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ऐसा था गैंगस्टर विकास दुबे का बंकर, जमा किया था मौत का सामान!

लखनऊ। तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन यूपी पुलिस को अब तक मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल विकास दुबे का कोई सुराग नहीं मिला. आखिर कहां छिपा है गैंगस्टर विकास दुबे. ये एक ऐसा सवाल है जो देश के सबसे बड़े सूबे की पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. इस बीच विकास को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 8 पुलिसवालों की जान लेने वाले विकास दुबे ने अपने आतंकी किले में एक बंकर बना रखा था, जो किसी सेना के बंकर जैसा था. उसके ठिकाने पर दबिश देने गई पुलिस टीम उसका किला तो भेद नहीं पाई लेकिन 8 पुलिस वालों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

चारों तरफ ऊंची-ऊंची दीवारें. दीवारों के ऊपर तार की बाड़. घर के अंदर लग्जरी गाड़ियां. वो आतंक का ऐसा किला था, जिसके खौफ की गूंज आस-पास के कई जिलों तक सुनाई देती थी. बदमाशों का वो कैंप जिसे भेदने में 8 पुलिसवालों को अपनी जान गंवानी पड़ी. किसी भी हमले से निपटने के लिए वहां पूरे इंतजाम थे. किले में बाकायदा एक बंकर बना हुआ था. यहीं नहीं दीवारों के अंदर गोला बारूद चुनवाया गया था.

उन चार दीवारों के अंदर सिर्फ लग्जरी गाड़ियां ही नहीं थीं. बल्कि हथियारों का जखीरा भी था. जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ही नहीं थे. बल्कि असलहे और गोला बारूद भरे हुए थे. एके-47 और इंसास जैसे हथियार पुलिस ने वहां से बरामद किए हैं.

दरअसल, विकास दुबे के पास बदमाशों की एक फौज थी, जो हथियारों से लैस थी. हर बदमाश के पास अवैध हथियार थे. जिसमें एके-47 और इंसास जैसे हथियार शामिल थे. वो हर बड़ी साजिश गांव के पास एक बगिया में रचता था. फौज कितनी खतरनाक थी, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि पुलिस पर हमले के दौरान 200-300 राउंड फायर किए गए. जमीन पर खोखों के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था.

विकास और उसके गुर्गों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने पुलिस से भी हथियार लूट लिए थे. जिसमें एक एके-47, एक इंसास राइफल और 3 पिस्टल शामिल हैं. उसके घर के दीवारों की ऊंचाई 30 से 40 फीट तक थी. जो किसी जेल की दीवारों की तरह नजर आती थी. दीवारों के ऊपर तारों की बाड़ लगा रखी थी ताकि घर के अंदर कोई घुस ना सके. घर किले जैसा था तो सिक्योरिटी सिस्टम ऐसा कि परिंदा भी पर ना मार सके.

स्थानीय लोग बताते हैं कि घमंड में डूबा विकास दुबे अक्सर कहता था कि उसके दुर्ग को सेना ही भेद सकती है. बाकी किसी के बस की बात नहीं. सिक्योरिटी सिस्टम ही नहीं बल्कि नेटवर्क ऐसा कि पुलिस की दबिश की सूचना पहले ही मिल जाती है. थाने से बिजली विभाग को फोन जाता है और इलाके की लाइट काट दी जाती है. जेसीबी मशीन से रास्ता ब्लॉक कर दिया जाता है और फिर गोलियों की ऐसी बारिश होती है कि पूरा सूबा हिल जाता है.

आज भले ही विकास का वो किला खंडहर में तब्दील हो गया हो, जिसके साथ ही दफ्न हो गई खौफ की वो कहानी. जिसने कई सालों तक आसपास के कई जिलों में आतंक मचा रखा था. लेकिन इस दुर्ग का शैतान अभी भी फरार है. जो पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है.

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