लखनऊ। काफी दिनों से बीमार चल रहे मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हो गया। करीब एक महीने से लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती 85 वर्षीय लालजी टंडन ने मंगलवार तड़के सुबह 5:35 बजे अंतिम सांस ली। सोमवार रात तबियत बिगड़ने पर उन्हें क्रिटिकल केयर वेंटिलेटर पर लिया गया था। लालजी टंडन के निधन की जानकारी उनके बेटे अशुतोष टंडन ने ट्वीट कर दी।
2 अप्रैल 1935 को लखनऊ में जन्मे लालजी टंडन ने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 में की थी। उनको यूपी क राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक से दूर होने के बाद लखनऊ लोकसभा सीट खाली हो गई थी। इसके बाद भाजपा ने लालजी टंडन को ही यह सीट सौंपी थी। लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से जीत हासिल की और संसद पहुंचे। लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2019 में उन्हें एमपी का राज्यपाल बनाया गया था।
अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब थे लालजी टंडन
अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। संघ से जुड़ने के दौरान ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी मुलाकात हुई। लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे। लालजी टंडन खुद कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका अदा की।
कब-कब लालजी टंडन बने मंत्री
1978 से 1984 और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। 19991 से 92 की यूपी सरकार में वह मंत्री भी बने। इसके बाद लालजी टंडन 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1997 में फिर से वह गर विकास मंत्री बने।