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सोनिया गांधी आज करेंगी विपक्षी दलों के साथ चर्चा, सपा-बसपा-AAP ने बनाई दूरी?

नई दिल्ली। कोरोना संकट से उपजे हालातों पर मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं. देश के मौजूदा हालात को देखते हुए कांग्रेस ने सोनिया गांधी की अध्यक्षता में शुक्रवार को तीन बजे समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. कांग्रेस द्वारा बुलाई गई राजनीतिक दलों की बैठक में उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल सपा और बसपा के शामिल होने पर संशय बरकरार है तो अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी हिस्सा नहीं लेगी.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सोनिया गांधी की अगुवाई में होने वाली बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, एनसीपी नेता शरद पवार, डीएमके नेता एमके स्टालिन समेत राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के अध्यक्ष अजित सिंह और लेफ्ट की ओर सीताराम येचुरी शामिल होंगे. इसके अलावा जनता दल (सेक्युलर) से एचडी देवगौड़ा और नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारुख अब्दुल्ला या उमर अब्दुल्ला में से कोई एक शामिल हो सकता है.

विपक्षी दलों की बैठक में आरजेडी की तरफ से बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, आरएलएसपी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी भी बैठक में हिस्सा लेंगे.

बता दें कि ममता बनर्जी शुक्रवार को पीएम मोदी के साथ बंगाल में तूफान प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगी. इसलिए ममता बनर्जी इस बैठक में कुछ देर बाद शामिल होंगी, लेकिन उससे पहले टीएमसी की ओर से डेरेक ओ ब्रायन हिस्सा लेंगे. इससे पहले तक विपक्षी दलों की बैठक से ममता बनर्जी और शिवसेना दूरी बनाए रखती थी, लेकिन पहली बार दोनों शामिल हो रहे हैं.

कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के मुख्य एजेंडे में सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों, प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा, उनकी समस्याएं व सरकार द्वारा उनका सही तरह से निराकरण न कर पाना, मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की असलियत जैसे तमाम मुद्दों पर संयुक्त रणनीति पर चर्चा करेंगे.

कोरोना संकट के बाद विपक्षी दलों की यह पहली बार बैठक होने जा रही है, जो काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस बैठक में कोरोना संकट के बहाने मोदी सरकार को घेरने की संयुक्त रणनीति पर मंथन किया जाएगा. लेफ्ट के साथ-साथ ममता बनर्जी का बैठक में शामिल होना काफी अहम माना जा रहा है और ऐसे ही शिवसेना का इस बैठक में हिस्सा लेना भी काफी महत्वपूर्ण है.

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