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निष्पक्षता के साथ कलम चलाने पर सम्मान खुद चलकर आता है और दरवाज़ा खटखटाता है

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आई वाच नेे वरिष्ठ पत्रकारों को किया सम्मानित

लखनऊ। हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर देश के चौथे स्तम्भ की विश्वसनीयता और निष्पक्षता को अपनी पत्रकारिता में ढाल लेने वाले राजधानी के चुनिन्दा पत्रकारों को आई वाच समूह ने प्रदेश के 18 वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित किया।
इसे पत्रकारिता का जोश और ऊर्जा ही कहेंगे कि जिस तरह कोरोना काल में शुरुआत से ही मीडिया के लोग अपनी जान की परवाह किये निरंतर कवरेज कर रहे हैं। उसी तरह कोरोना संकट की वजह से पूरे देश में चल रहे लॉकडाउन और शारीरिक दूरी की बाध्यता भी इस सम्मान के कार्यक्रम में बाधा नहीं बन पाई। आई वाच और लाइव इंडिया 18 के सम्पादक श्यामल त्रिपाठी ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस के मौके पर पत्रकारों को सम्मान खुद चलकर आने की भावना का अहसास कराया।
इस क्रम में उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव, प्रभात रंजन दीन, हेमंत तिवारी, डॉ. मत्स्येन्द्र प्रभाकर, अखिलेश तिवारी, श्रीधर अग्निहोत्री, राघवेन्द्र त्रिपाठी, राजेश श्रीवास्तव, दयानन्द पांडे, अभिषेक मिश्र, डॉ. शैलेश पांडेय, विक्रम सिह राठौर, कमलेश श्रीवास्तव, शबाहत हुसैन विजेता, डॉ. मोहम्मद कामरान, शेखर पंडित,मनोज दुबे और पवन विश्वकर्मा को खुद जाकर सम्मानित किया।
इस अनोखे सम्मान समारोह में सम्मान होते हुए देखने वाले नहीं थे। तालियों की गड़गड़ाहट नहीं थी। कोई मुख्य अतिथि और अध्यक्षता करने वाला नहीं था। फूल मालाएं नहीं थीं, लेकिन यह भावना साथ थी कि निष्पक्षता के साथ कलम चलाने पर सम्मान खुद चलकर आता है और दरवाज़ा खटखटाता है।
इस मौके पर अपने संदेश में आई वॉच के संपादक श्यामल त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारों का काम आज के परिवेश में बेहद चुनौती एवं समस्याओं से भरा है। ऐसे में निष्पक्ष पत्रकारिता की चुनौतियों को पूरा कर पाना बेहद दुष्कर कार्य है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि इसी के चलते मैंने उन पत्रकारों का चयन किया जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों मंे भी पत्रकारिता के मिशन को जिंदा रखा और तमाम झंझावतों के बावजूद इसके असली मिशन को कमजोर नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि भले ही यह पत्रकार आज देश में बहुत चर्चित न हों लेकिन इन्होंने विपरीत परिस्थितियों में जो अलख जला रखी है उससे इनको सम्मानित करने से इनमें और अधिक ऊर्जा का संचार होगा।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि हालांकि इनमें से कई बड़े नाम भी हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इस मौके पर प्रभात रंजन दीन ने वीडियो संदेश जारी कर अपना बधाई संदेश दिया तो के. विक्रम राव जन्मदिन कार्यक्रम के चलते और दयानंद पांडेय दिल्ली में होने के चलते शिरकत नहीं कर सके। जबकि अन्य सभी ने खुद इस सम्मान को ग्रहण किया। उपरोक्त तीनों लोगों ने इसे स्वीकार करते हुए जल्द ग्रहण करने की बात कही। जबकि सरिता प्रवाह के संपादक राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि आई वांच समूह लंबे समय से जिस तरह की निर्भीक पत्रकारिता कर रहा है वह बेहद उत्साह जनक है। उन्होंने कहा कि खबरों को निष्पक्ष ढंग से किस तरह रखा जाता है वह आईॅ वांच जानता है। इस मौके पर सभी सम्मानित पत्रकारों ने आई वॉच के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि श्यामल त्रिपाठी के प्रयास से उनको काम करने में और ऊर्जा मिलेगी और जोश का संचार होगा।

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सम्मान जब खुद चलकर आया दरवाज़े पर

लखनऊ।  देश के चौथे स्तम्भ की विश्वसनीयता और निष्पक्षता को अपनी पत्रकारिता में ढाल लेने वाले राजधानी के चुनिन्दा पत्रकारों को आई वाच इंडिया और लाइव इंडिया 18 ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस (30 मई) के मौके पर सम्मानित किया.

