नई दिल्ली। सचिन पायलट को चार दिन की मिली कानूनी मोहलत ने अपने विधायकों की बगावत की सियासी चुनौती से जूझ रही कांग्रेस की मुश्किलें ज्यादा बढ़ा दी हैं। गहलोत समर्थक अपने विधायकों को इतने लंबे समय तक घेरेबंदी में रखना पार्टी के लिए सहज नहीं हो रहा। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के तमाम आक्रामक प्रयासों के बावजूद पायलट ने विधायकों को तोड़ने का अपना दांव छोड़ा नहीं है। पायलट के इन प्रयासों में भाजपा के खुले समर्थन की सियासी आहटों ने भी कांग्रेस की चुनौती और चिंता दोनों में इजाफा किया है।
कांग्रेस सतर्क, कानूनी मोहलत में पायलट के सियासी प्रयासों को लेकर बेहद सतर्क पार्टी
पायलट के पीछे भाजपा की ताकत बढ़ा रही कांग्रेस-गहलोत की परेशानी
पार्टी की अंदरूनी चर्चा में कहा जा रहा कि विधायकों पर डोरे डालने के पायलट के प्रयासों को थामना गहलोत के लिए बहुत मुश्किल नहीं है, लेकिन उनकी परेशानी इसीलिए बढ़ रही कि अब तक परोक्ष रुप से पायलट के पीछे खड़ी भाजपा पूरी ताकत से खुलकर उनके समर्थन में मैदान में उतर गई है।
विधायकों को लंबे समय तक एकजुट रख पाने को लेकर कांग्रेस की चिंता बढ़ गई
पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि भाजपा के कई केंद्रीय रणनीतिकार राजस्थान में आपरेशन लोटस के लिए सक्रिय हो गए हैं। इसीलिए जयपुर में अपने विधायकों को लंबे समय तक एकजुट रख पाने को लेकर कांग्रेस की चिंता ज्यादा बढ़ गई है।
भाजपा के कुछ केंद्रीय नेता गहलोत की परेशानी बढ़ा सकते हैं
कांग्रेस के संकट प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ पार्टी रणनीतिकार ने कहा कि भाजपा और केंद्र की एनडीए सरकार की ताकत के सहारे पायलट जयपुर के होटल में जमा कुछ उन पार्टी विधायकों से फिर संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं जो वापस गहलोत खेमे में लौटे आए थे। उन्होंने कहा कि बेशक गहलोत समर्थक विधायकों में तोड़फोड़ कराने की पायलट की सियासी क्षमता नहीं है। लेकिन पायलट की तरफ से भाजपा के कुछ केंद्रीय नेताओं का इस प्रयास में शामिल होना स्वाभाविक रुप से गहलोत की परेशानी बढ़ा सकता है।
भाजपा को रोकने के लिए आडियो टेप को लेकर एसओजी ने जांच की कार्रवाई शुरू कर दी
भाजपा के इस दांव को रोकने के लिए ही खरीद फरोख्त से जुड़े कथित आडियो टेप सामने आते ही उसके खिलाफ राजस्थान पुलिस के स्पेशल आपरेशन ग्रुप ने जांच की कार्रवाई शुरू कर दी। तो शनिवार को राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो ने भी इस प्रकरण में भ्रष्टाचार का अलग मामला दर्ज कर लिया है।
प्रकरण सीबीआई के पास गया तो पूरा मामला कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगा
इसके बावजूद कांग्रेस की चिंता खत्म नहीं हुई क्योंकि भाजपा ने खरीद फरोख्त के मामले को फोन टैपिंग का गैर कानूनी प्रकरण बना सीबीआई जांच की मांग उठा दी है। ऐसे में यह प्रकरण सीबीआई के पास गया तो पूरा मामला कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगा। ऐसे में भाजपा और पायलट की दोहरी चुनौती गहलोत के लिए आसान नहीं होगी।
कांग्रेस पायलट को लेकर सियासी सर्तकता बरत रही
कांग्रेस इसके मद्देनजर ही पायलट को लेकर चौतरफा सियासी सर्तकता बरत रही है तो उनके समर्थकों में सियासी असमंजस पैदा करने के लिए पार्टी का दरवाजा खुला रखने की बात भी कह रही है। पायलट के भाजपा की गोद में चले जाने के उदाहरण देने के बाद पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शनिवार को भी कांग्रेस का दरवाजा बागी नेता के लिए खुला होने की बात कह इस रणनीति का संकेत भी दे दिया। हालांकि होटल से अदालत तक पहुंची इस सियासी लड़ाई में कांग्रेस और पायलट एक दूसरे के लिए कहां खड़े हैं दोनों इस हकीकत को जानते हैं।
मगर पायलट एक साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने का खुला वादा करने की शर्त से पीछे नहीं हटे
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीच बचाव की पूरी कोशिश की थी मगर पायलट कम से कम आखिर के एक साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने का खुला वादा करने की शर्त से पीछे नहीं हटे तो डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष दोनों पदों से बर्खास्त कर दिया गया। अपनी ही सरकार को गिराने की साजिश की अगुआई करने की उनकी कोशिश को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व पायलट की शर्त मानने को राजी नहीं था।
पायलट जब अदालत चले गए तब कांग्रेस ने सुलह का संवाद बंद कर दिया
हालांकि उनका सियासी सम्मान कायम रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में महासचिव के अहम पद के साथ कांग्रेस कार्यसमिति में शामिल होने का विकल्प दिया गया। पायलट को यह मंजूर नहीं था और जब स्पीकर की नोटिस के खिलाफ वे अदालत चले गए तब कांग्रेस ने भी अपनी तरफ से सुलह का संवाद बंद कर दिया। हालांकि पी चिदंबरम सरीखे कुछ नेताओं ने निजी तौर पर पायलट को समझाने की उसके बाद भी कोशिश जरूर की पर कांग्रेस इस हकीकत को स्वीकार कर चुकी है कि पायलट की राह अब अलग हो चुकी है।