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देश के सबसे खतरनाक और छोटे रनवे में शुमार है कालीकट हवाईअड्डा, जहां हुआ विमान हादसा, जानें उसकी खामियां

नई दिल्‍ल्‍ली/त्रिरुअनंतपुरम। कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कोझीकोड शहर के केंद्र से 28 किमी (17 मील) और मलप्पुरम से 25 किमी (16 मील) दूर करीपुर में स्थित है। कालीकट एयरपोर्ट देश के खतरनाक एयरपोर्ट में शुमार किया जाता है। उसका रनवे काफी छोटा है। यह पहाड़ी पर बना है। उसके दोनों ओर खाईं है।

ज्ञात हो कि केरल में एयर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान शुक्रवार की शाम को लैंडिंग के वक्‍त रनवे से फिसल गया। हादसे के चलते विमान के दो टुकड़े गए। हादसे में विमान के दोनों पायलटों समेत 14 लोगों की मौत हो गई है जबकि 123 से अधिक लोग घायल हुए हैं। कई की हालत नाजुक बताई जाती है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एयर इंडिया एक्सप्रेस का बोइंग 737 विमान दुबई से कालीकट की उड़ान पर था। विमान में कुल 191 लोग सवार थे। इनमें 174 यात्री, 10 नवजात, दो पायलट और पांच क्रू मेंबर शामिल हैं।

पहाड़ी पर बने देश के हवाईअड्डे

केरल में कोझीकोड हवाई अड्डे के अलावा मंगलोर का हवाई अड्डे और मिजोरम में लेंगपुई हवाई अड्डे के पास टेबलटॉप रनवे (पहाड़ि‍यों पर बने हवाईअड्डा) हैं। इन हवाई अड्डों पर रनवे पहाड़ियों की चोटी पर स्थित हैं। एक पायलट जब विमान लैंडिंग के लिए नीचे आता है तो मैदानों के समान स्तर पर होने का दृष्टि भ्रम पैदा करते हैं। बारिश के मौसम में ये रनवे काफी खतरनाक हो जाते हैं। यहां पर विमानों के फिसलने का खतरा होता है। इस हादसे ने आज से करीब 10 साल पहले मंगलुरु में एयर इंडिया एक्सप्रेस के ही एक विमान हादसे की यादें ताजा कर दी है। 22 मई 2010 को एयर इंडिया की दुबई से मंगलुरू आ रही फ्लाइट संख्या 812 लैंडिंग के वक्त रनवे को पार करते हुए पहाड़ी में जा गिरी। उस हादसे में 158 लोगों की मौत हो गई। उस विमान में 160 यात्री और 6 चालक दल के सदस्य थे। इस हादसे में सभी चालक दल के सदस्यों और 152 यात्रियों की हादसे में जान चली गई। सिर्फ 8 यात्री ही बच सके थे। राहत की बात यह है कि मंगलोर हादसे में प्लेन में आग लग गई थी, लेकिन कालीकट में हुए हादसे में प्लेन में आग नहीं लगी।

क्‍या है हवाईअड्डे की मानक चौड़ाई     

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने देश के सभी हवाई अड्डों का निर्देश दिया था कि चौड़ाई वाले विमानों का उपयोग करने वाले प्रत्येक दिशा में 240 मीटर होना चाहिए, जबकि कालीकट हवाई अड्डे का रनवे सिर्फ 90 मीटर है। ऐसे में इस हवाईअड्डे पर विमानों के लैंडिंग के लिए काफी कम जगह है। इससे विमान दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। कालीकट एयरपोर्ट के डायरेक्‍टर के जर्नादन ने कहा कि टेबल टॉप एयरपोर्ट में चौड़ाई वाले विमानों के संचालन में बाधा थी। रन-वे की लंबाई को मौजूदा 2,850 मीटर से बढ़ाकर 3,150 मीटर तक किया जाना चाहिए ताकि बड़े विमानों का संचालन किया जा सके। रनवे का विस्तार करने में बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण में देरी है, जिसके लिए रनवे और संबंधित सुविधाओं के विस्तार के लिए कुल 385 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। राज्य सरकार को यह काम मुश्किल लग रहा है क्योंकि इसमें हवाई अड्डे के आसपास रहने वाले 1,500 परिवारों को निकालने की आवश्यकता है।

यह हवाईअड्डा मलप्पुरम, पलक्कड़, वायनाड और कोझीकोड के मालाबार क्षेत्र में काम करता है। यह हवाई अड्डा 13 अप्रैल 1988 को खुला था। यह हवाई अड्डा एयर इंडिया एक्सप्रेस के लिए एक ऑपरेटिंग बेस के रूप में कार्य करता है। यह हवाई अड्डा केरल से मदीना और जेद्दा के लिए हज तीर्थयात्रा सेवाएं संचालित करता है। यह  भारत का ग्यारहवां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा था।

यह कोच्चि और तिरुवनंतपुरम के बाद केरल का तीसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। 2 फरवरी 2006 को इसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा दिया गया और यह टेबलटॉप रनवे वाला राज्य का एकमात्र हवाई अड्डा भी है। भले ही एयर इंडिया एक्सप्रेस एक हब है, यह भारत में अन्य हवाई अड्डों की तुलना में प्रतिदिन बड़ी संख्या में उड़ान संचालन करता है।

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