कानपुर/लखनऊ। गैंगस्टर विकास दुबे गुरुवार रात की घटना के बाद से फरार है, लेकिन इस दौरान पुलिस जांच में कई महत्वपूर्ण खुलासे हो रहे हैं, जो बता रहे हैं कि कानपुर में विकास दुबे का मतलब क्या था? लोगों के बीच विकास दुबे को लेकर इतनी दहशत थी कि वो कुछ भी बोलने से घबराते थे. वजह थी पुलिस और सत्ता तक उसकी पहुंच, पावर का पागलपन. एक खुलासे के मुताबिक विकास दुबे गुरुवार की रात आठों पुलिस वालों की मौत के बाद उनके शव को गांव में ही चौराहे पर जलाना चाहता था. इन सब में विकास दुबे की मदद कर रहे थे डरे हुए गांव के लोग.
गुरुवार को पुलिस वालों की हत्या की खबर मिलने के बाद जब पुलिसकर्मी वहां पहुंचे तो पुलिस वालों के शव एक के ऊपर एक पड़े हुए थे. सभी शवों को जलाने के लिए घर में मौजूद ट्रैक्टर से तेल निकाला जा रहा था. तभी पुलिस की दूसरी टीम मौके पर पहुंच गई और बदमाश वहां से भाग निकले. गांव में विकास का खौफ ऐसा था कि किसी ने भी उसके खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटाई. पुलिस, गांव वालों से पूछती रही लेकिन सब चुपचाप रहे.
विकास के खौफ को ऐसे भी समझा जा सकता है कि शनिवार को प्रशासनिक अधिकारी करीब छह घंटे गांव में रहे, विकास दुबे के घर को उसकी ही जेसीबी से तोड़ते रहे लेकिन कोई भी गांव वाला ये सब देखने घर से बाहर नहीं निकला. यही वजह है कि इतने बड़े हत्याकांड के बाद भी किसी ने अब तक विकास के खिलाफ खुलकर गवाही नहीं दी है.
लखीमपुर खीरी की एसपी पूनम ने आजतक को बताया, ‘विकास दुबे को लेकर नेपाल बॉर्डर पर अलर्ट कर दिया गया है. यहां नेपाल से जुड़ी 120 किमी की सीमा है, चार थाने हैं, हर जगह फोटो चस्पा कर दी गई है, एसएसबी के अधिकारियों से बात हो गई है. जिले के बॉर्डर पर भी अलर्ट है और जांच की जा रही है.’
वहीं पुलिस ने मोबाइल कॉल डिटेल के आधार पर कई लोगों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है. ये सभी वे लोग हैं जिन्होंने पिछले 24 घंटे में विकास दुबे से बात की थी. विकास से बात करने वाले लोगों में कुछ पुलिस वालों के नंबर भी हैं. इसलिए इस बात की भी आशंका जाहिर की जा रही है कि जब पुलिस की टीम विकास दुबे से पूछताछ के लिए निकली थी तो किसी ने फोन कर इस बात की जानकारी पहले ही दे दी.
जानकारी के मुताबिक पुलिस की जांच में आया है कि चौबेपुर थाने के ही एक दारोगा ने विकास को पुलिस के आने की जानकारी पहले दी थी. शक के घेरे में एक दारोगा, एक सिपाही और एक होमगार्ड है. तीनों की कॉल डिटेल के आधार पर उनसे पूछताछ की जा रही है.
बताया जाता है कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की पकड़ सभी राजनीतिक दलों में है. साल 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए. गैर कानूनी तरीके से काफी सारी संपत्ति बनाई. इस दौरान बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में विकास दुबे का खासा दबदबा था. विकास दुबे ने जेल में रहते हुए शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था.