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‘दिल्ली अब आना ही नहीं है हमको, जब तक ये केजरीवाल बदल नहीं जाएगा’: मजदूरों का छलका दर्द, देखें Video

लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में फँसे विभिन्न राज्यों के मजदूरों ने केजरीवाल सरकार द्वारा की गई तथाकथित व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है। बेबस मजदूरों का कैमरे के सामने जब दर्द छलका तो सबसे पहले उनकी जुबान से एक ही बात निकली, “अब दिल्ली तभी आएँगे, जब केजरीवाल हटेगा।”

दिल्ली बीजेपी महासचिव कुलजीत सिंह चहल द्वारा ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो में लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में फँसे कुछ मजदूर अपनी व्यथा सुनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो के शुरुआत में ही एक मजदूर कहता है, “दिल्ली अब आना ही नहीं है हमको, जब तक कि ये केजरीवाल बदल नहीं जाएगा या फिर अच्छी तरह से व्यवस्था नहीं करेगा, हम आ नहीं सकते।”

पीड़ित मजदूर ने आगे कहा, “हम खाना लेने जा रहे हैं तो पुलिस लाठीचार्ज कर रही है और खाना लेने जाते हैं तो 100-100 लोगों की लाइन लगी रहती है और खाना समाप्त हो जाता है तो कहते हैं कि जाओ कल आना। हम सुबह नौ बजे से लाइन में लगे रहते हैं और फिर भी खाना नहीं मिलता। अब क्या बच्चों को खिलाएँ और हम खाएँ।”

इतना ही नहीं मजदूर ने आरोप लगाया कि केजरीवाल गरीबों के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। बड़े-बड़े अमीर लोग अपने घरों पर (सामान) रख रहे हैं और नाम कर रहे हैं कि गरीब आदमी को खिला रहे हैं। बेवजह का नाम कमा रहे हैं, केजरीवाल कुछ काम नहीं कर रहे हैं।

मजदूर ने बेहद दुखी मन से आगे कहा, “केजरीवाल ने हम लोगों को बेहद परेशान कर दिया है, हम बहुत दुखी हैं। अब यह दुख सीमा से बाहर हो चुका है। अब हम दिल्ली तभी आएँगे कि जब पूरी तरह से लॉकडाउन हट जाएगा या फिर ये दिल्ली में केजरीवाल की जगह कोई और आ जाएगा।”

मजदूर ने बताया हमें महोबा जाना है, तीन जगहों से हमें लौटाया गया। हमें लगा केजरीवाल सहायता कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। मजदूर मर रहा है। जाने के लिए पास लेकर जाते हैं तो उसे फाड़ दिया जाता है। सफर के लिए दो-दो रोटी दी जाती है। वह भी बच्चों को देखकर। हमारे लिए तो कुछ भी नहीं है। हमारे पास पैसा भी नहीं है। पूरा एक दिन हो गया निकले हुए। केजरीवाल अगर हमारी सहायता करना चाहते हैं, तो वह हमें महोबा पहुँचाने की व्यवस्था करें।

आपको बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं कि जब दिल्ली में फँसे मजदूरों ने केजरीवाल सरकार को लचर व्यवस्थाओं के लिए दुत्कारा हो। इससे पहले भी दिल्ली से बिहार के पूर्णिया के लिए पैदल निकले प्रवासी मजदूरों ने बताया था कि वह दो दिनों से भूखे हैं। कोई रोजगार नहीं है तो पैदल घर जा रहे हैं। उनका कहना था कि जब भूखे-प्यासे यहाँ मरना ही है, तो रास्ते में ही मर जाएँगे।

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