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ओवैसी की ओर से दिखाए गए ‘बाबरी प्रेम’ पर शिवसेना ने ‘सामना’ के जरिए किया करारा प्रहार

मुंबई। अयोध्या (Ayodhya) में श्रीराम मंदिर (Sriram mandir) का भव्य भूमि पूजन होने होने पर ओवैसी (Owaisi) की ओर से दिखाए गए ‘बाबरी प्रेम’ पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए करारा प्रहार किया है. शिवसेना ने कहा कि ‘बाबर अब हिंदुस्थान तो क्या पूरी दुनिया में कहीं जिंदा नहीं है. अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण अब एक हकीकत बन चुका है. यह जन-भावनाओं की विजय है मिस्टर ओवैसी, अब रोना वगैरह बंद करो’. शिवसेना ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह इस मामले में नाक घुसाना बंद करे. सबसे पहले वह अपने संविधान में इस्लामिक रिपब्लिक हटाकर धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े, उसके बाद हमसे बात करे.

‘ओवैसी की बांग का देश के मुसलमान स्वागत नहीं करते’
सामना में प्रकाशित ताजा लेख में कहा गया है कि अयोध्या में भव्य-दिव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी ने  साष्टांग दंडवत होकर श्री राम के दर्शन किए. मोदी ने कहा कि राम जन्मभूमि संकट के चक्रव्यूह से मुक्त हो गई है. राहुल- प्रियंका समेत सभी नेताओं ने इसका स्वागत किया है. लेकिन विघ्नसंतोषी असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं कि बाबर जिंदा है और जिंदा रहेगा. ओवैसी की इस बांग देश के बाकी मुसलमान बंधु स्वागत नहीं करते.

‘बाबर अब हिंदुस्थान तो क्या उज्बेकिस्तान में भी जिंदा नहीं है’
सामना ने ओवैसी से पूछा कि बाबर कौन है. वह तुम्हारा क्या लगता है. कहा कि बाबर अब हिंदुस्थान तो क्या, पूरी दुनिया में कहीं भी जिंदा नहीं है. जिस उज्बेकिस्तान से वह आया, उस देश में वह कितना जिंदा है?. बाबर हिंदुस्थान में घुसने वाला आक्रांता था. हिंदुओं पर कुछ काल तक राज कर लेने से उनका अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाता. बाबर ने राम जन्मभूमि का विध्वंस किया और वहां मस्जिद बनाई. इस बात को ओवैसी जैसे नेता स्वीकार क्यों नहीं करते?

‘ओवैसी खुद कितने धर्मनिरपेक्ष, आत्मनिरीक्षण करें’
सामना ने कहा कि ओवैसी बोलते हैं कि हिंदुस्थान एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. इसलिए राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में उपस्थित होकर मोदी ने संवैधानिक शपथ तोड़ी है. लेकिन खुद ओवैसी कितने धर्मनिरपेक्ष हैं. इसका उन्हें आत्मपरीक्षण करना चाहिए.  ओवैसी ने अयोध्या के भूमि पूजन को हिंदुत्व की विजय कहा है. हम कहते हैं, यह न्याय और सत्य की जीत है. जो कानूनी रूप से संविधान के अंतर्गत मिली है. हिंदू धर्म की अपनी अलग शरीयत नहीं है और न ही यह अन्य धर्मों को काफिर मानता. राम मंदिर इसी संविधान के राष्ट्रीय प्रतीक है।

‘पूर्व पीएम नरसिंह राव ने धर्म निरपेक्षता पर सही उठाया था सवाल’
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहराव की प्रशंसा करते हुए सामना ने कहा कि अप्रैल 1992 में नरसिंह राव ने धर्म निरपेक्षता पर अपने विचार रखे थे. उन्होंने कहा था कि कोई दल धर्मनिरपेक्ष है. इसे कैसे साबित किया जाए. जामा मस्जिद में इमाम के सामने बैठकर राजनीतिक फायदे-नुकसान की बात करने वाले धर्मनिरपेक्ष और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण करने वाले धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं, ऐसा मानना ही धर्मनिरपेक्षता का ढोंग है. इस ढोंग को 6 दिसंबर 1992 को हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दिया गया.

‘यह जन भावनाओं की विजय है मिस्टर ओवैसी, अब रोना बंद करो’
ओवैसी पर अटैक करते हुए सामना ने लिखा कि असदुद्दीन कहते हैं कि मैं भावुक हो गया क्योंकि उस जगह पर 450 साल से एक मस्जिद खड़ी थी. ओवैसी जो कहते हैं, वह ढोंग ही है क्योंकि वहां पर 4  हजार साल से एक राम मंदिर था. उसे तोप  से गिराकर एक मस्जिद खड़ी कर दी गई. इसलिए भावुक किसे होना चाहिए. जो पाप तोपों से खड़ा किया गया था. उसे शिवसैनिकों ने अपने हथौड़ों से उद्ध्वस्त कर दिया. यह जन-भावनाओं की विजय है मिस्टर ओवैसी, अब रोना वगैरह बंद करो.

‘पाकिस्तान को हमारे मामले में नाक घुसाने की जरूरत नहीं’
पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख अहमद को निशान साधते हुए सामना ने लिखा कि वह कहते हैं कि भारत अब एक सेक्युलर देश नहीं रहा. वह अब ‘रामनगर’ बन गया है. पाकिस्तान को इस मामले में अपनी नाक घुसाने की जरूरत नहीं है. पाकिस्तान को सबसे पहले अपने संविधान से इस्लामी रिपब्लिक शब्द हटाकर उसे धर्मनिरपेक्ष घोषित करना चाहिए. साथ ही पाकिस्तान में मंदिरों, गुरुद्वारों और चर्चों पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए. वहां हिंदुओं से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है.  हिंदू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करवाया जा रहा है. ऐसे में पाकिस्तानियों को अपना मुंह खोलने की कोई जरूरत नहीं है.

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