राजेश श्रीवास्तव
इन दिनो देश में कोरोना के मरीजों की संख्या सबसे भयावह है। दुनिया में भारत की स्थिति बेहतर है यह कहने वाली भारत की सरकार ने अब जिस लिहाज से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है इस दशा में हथियार डाल दिये हैं। भले ही सरकार यह कहे कि सब कुछ ठीक-ठाक है लेकिन ऐसा है नहीं। सरकार के पास अब संसाधनों की कमी का टोटा दिखने लगा है। अब जब देश में कोरोना मरीजों की संख्या साढ़े दस लाख का आंकडा पार कर चुकी है तब उसके पास अस्पतालों में जगह नहीं है। अस्पतालों में मरीजों को चार से पांच दिनांे का इंतजार करना पड़ रहा है। एंबुलेंस में गंभीर मरीज को बिठा कर भी पांच-छह घंटे घुमाना पड़ रहा है।
कई मरीजों ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया । उत्तर प्रदेश में भी कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। यहां कोरोना सरकार के कंट्रोल से बाहर हो गया है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां खुद कमान संभाले हुए हैं। रोज सुबह 11 बजे कोरोना की बैठक चलती है और समीक्षा की जाती है। इसके बावजूद सरकार बेबस नजर आ रही है। कोरोना की स्थिति यह है कि सरकार के कई मंत्री व आईपीएस अधिकारी कोरोना पाजिटिव हो गये हैं।
खुद मुख्यमंत्री के दो सुरक्षा कर्मी, उनकी सोशल मीडिया टीम के दो कर्मचारी भी कोरोना पाजिटिव हैं। उनके कार्यालय लोकभवन में भी कोरोना ने दस्तक दे दी है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं। जबकि अब हर रोज तकरीबन दो हजार मरीज बढ़ रहे हंै। आज भी कोरोना से अकेले लखनऊ में ही चार लोगों की मौत हो गयी और 228 लोग कोरोना पाजिटिव निकले। अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था का दावा करने वाली योगी सरकार ने ऐसे में नयी गाईड लाइन बना ली और निजी महंगे होटलों को कोरोना अस्पताल घोषित कर दिया।
सरकार ने जब महंगे होटलों को कोविड अस्पताल बनाया तो यह नहीं ध्यान रखा कि इस समय लोगों की आर्थिक व्यवस्था ने कमर तोड़ रखी है। ऐसे में महंगे होटलों में सरकार ने जो दो से तीन हजार रुपये का खर्च प्रतिदिनि बताया है। इस महंगे खर्च को वहन करने की क्षमता कितने कोरोना मरीजों मंे है। वह पहले से ही टूटे हुए हैं। सरकार ने जब इन होटलों को कोविड अस्पताल बनाया तो इन होटलां की तो चांदी हो गयी क्योंकि इन होटलों में कोरोना काल में कोई आ-जा नहीं रहा था इसलिए कोविड अस्पताल बनते ही इनकी बांछे खिल गयीं।
सरकार ने आनन-फानन में वाटर पार्कों को भी कोविड अस्पताल बना दिया। लेकिन यह नहीं सोचा कि इन मरीजों के पास पैसा कहां से आयेगा कोरेंटीन होने का और इलाज कराने का। ऐसे में मरीज अपना इलाज न करा पाने को बेबस है। कल ही लखनऊ के हसनगंज थाना क्ष्ोत्र से एक व्यक्ति ने मुझे फोन कर बताया कि उसकी कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आयी है मैं कहां जाऊं। वे लोग कह रहे हैं कि अस्पताल मंे जगह नहीं है आप आनंदी वाटर पार्क जाइये लेकिन मेरे पास वहां देने के लिए पैसा नहीं है।
मैं छोटी सी दुकान करता हूं जो लंबे समय से बंद है। ऐेसे में उसने अपने आप को घर में ही कैद करने का मन बनाया। लेकिन सवाल यह है कि इस तरह की स्थिति अगर उत्तर प्रदेश में है तो फिर किस तरह का दावा कि सब कुछ ठीक है। सब कुछ ठीक तो तब होता है जब सरकार आम आदमी की चिंता करें यहां तो सरकार दावा भले ही करे कि यहां सब कुछ खुला हुआ है और मरीजों की संख्या नियंत्रण में हैै। लेकिन प्रदेश में चार आईपीएस समेत 136० से ज्यादा पुलिसकर्मी अब तक इसकी चपेट में आ चुके हैं।
एक पुलिस उपाधीक्षक समेत 1० पुलिसकर्मियों की इससे मौत भी हो चुकी है। अब तक 47 हजार 149 मरीज कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं। सरकार के करीब पांच मंत्री तो विपक्ष के कई अन्य नेता भी कोरोना पाजिटिव पाये गये हैं। लेकिन सरकार अभी जागी नहीं है। जब देश के कई राज्यों में संपूर्ण लॉक डाउन कर दिया गया है तब उत्तर प्रदेश सरकार सिर्फ शनिवार और रविवार को लॉक डाउन कर रही है।
जबकि इन दोनों दिनों में भी लोग सड़कों पर चहलकदमी करते देख्ो जा रहे हैं। यानि सख्ती नहीं बरती जा रही है। ऐसे में यूपी में अगर आप रहते हैं तो आपको सरकार से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए । आपको अपनी ख्ौरियत की चिंता खुद करनी है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिये और अपने आप को सुरक्षित नहीं नहीं तो अगर कोरोना हो गया तो आपका भाग्य ही जाने कि आपका क्या होगा। क्योंकि सरकार के पास न अस्पताल में जगह है न आपको देने के लिए इलाज। ऐसे में आप खुद को और अपने परिवार को संभालिये और दो गज की दूरी रखिये, वरना कब छह गज की जगह मिल जाये नहीं कहा जा सकता।