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8 पुलिसकर्मियों की हत्या से लेकर सरेंडर जैसी गिरफ्तारी और फिर 8वें दिन विकास दुबे के ढेर होने तक की पूरी कहानी

लखनऊ। 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे का वही अंजाम हुआ जिसकी आशंका थी। शुक्रवार सुबह वह कानपुर में पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। उज्जैन से कानपुर लाते हुए एसटीएफ की गाड़ी पलटने के बाद उसने भागने की कोशिश की और पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। आइए आपको बताते हैं 2 जुलाई से 10 जुलाई के बीच की पूरी कहानी…

2 जुलाई को 8 पुलिसकर्मियों की हत्या
2 जुलाई गुरुवार की रात 12 बजे चौबेपुर शिवराजपुर, बिल्हौर और बिठूर थाने के 35 पुलिसकर्मियों की टीम चौबेपुर थाना क्षेत्र में पड़ने वाले बिकरू गांव निवासी कुख्यात अपराधी विकास दुबे के घर दबिश देने गई थी। हिस्ट्रीशीटर के गांव के ही रहने वाले राहुल तिवारी नाम के युवक ने विकास के खिलाफ जान से मारने की धमकी और अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया था। गुरुवार को पुलिस कार्रवाई के साढ़े पांच घंटे पहले ही विकास दुबे को इस बात का पता चल जा गया था कि 35 पुलिसकर्मी दबिश देने आ रहे हैं। विकास ने अपने साथियों को हथियारों के साथ बुलाया और घर के बाहर जेसीबी खड़ी करवाकर रास्ता बंद कर दिया, ताकि पुलिसवालों को भागन का रास्ता न मिल पाए। पुलिस कार्रवाई से पहले ही विभाग में सक्रिय विकास दुबे के भेदियों ने सबस्टेशन फोन कर लाइन टूट जाने की फर्जी सूचना देकर बिकरू गांव की बत्ती बंद करा दी। रात करीब 1.30 पर विकास की घेराबंदी में उसके गुर्गों ने करीब 100 राउंड फायरिंग की। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की पर सीओ देवेंद्र मिश्र समेत 8 पुलिस कर्मियों को घेरकर मौत के घाट उतार विकास भाग निकला। इसके करीब दो घंटे बाद लगभग एक दर्जन थानों की पुलिस और सीओ सर्किल की फोर्स में मौजूद 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने बिकरू समेत आसपास के पांच गांवों को घेर लिया। पूरी रात सर्च ऑपरेशन चला।

3 जुलाई: दो बदमाश ढेर
सुबह डीजीपी के निर्देश पर एसटीएफ के तेजतर्रार जवानों की मौजूदगी में पुलिस ने तगड़ी घेराबंदी की। बिकरू के पास हुई मुठभेड़ में विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडेय और भतीजा अतुल दुबे मार गिराए गए।  एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, डीजीपी दोपहर 12 बजे  बिकरू गांव पहुंचे। 60 से अधिक पुलिस की टीमें, 1500 से अधिक जवान, क्राइम ब्रांच की टीमों ने पूरे यूपी में विकास और उसके गैंग की तलाश शुरू की। मुख्यमंत्री खुद कानपुर पहुंचे और शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को एक-एक करोड़ देने का एलान किया।
विकास दुबे के लिए मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के इंस्पेक्टर विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया।

4 जुलाई: मकान पर बुलडोजर
4 जुलाई को पुलिस ने विकास दुबे के घर पर बुलडोजर चलवा दिया, लग्जरी कारें व ट्रैक्टर तोड़ डाले। फिर नेस्तनाबूत घर पर पूरी रात सर्च ऑपरेशन चला। आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि सूचना थी कि विकास ने दीवारों में हथियार चुनवाकर छिपाए हैं इसलिए दीवारों को तोड़कर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

5 जुलाई: सुरंग में मिले विस्फोटक

विकास के घर में तलाशी में मिले तहखाने व सुरंग में विस्फोटक सामग्री और कई हथियार बरामद किए गए। विकास का नौकर कल्लू शहर से भागने की फिराक में था तभी कल्याणपुर पुलिस ने मुठभेड़ में धर दबोचा।

छह जुलाई: तीन गिर्फ्तार, इनामी राशि ढाई लाख
पुलिस ने कल्लू की पत्नी समेत हमले में मदद करने वाले विकास के साढ़ू समेत तीन को गिरफ्तार कर लिया। उधर, डीजीपी ने आईजी मोहित अग्रवाल की सिफारिश पर विकास पर इनामी राशि ढाई लाख कर दी।

7 जुलाई: पोस्टर जारी हुआ
पुलिस विकास के 15 साथियों का पोस्टर जारी हुआ। देर रात पुलिस को हरियाणा के फरीदपुर के एक होटल में विकास दुबे की लोकेशन मिलती है। पुलिस के पहुंचने से पहले विकास वहां से फरार हो गया। सीओ देवेंद्र मिश्रा की चिट्ठी की जांच करने लखनऊ से आईं आईजी लक्ष्मी सिंह की जांच-पड़ताल में विनय तिवारी पर कार्रवाई न करने की आंच में फंसे कानपुर के तत्कालीन एसएसपी/डीआईजी अनंत देव का एसटीएफ डीआईजी के पद से तबादला कर दिया जाता है। दबिश की मुखबिरी के संदेह में चौबेपुर थाने के सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया।

8 जुलाई: सिर पर 5 लाख का इनाम
सुबह विकास के सबसे करीबी अमर दुबे को पुलिस हमीरपुर के पास मुठभेड़ में मार गिराती है। इसके बाद विकास का एक और साथी श्यामू बाजपेई को चौबेपुर पुलिस ने मुठभेड़ के बाद किया गिरफ्तार। विकास दुबे पर डीजीपी ने ढाई लाख से इनाम बढ़ाकर 5 लाख किया। विकास के तीन करीबियों प्रभात, अंकुर और उसके पिता श्रवण को हथियारों के साथ फरीदाबाद से पकड़ा।

9 जुलाई: प्रभात का एनकाउंटर
फरीदाबाद से प्रभात को ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर पुलिस लेकर आ रही थी, तभी पनकी के पास पुलिस की गाड़ी पंचर हो गई। इस दौरान शातिर प्रभात पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने लगा। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। बिकरू गांव निवासी प्रवीण उर्फ बउवा ने देर रात महेवा के पास हाईवे पर स्विफ्ट डिजायर कार को लूटा था। उसके साथ तीन और बदमाश थे। पुलिस को लूट की जैसे ही खबर मिली चारों को सिविल लाइन थाने के काचुरा रोड पर घेर लिया। पुलिस और बउवा के बीच फायरिंग शुरू हो गई। इस फायरिंग के दौरान बउवा को ढेर कर दिया गया।

विकास दुबे गिरफ्तार
9 जुलाई को सुबह करीब 8.50 पर सावन के तीसरे दिन उज्जैन स्थित महाकाल के दर्शन करने गए दुर्दांत 5 लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे को मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने पहचान लिया। सूचना पर पहुंची उज्जैन पुलिस ने विकास को किया गिरफ्तार। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि विकास ने खुद वहां लोगों को अपनी पहचान बताई। वह एनकाउंटर से बचने के लिए मंदिर गया था।

विकास दुबे एनकाउंटर में ढेर
उज्जैन से कानपुर लाए जा रहे कुख्यात अपराधी विकास दुबे का वाहन कानपुर के बर्रा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके कुछ देर बाद ही जानकारी आई कि वह मुठभेड़ में मारा गया है। कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि सड़क हादसे के बाद कुख्यात अपराधरी विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया। इस दौरान कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

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