नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भविष्य का फैसला आज हो सकता है। सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की होने वाली बैठक में इस संबंध में फैसला होने की उम्मीद है।
भारत विरोधी रुख और चीन के बढ़ते दखल को लेकर ओली के खिलाफ पार्टी के भीतर काफी नाराजगी है। पिछले हफ्ते नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने साफ शब्दों में ओली से प्रधानमंत्री पद या पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा था।
इसके बाद ओली ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की थी, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए। ऐसे में उनके इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए बीते गुरुवार को पार्टी की शीर्ष ईकाई स्थायी समिति की बैठक होनी थी, जिसे बाद में शनिवार (4 जुलाई 2020) तक के लिए टाल दिया गया था।
पार्टी के भीतर अपने इस्तीफे की मॉंग उठने के बाद ओली ने इसका ठीकरा भारत पर फोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन प्रचंड ने उनकी इस टिप्पणी को अनुचित करार दिया था।
उल्लेखनीय है कि हाल में नेपाल ने एक नया नक्शा पास किया है। इसमें भारत के कुछ इलाकों को शामिल कर लिया गया है। दूसरी ओर, नेपाल के कुछ इलाकों पर चीन द्वारा अतिक्रमण करने की भी खबरें आई है।
नेपाल के भारत विरोधी एजेंडे के लिए होऊ यांगी जिम्मेदार बताई जा रही हैं। होऊ यांगी नेपाल में चीन की राजदूत हैं। पहले नेपाल के नए नक्शे के पीछे उनका ही हाथ बताया गया था। अब कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि होऊ यांगी की दखल नेपाल के आर्मी हेडक्वार्टर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक है।
नेपाली सेना के प्रमुख जनरल पूर्णचंद्र थापा का दफ्तर हो या पीएम ओली का कार्यालय, बताया जाता है कि चीनी राजदूत नेपाल के किसी भी क्षेत्र में बेरोकटोक आ-जा सकती हैं।
मॉडल की तरह दिखने वाली होऊ यांगी के रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी उनके लिए विशेष भोज की मेजबानी करती हैं। ओली कैबिनेट के सदस्य उनके साथ तस्वीरें खिंचवाकर खुद को धन्य समझते हैं। होऊ यांगी भी नेपाल के वरिष्ठ नेताओं के साथ अपनी तस्वीरें आए दिन सोशल मीडिया में शेयर करती रहती हैं।
यहॉं तक कि ओली और प्रचंड के बीच तनाव की खबरें सामने आने के बाद उन्होंने भी सुलह की कोशिशें की थी। इस क्रम में उन्होंने प्रचंड से भेंट कर उन्हें आपस में नहीं लड़ने की सलाह दी थी। कुर्सी बचाने की कोशिशों के बीच प्रचंड और ओली ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की है।
बताया जाता है कि चीन के साथ-साथ पाकिस्तान भी ओली की कुर्सी बचाने के लिए सक्रिय है। इस क्रम में ओली मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस के संपर्क में भी हैं। दिलचस्प यह है कि नेपाल में तैनाती से पहले होऊ यांगी तीन साल पाकिस्तान में भी काम कर चुकी हैं।
हालॉंकि जानकारों का मानना है कि शायद ही ओली कुर्सी बचाने में कामयाब रहें। बताया जाता है कि 44 सदस्यीय स्थायी समिति में केवल 13 सदस्य ही ओली के पक्ष में हैं। पिछले सप्ताह हुई बैठक में प्रचंड ने ओली पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे नेपाल को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे।
उन्होंने कहा था, “हमने सुना है कि सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश मॉडल पर काम चल रहा है। लेकिन इस तरह के प्रयास सफल नहीं होंगे। भ्रष्टाचार के नाम पर कोई हमें जेल में नहीं डाल सकता है। देश को सेना की मदद से चलाना आसान नहीं है और ना ही पार्टी को तोड़कर विपक्ष के साथ सरकार चलाना संभव है।”
तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच ओली को चीन द्वारा हनी ट्रैपिंग में फॅंसाने की अफवाहें भी पिछले कई दिनों से चल रही है। मेजर गौरव आर्या ने भी पिछले दिनों इस संबंध में ट्वीट किया था। हालॉंकि ओली के सेक्स टेप को लेकर सोशल मीडिया में अब तक किए गए दावे निराधार ही साबित हुए हैं।