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विद्रोह की ओर बढ़ रहा कांग्रेस का घमासान, नेताओं में एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने की होड़

नई दिल्ली। नए नेतृत्व को लेकर दुविधा से गुजर रही कांग्रेस में युवा नेताओं बनाम बुजुर्ग दिग्‍गजों की अंदरूनी खींचतान अब विद्रोह की ओर बढ़ने लगी है। इस घमासान का आलम यह है कि जहां राहुल समर्थक युवा ब्रिगेड कांग्रेस की मौजूदा दुर्दशा के लिए यूपीए दौर के अग्रिम पंक्ति के नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं तो जवाबी वार करते हुए पुराने नेता भी 2019 में राहुल गांधी की अगुआई में हुई करारी हार पर खुले तौर पर अंगुली उठा रहे हैं।

पुरानी पीढ़ी के बड़े नेता नाराज

पार्टी में घमासान की स्थिति उस नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है कि पुरानी पीढ़ी के कई बड़े नेता आक्रोश में उबल रहे हैं। यह आक्रोश किसी भी समय पार्टी में विद्रोह जैसे हालात पैदा कर सकता है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि एक दिन पहले राज्यसभा सांसदों की सोनिया गांधी के साथ बैठक में हुई बातों के बाद कई वरिष्ठ नेता युवा ब्रिगेड की आड़ में चले जा रहे अंदरूनी सियासी दांव को पंक्चर करने के लिए अब खुलकर सामने आने से भी परहेज नहीं करेंगे। हालांकि सोनिया गांधी की सेहत की वजह से इन नेताओं ने अभी मुखर होना मुनासिब नहीं माना है।

युवा नेतृत्व के नाम पर पुराने नेताओं को किनारा करने की राहुल गांधी टीम की कथ‍ित कोशिशों पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘राजीव सातव और केसी वेणुगोपाल जैसे चेहरों के सहारे कांग्रेस को बदलने की बात आम के पेड़ पर तरबूज उगाने जैसी है। राहुल आम के पेड़ पर बेमौसमी आम उगाने का प्रयास करें तो शायद हम यह स्वीकार कर लें लेकिन आम के पेड़ पर वे तरबूज उगाने की कोशिश करेंगे तो यह नहीं चलेगा।’ वरिष्ठ नेताओं के इस रुख से साफ है कि राहुल को दोबारा अध्‍यक्ष पद देने के लिए पुरानी पीढ़ी के नेताओं को किनारा करने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए बुजुर्ग पीढ़ी तैयार है।

यूपीए में मंत्री रहे एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि बेशक पार्टी इस समय अपने सबसे विकट दौर में है। नेतृत्व के असमंजस की स्थिति अब लंबे समय तक स्वीकार्य नहीं रह पाएगी। वरिष्ठ नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए मनीष तिवारी ने भी राहुल के करीबी राजीव सातव पर निशाना साधा। कांग्रेस के राजनीतिक आधार खिसकने के लिए पुरानी पीढ़ी को दोषी ठहराने की सातव से जुड़ी खबर को शुक्रवार को अपने ट्वीट से टैग करते हुए तिवारी ने युवा ब्रिगेड को ही सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया।

भीतरघातियों की ओर इशारा

तिवारी ने कहा ‘कांग्रेस की सियासी किस्मत में गिरावट के लिए 2014 में क्या यूपीए जिम्मेदार था, यह एक वाजिब सवाल है। इस सवाल की पड़ताल जरूर होनी चाहिए।’ लगे हाथ मनीष तिवारी ने यूपीए सरकार की छवि खराब करने में कांग्रेस के अंदर से ही हुए प्रयासों की ओर इशारा करते हुए यह भी कहा कि ‘यह सवाल भी उतना ही अहम है कि क्या यूपीए को अंदर से ही नुकसान पहुंचाया गया।’ तिवारी ने 2019 की हार का भी विश्लेषण किए जाने की बात भी उठाई जो परोक्ष रुप से राहुल के नेतृत्व पर भी सवाल उठाता है।

कटघरे में युवा बिग्रेड

यूपीए सरकार पर लगे आरोपों के छह साल में कानून की कसौटी पर नहीं टिक पाने का जिक्र कर मनीष तिवारी ने टीम राहुल के ऐसे सवालों को भी ध्वस्त करने का संदेश दिया। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना रहा है कि राहुल गांधी के एक बिल की प्रति सार्वजनिक रूप से फाड़े जाने की घटना ने भी यूपीए की छवि बिगाड़ने में अपनी भूमिका निभाई थी। जाहिर तौर पर मनीष तिवारी का यह तीखा सवाल युवा बिग्रेड को कठघरे में खड़ा कर रहा है।

दिग्‍गज भी तैयार

सोनिया गांधी के साथ बैठक में गुरूवार को आनंद शर्मा, एके एंटनी और कपिल सिब्बल सरीखे वरिष्ठ नेताओं ने इस ओर इशारा भी किया था। वेणुगोपाल और राजीव सातव इस समय कांग्रेस में राहुल गांधी के सबसे मुखर समर्थक और खास सलाहकार हैं। केरल से राजनीति करने वाले वेणुगोपाल को अभी राजस्थान से राज्यसभा में लाया गया है जबकि हवा का रुख भांप कर 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने वाले सातव को भी राज्यसभा की सीट दी गई है।

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