नई दिल्ली। भविष्य में चांद पर बस्ती बनाने को लेकर उत्साहित दिखने वाला अमेरिका इन दिनों कोरोना वायरस की मार के आगे बुरी तरह से पस्त है। दुनिया की महाशक्ति होने के नाते भी उसके लिए अब तक इस वायरस की काट को न खोजपाना अपने आप में कई सवालों को भी जन्म दे रहा है। आपको बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा वर्ष 2024 में चांद पर एक बार फिर से इतिहास को दोहराना चाहती है और इसके लिए वो लगातार तैयारियों में जुटी है। 2024 में वो चांद पर इंसान को उतारकर इतिहास को दोहराना चाहती है। चांद पर इंसानी बस्तियां कैसी होंगी और उनमें क्या कठिनाइयां होंगी और उसके क्या उपाय किए जाने चाहिए , इसका पूरा ब्यौरा अमेरिका के पास मौजूद है। लेकिन वर्तमान में जो संकट अमेरिका में आया हुआ है उसको लेकर फिलहाल अमेरिका के हाथ खाली ही हैं।
वर्तमान में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मरीज केवल अमेरिका में ही हैं। यहां पर बड़ी तेजी से इसके मामले पांव पसार रहे हैं। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक अब तक 336851 मामले यहां पर सामने आ चुके हैं। वहीं 9620 लोगों की जान इस वायरस की चपेट में आने के बाद जा चुकी है। करीब 18 हजार मरीज अच्छे भी हुए हैं। आंकड़ों की मानें तो कुल मामलों में से करीब 8702 मामले बेहद गंभीर हैं।
न्यूयॉर्क से ही करीब 360 किमी दूर है वाशिंगटन डीसी जहां पर नासा का हैडक्वार्टर भी है। ये भी इस वक्त कोरोना वायरस की चपेट में हैं। यहां पर इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 7984 है। इसके अलावा यहां पर 338 लोगों की जान अब तक जा चुकी है। इतना ही नहीं इस वायरस की चपेट में आने वाले अमेरिका के टॉप 10 शहरों की यदि बात की जाए जो उसमें वाशिंगटन डीसी दसवें स्थान पर है। नासा की बात चल रही है तो आपको बता दें कि नासा केवल अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का ही काम नहीं करता है बल्कि वो वहां पर उनकी सेहत और दूसरी चीजों का भी प्रबंध करता है। इसके बावजूद अमेरिका इस वायरस की मार का तोड़ अब तक खोज नहीं पाया है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने इसके लिए भारत से मलेरिया में इस्तेमाल की जाने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की तुरंत आपूर्ति करने का आग्रह पीएम मोदी से किया है। अमेरिका की मानें तो इस दवा के शुरुआती नतीजे मरीजों पर अच्छे आए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद इस बारे में पीएम मोदी से बात की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत इस बारे में गंभीरता से विचार करेगा। आपको ये भी बता दें कि भारत इस दवा का दुनिया में सबसे बड़ा निर्माता है।