कोरोना संकट की वजह से पूरे देश में चल रहे लॉकडाउन और फिजीकल डिस्टेंसिंग की बाध्यता भी इस सम्मान के कार्यक्रम में बाधा नहीं बन पाई. आई वाच और लाइव इंडिया 18 के सम्पादक श्यामल त्रिपाठी ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस के मौके पर पत्रकारों को सम्मान खुद चलकर आने की भावना का अहसास कराया.

इस अनोखे सम्मान समारोह में सम्मान होते हुए देखने वाले नहीं थे. तालियों की गड़गड़ाहट नहीं थी. कोई मुख्य अतिथि और अध्यक्षता करने वाला नहीं था. फूल मालाएं नहीं थीं, लेकिन यह भावना साथ थी कि निष्पक्षता के साथ कलम चलाने पर सम्मान खुद चलकर आता है और दरवाज़ा खटखटाता है.

शबाहत हुसैन विजेता

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सम्मान मांगने से नहीं मिलता बल्कि स्वयं अर्जित करना पड़ता है 

किसी के हक़ में, किसी के खिलाफ़ लिख दूँगा,
मैं तो आईना हूँ, कनपुरिया हूँ,
जो देखूँगा, जो समझूंगा, वो सब साफ़ साफ लिख दूँगा.

हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें, आज के इस खास दिन पर श्यामल त्रिपाठी जी का ख़ास तौर पर शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने आई वॉच इंडिया और लाइव इंडिया बैनर के तले देश के चौथे स्तंभ की विशेषता व निष्पक्षता बनाने हेतु प्रशस्ति पत्र हमारे गरीबखाने आकर दिया और हमारा मान सम्मान बढ़ाया, मेरा मानना यह है कि सम्मान न तो किसी से मांगा जा सकता है और न ही सम्मान कहीं जाकर लिया जा सकता है बल्कि सम्मान अर्जित किया जाता है और यह सम्मान हमें अपने कर्म और कार्यों के माध्यम से समाज में अर्जित की गई ख्याति के आधार पर मिलता है।

श्यामल जी ने अपने प्रशस्ति पत्र में हमे सम्मानित कर गौरान्वित महसूस करने की बात तो कह दी है लेकिन यह मेरे लिए ज्यादा खुशनसीबी का दिन है कि हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर श्यामल त्रिपाठी खुद चलकर हमारे गरीबखाने आये, हमारे सम्मान के लिए नही, पत्रकारिता के सम्मान के लिए और हमारे कानपुर के सम्मान के लिए।

आज ही के दिन हिंदी पत्रकारिता की बुनियाद हिंदुस्तान की सरजमीं पर जिस शख्स ने रखी थी वह हमारे अपने कनपुरिया पत्रकार थे, पंडित जुगल किशोर शुक्ला जी का ताल्लुक हमारी मातृभूमि क्रांतिकारी नगरिया कानपुर से था, जिन्होंने हमारी तरह अपनी पत्रकारिता जगत की शुरुआत एक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र उदंत मार्तंड के नाम से 1826 में कोलकाता से की थी। जिस तरह हमने अपने पत्रकारिता के शुरुआती दौर में 500 प्रतियाँ प्रकाशित कर एक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ शहर से शुरू किया था ठीक वैसे ही आज से 194 साल पहले पंडित जी ने कोलकाता से मात्र 500 प्रतियां वाले साप्ताहिक हिंदी भाषी समाचार पत्र की बुनियाद रखी थी, आज के हालात और उस वक्त के हालात में कोई बहुत भारी बदलाव नहींआया, अंग्रेज़ी शासन काल की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सच की मशाल बुलंद करना उतना ही मुश्किल था जितना आज के दौर में सच लिखना है, लेकिन तब भी आईना दिखाने वाले पत्रकार थे और आज भी ऐसे पत्रकार मौजूद है, अपनी इन्हीं आदतों के चलते श्याद बदनाम हूँ क्योंकि हर परिस्थिति में सच के लिए लड़ने को तैयार हूँ, लेकिन शुक्रिया श्यामल जी जो इस लाकडॉन के चलते आपने पत्रकारिता दिवस के दिन को अपने प्रशस्ति पत्र के रंगों से रंग दिया। लोकतंत्र में प्रेस एक बेहद ज़रूरी स्तंभ है जिसके पास शक्ति और ज़िम्मेदारी दोनों है, ऐसे में प्रेस से जुड़े लोगों को सम्मान और सहयोग की अत्यंत आवश्यकता होती है ।

डॉ. मोहम्मद कामरान

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