्टून –

लेकिन, इस कार्टून पर कुछ इस्लामिक विचारधारा का अनुसरण करने वाले लोगों ने आपत्ति दर्ज की है। राना सफवी, जिनके ट्विटर अकाउंट में उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि वो स्तंभकार, लेखक होने के साथ-साथ गंगा-जमुनी तहजीब में भी यकीन करती हैं, ने द हिन्दू का यह कार्टून ट्वीट करते हुए लिखा है- “द हिन्दू की दैनिक पाठक और साथ ही साथ कंट्रीब्युटर होने के नाते, मैं इस इस्लामोफोबिक कार्टून से बेहद दुखी हूँ।” उन्होंने द हिन्दू समूह के चेयरमैन एन राम को टैग करते हुए निवेदन किया है कि कृपया इसे हटा दीजिए। इसके आगे राना सफवी ने लिखा है – “हम आपसे ‘उन्हें उनके कपड़ों से पहचानिए’ वाली कट्टरता की उम्म्मीद नहीं करते हैं।

@grumpeoldman ने भी द हिन्दू के इस कार्टून को ट्वीट करते हुए लिखा है- “द हिन्दू! यह बेहद कड़वा है। ‘उन्हें उनके कपड़ों से पहचानो’ का अनुसरण करने के कारण तुम्हें लोगों से माफ़ी माँगनी चाहिए।”

इस कार्टून में कोरोना वायरस का लिबास पहचानकर इससे आहत होने वाले लोगों की लिस्ट बहुत लम्बी है। @EqualityLabs नाम के एक अकाउंट ने भी द हिन्दू को टैग करते हुए लिखा है कि द हिन्दू को यह इस्लामोफोबिक कार्टून हटाना चाहिए क्योंकि यह चित्र मुस्लिम विरोधी भावनाओं के समान ही है और यह स्वीकार नहीं है।

Equality Labs

@EqualityLabs

We demand @the_hindu take down this Islamophobic hate cartoon immediately. Images like this reify anti-Muslim sentiment. This is unacceptable. https://twitter.com/uma_rag/status/1243066973774282752 

روزا@uma_rag

Bloody Shame @the_hindu This cartoon by @deepakharichand reeks of blatant Islamophobia and we at @indians_seattle demand you retract/take it down immediately and issue an unconditional apology! @nramind, @MaliniP, @nambathhttps://tinyurl.com/vs4xtjf 

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@SharjeelUsmani ने लिखा है, “@the_hindu में आज छपे एक कार्टून में कुर्ता पाजामा पहने तीन लोग जिनके चेहरे की जगह कोरोना वाइरस बना है, हाथ मे राइफल लिए पृथ्वी पर निशाना साधे हैं। भारत के तथाकथित ‘अच्छे’ अखबार के अंदर का इस्लामोफोबिया.. बोल रहा है कोरोना मुसलमानों जितना बुरा है या मुसलमान कोरोना जितने बुरे हैं?”

Afreen Fatima@AfreenFatima136

Shame on @the_hindu for printing such Islamophobic cartoon. We demand an apology! https://twitter.com/SharjeelUsmani/status/1243085687995293697 

Sharjeel Usmani@SharjeelUsmani

.@the_hindu में आज छपे एक कार्टून में कुर्ता पाजामा पहने तीन लोग जिनके चेहरे की जगह कोरोना वाइरस बना है, हाथ मे राइफल लिए पृथ्वी पर निशाना साधे हैं। भारत के तथाकथित ‘अच्छे’ अखबार के अंदर का इस्लामोफोबिया..बोल रहा है कोरोना मुसलमानों जितना बुरा है या मुसलमान कोरोना जितने बुरे हैं?

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गौरतलब है कि पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापने से नाराजगी के कारण जनवरी 07, 2015 को फ्रांस की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें दो हमलावरों ने हमला कर 12 लोगों को जान से मार दिया। उनका कहना था कि पैगम्बर का कार्टून छापना इस्लाम के खिलाफ है।

शार्ली एब्डो के दफ्तर में हमलावर एक स्वचालित रायफल कालशनिकोव और रॉकेट लॉंचर से लैस होकर घुसे थे और जोर-जोर से कह रहे थे, “हमने पैगंबर का बदला लिया है” और साथ ही ‘अल्लाहु अकबर’ के मज़हबी नारे भी लगाए। इसके बाद पत्रिका के शीर्ष संपादक लॉरेन सूरिसो ने घोषणा की थी कि अब उनकी पत्रिका में कभी भी पैगंबर के कार्टून नहीं छापेंगे।

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