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विकास के सुरक्षित सरेंडर से साफ है कि उसे कहीं न कहीं से सियासी मदद मिली

लखनऊ। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे बहुत ही नाटकीय ढंग से उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। विकास की गिरफ्तारी के लिए चारों ओर हाथ पांव मार रही यूपी पुलिस ने उसके पांच गुर्गों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। लेकिन, विकास की अजीबोगरीब ढंग से गिरफ्तारी के बाद ऐसी चर्चाओं में और तेजी आ गई है कि आखिरकार राजनीतिक संरक्षण के जरिये विकास खुद को एनकाउंटर से बचाने में सफल हो गया। विकास के सरेंडर में कई बड़े सियासी लोगों के नाम भी उछल रहे हैं।

यूपी शासन और पुलिस के रुख मुठभेड़ की वारदात के बाद साफ था कि किसी भी हाल में विकास दुबे को मार गिराना है। यूपी पुलिस की 100 से ज्यादा टीमें विकास को तलाश रहीं थी,लेकिन उसके बाद भी उसके सुरक्षित सरेंडर से साफ है कि उसे कहीं न कहीं से सियासी मदद मिली। विकास को ढूंढने में लगे यूपी पुलिस के कई अपराधी भी इस बात से चकित हैं कि आखिर विकास ने इस तरह फिल्मी अंदाजा में कैसे आत्मसमपर्ण किया।

आठ पुलिसकर्मियों की मौत के बाद विकास दुबे अपने गांव बिकरू से फरार हो गया। विकास वहां से शिवली पहुंचा और अपने मित्र के यहां शरण ली। विकास इतनी बड़ी वारदात करके भागा है,यह बात रात में उसके दोस्त को नहीं पता था। सुबह होने पर उन्हें शूट आउट के बारे में पता चला, लेकिन विकास के चलते वह कुछ नहीं कह पाए। सूत्रों के मुताबिक, विकास यहां दो दिन रुका। यहीं पर विकास ने अपनी फरारी और सरेंडर के लिए अपने संपर्कों को खंगालना शुरु किया। .

सूत्रों के मुताबिक, विकास के यूपी में तमाम संपर्क थे। वह यूपी में हीआत्मसमर्पण करना चाहता था। लेकिन, मामले के राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो जाने और पुलिस के तेवर के चलते यह मुश्किल था। पिछले 6 दिनों में कम से कम 5 से 7 बार ऐसा अलर्ट आया कि विकास दुबे सरेंडर कर सकता है। सबसे पहले लखीमपुर से खबर आती है कि वह बॉर्डर क्रॉस करने वाला है लेकिन पुलिस वहां भी मुस्तैद थी। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस की सख्ती के कारण विकास नेपाल भी नहीं भाग सकता था। नेपाल सीमा पर सख्ती और कचहरियों में पुलिस के डेरे कारण विकास के सामने यूपी छोड़ने का ही रास्ता बचा था।

2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान मध्य प्रदेश के भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा कानपुर और बुंदेलखंड मंडल के चुनाव प्रभारी बनाए गए थे। चौबेपुर, बिल्हौर, बिठूर और शिबली भी उनके प्रभार क्षेत्र में शामिल थे। इन इलाकों में विकास का खासा दबदबा माना जाता रहा है। 2017 के एक वीडियो में खुद विकास सत्ता पक्ष के दो स्थानीय विधायकों की चुनाव में मदद की बात स्वीकार कर रहा है। कानपुर में चर्चा है कि लोकसभा चुनावों में विकास दुबे ने भाजपा का समर्थन किया था। फिलहाल मध्य प्रदेश के उज्जैन में विकास के सरेंडर के बाद इन सारी बातों के तार जोड़े जा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ भी आरोपों में ऐसा ही इशारा कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश ही क्यों?
मध्य प्रदेश में विकास के सरेंडर की एक वजह यह भी है कि उसका आपराधिक नेटवर्क कानपुर और यूपी-एमपी सीमा के बुंदेलखंड तक फैला हुआ था। हत्या के एक मामले में उसने मध्य प्रदेश में फरारी काटी थी। एक मामले में वह मध्य प्रदेश के महाराजपुर से ही गिरफ्तार हुआ था। इसके अलावा विकास का साला राजू निगम भी शहडोल में रहता है। सूत्र बताते हैं कि पहले विकास को हरियाणा पुलिस के सामने सरेंडर की सलाह दी गई थी,लेकिन लोकेशन ट्रेस होने के कारण यह संभव नहीं हो सका। सूत्र बताते हैं कि अपने साथियों के एनकाउंटर के बाद विकास काफी घबड़ाया हुआ था और राजस्थान भागने की योजना बना रहा था। पुलिस के बढ़ते दबाव के बीच ही उसे अपने सियासी संरक्षकों से उज्जैन पहुंचने का इशारा मिला। बताते हैं कि महाकाल मंदिर को सरेंडर के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यहां पुलिस के फायरिगं करने की संभावना न के बराबर थी।

नरोत्तम मिश्रा ने दिया ये जवाब-

 

कांग्रेस ने ये लिखा-

दिग्विजय सिंह ने ये किया ट्वीट-

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