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IAS के तबादले के लिये डील कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़, STF ने किया गिरफ्तार

लखनऊ। आईएएस अधिकारी का कानपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर ट्रांसफर कराने के नाम पर लिए गए 15 लाख रुपये के मामले में भले ही एसटीएफ ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. एक आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर प्रमुख पद पर कराने के लिए 1 करोड़ 25 लाख रुपये की डील का खुलासा कई सवाल खड़े करता है. आईएएस अधिकारी की पोस्टिंग कराने के लिए पीयूष अग्रवाल ने 1 करोड़ 25 लाख रुपये में यहां डील तय की थी. एडवांस के तौर पर आईएएस अधिकारी व पीयूष अग्रवाल के बीच मेडिएटर की भूमिका में रहे कमलेश कुमार ने 15 लाख रुपये लेकर पीयूष अग्रवाल को दिए थे. इसमें से दो-दो लाख रुपये पीयूष ने अपने सहयोगी गौरी कांत दीक्षित व मीडिएटर कमलेश दीक्षित को दिए हैं.

इस डील का खुलासा भी तीनों आरोपियों के आपसी विवाद के चलते ही हुआ. जब पीयूष अग्रवाल आईएएस अधिकारी का तबादला नहीं करा सका तो कमलेश दीक्षित उससे एडवांस के तौर पर दिए गए पैसे की वापसी करने का दबाव बनाने लगे. पीयूष अग्रवाल ने जब पैसे वापस नहीं किए तो गौरी कांत दीक्षित व कमलेश ने मिलकर षड्यंत्र रचा व पीयूष अग्रवाल का ऑडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. इसके बाद डील का खुलासा हुआ.

इस पद के लिए हुई थी डील
आईएएस अधिकारी को कानपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर तैनाती दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. यह तीनों मिलकर ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया करते थे. गैंग के तीनों सदस्य पीयूष अग्रवाल, गौरी कांत दीक्षित व कमलेश कुमार को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है. गिरोह का मास्टरमाइंड पीयूष अग्रवाल है, जो अन्य दोनों सहयोगियों के साथ मिलकर ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर ठगी की घटनाओं को अंजाम देता था. पीयूष अग्रवाल को लेकर एसटीएफ ने खुलासा किया है कि पीयूष अपने आप को समाजसेवी व पत्रकार के तौर पर पेश करता था. इसके चलते उसके कई लोगों से संबंध थे और इन संबंधों की आड़ में यह ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर ठगी की घटनाओं को अंजाम देता था.

पूछताछ में खुले कई भेद
तीनों गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ की पूछताछ में कई चीजें निकल के सामने आई हैं. एसटीएफ की पूछताछ में अभियुक्त गौरीकांत दीक्षित ने बताया कि वह और पीयूष अग्रवाल गाजियाबाद के एक ही सोसायटी में रहते थे और उनके पारिवारिक संबंध है. पूछताछ में स्वीकारा है कि वे धोखाधड़ी के कार्यों में संलिप्त रहते थे. उनके गिरोह का सरगना पीयूष अग्रवाल है, जो कि समाज सेवा और पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा है, जिससे कि तमाम बड़े अधिकारियों के संबंध है. इसका प्रभाव दिखाकर वे लोगों को जाल में फंसाकर ट्रांसफर करवाने के नाम पर ठगी करते थे.

कैसे हुई डील ?
आईएएस अधिकारी को कानपुर विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष के पद पर पोस्टिंग दिलाने को लेकर हुई ठगी के बारे में बताते हुए गौरी दीक्षित ने कहा कि कमलेश कुमार ने आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर कानपुर विकास प्राधिकरण पर कराने का ठेका दिया था. इसके बाद गौरी दीक्षित ने यह काम पीयूष अग्रवाल को सौंप दिया. पीयूष अग्रवाल ने इस काम कराने की जिम्मेदारी ले ली. पीयूष अग्रवाल ने कहा कि इस काम को कराने के लिए 1 करोड़ रुपये लगेगा. इसके बाद यह डील 1 करोड़ 25 लाख रुपये में तय हुई. डील होने के बाद एडवांस के तौर पर कमलेश ने पीयूष अग्रवाल को 15 लाख रुपये दिए. इसमें से 2 लाख रुपये पीयूष अग्रवाल ने कमलेश कुमार सिंह को दे दिए और 2 लाख रुपये गौरी कांत दीक्षित के खाते में ट्रांसफर कर दिए. बचे 11 लाख रुपये पीयूष अग्रवाल ने अपने पास रखे.

लॉकडाउन के चलते नहीं हो सका काम
पूछताछ में आरोपियों ने इस बात को कबूला है कि वह ट्रांसफर पोस्टिंग का काम करते हैं ट्रांसफर पोस्टिंग कराने के लिए ही पैसे लिए गए थे. यह माना जा रहा था कि पीयूष अग्रवाल इस काम को करा देगा, लेकिन लॉकडाउन के चलते ये काम नहीं हो सका. इसी बीच गौरी कांत दीक्षित को एक अन्य धोखाधड़ी के मामले में जेल हो गई, जिसके बाद पीयूष ने गौरी कांत की जमानत कराई.

पैसे वापस न मिलने पर की गई रिकॉर्डिंग
गौरी कांत के जेल से छूटकर आने के बाद कमलेश कुमार काम कराने के लिए दबाव बनाने लगा और उसने कहा कि अगर काम नहीं हो सकता है तो पैसे वापस कर दें, लेकिन पीयूष अग्रवाल ने पैसे देने से मना कर दिया. इसके बाद गौरी कांत ने कमलेश कुमार से कहा कि वह फोन पर पीयूष अग्रवाल से बात करें और उस बात की रिकॉर्डिंग कर लें. रिकॉर्डिंग मिलने के बाद गौरी कांत ने रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर वायरल करा दिया.

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