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सनी देओल का फैन विकास दूबे बन गया “विकास पंडित”, एकदम फिल्मी है कहानी

लखनऊ।  यूपी पुलिस से छिपकर भाग रहे कुख्यात अपराधी विकास दूबे को फिल्में देखने का बेहद शौक है, सनी देओल की कुछ फिल्में उन्हें बेहद पसंद है, उनकी पसंदीदा फिल्म अर्जुन पंडित है, विकास को ये फिल्म इतनी पसंद आई कि उनसे अपना नाम विकास पंडित कर लिया, उसके साथ रहने वाले गुर्गे उसे पंडित कहकर बुलाने लगे, आस-पास के गांव के लोग भी उसे विकास पंडित कहकर संबोधित करने लगे, इनमें चौबेपुर थाने के एसएचओ से लेकर कांस्टेबल तक शामिल थे।
गैंगस्टर का किरदार

आपको बता दें कि साल 1999 में सनी देओल की फिल्म अर्जुन पंडित रिलीज हुई थी, जिसमें एक्टर ने गैंगस्टर का किरदार निभाया था, Vikas Dubey5विकास की कहानी भी कुछ फिल्मी ही है, उसे वैसे फिल्में ज्यादा पसंद आती है, जिसमें हीरो विलेन का किरदार निभा रहा हो, उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो, विकास दूबे ने सैकड़ों बार इस फिल्म को देखा।

भेष बदलने में माहिर

विकास दूबे की तलाश में यूपी पुलिस की टीम ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है, लेकिन पुलिस अभी तक उसके पास पहुंच नहीं पाई है, Kanpur dehatजानकारों के मुताबिक विकास ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता है, ऐसे में उसे ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है, दूसरी आशंका भेष बदलने को लेकर है, विकास को करीब से जानने वालों का कहना है कि वो भेष बदलने में माहिर है, वो किसी दूसरे प्रदेश में खेतों में मजदूरी या रेहड़ी लगाकर सामान बेचने का भी काम कर सकता है।

राजनीति में खास रुचि

विकास राजनीति में भी सक्रिय था, 2015 में वो नगर पंचायत चुनाव जीता था, स्थानीय नेताओं का उसे संरक्षण प्राप्त था, सपा, बसपा के साथ-साथ बीजेपी में भी उसके अच्छे रिश्ते थे, सूत्रों का दावा है कि विकास दूबे के नेताओं से लिंक का पता लगाने के लिये सीएम योगी ने निर्देश दिये हैं, उन सभी अधिकारियों और नेताओं की सूची तैयार की जा रही है, जो विकास को संरक्षण दे रहे थे।

आखिर अब तक कैसे बचता रहा विकास
थाने में घुसकर बीजेपी नेता (राज्य मंत्री) संतोष शुक्ला की हत्या करने के बाद भी विकास कैसे बचता रहा, इस पर संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला ने बताया कि पुलिस वालों ने उनके भाई की हत्या में कमजोर चार्जशीट तैयार किया, साथ ही पुलिस वाले बयान से भी मुकर गये, जिसकी वजह से विकास आज पुलिस वालों की मौत का कारण बना है, 2005 में वो बीजेपी नेता हत्याकांड से बरी हो गया, तत्कालीन सरकार इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट भी नहीं गयी, क्योंकि तब विकास दूबे को बसपा का संरक्षण था, स्थानीय लोगों के मुताबिक एक प्रिंसिपल हत्या मामले में उसे उम्रकैद की सजा हुईआ थी, लेकिन आम चुनाव से पहले सत्तारुढ दल के नेता ने उसे जेल से बाहर निकलवाने में मदद की, जिसकी वजह से आज उसने इतना बड़ा कांड कर दिया।

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