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‘सुशांत का हाल दाभोलकर जैसा न हो’ – शरद पवार ने कसा तंज, शिवसेना ने तो अपमानजनक ही बता डाला

मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (अगस्त 19, 2020) को दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत और केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) के मामले में अभिनेता रिया चक्रवर्ती और अन्य के खिलाफ पटना में दर्ज एफआईआर को स्थानांतरित करने की मंजूरी दे दी।

इसके बाद महाराष्ट्र सरकार में शामिल घटक दल राकांपा (NCP) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि आशा है कि सुशांत का मामला नरेंद्र दाभोलकर (Narendra Dabholkar) हत्या मामले में चल रही जाँच के नतीजों जैसा नहीं होगा। पवार ने कहा है कि उन्हें यकीन है कि महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करेगी और जाँच में पूरी तरह से सहयोग करेगी।

अपने ट्वीट में शरद पवार ने लिखा, ”सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत जाँच प्रक्रिया सीबीआई को हस्तांतरित करने का आदेश दिया है। मुझे यकीन है कि महाराष्ट्र सरकार इस निर्णय का सम्मान करेगी और जाँच में पूरी तरह से सहयोग करेगी।”

शरद पवार ने साथ ही सुशांत सिंह राजपूत केस की जाँच सीबीआई से कराने पर डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या केस को याद करते हुए यह भी कटाक्ष किया है कि इस जाँच का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। एनसीपी के नेता शरद पवार ने अपने पिछले बयान में कहा था कि यदि इस केस की जाँच सीबीआई को सौंपी जाती है तो उन्हें किसी तरह का कोई ऐतराज नहीं है।

ज्ञात हो कि अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हुए 7 साल हो चुके हैं। डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या अगस्त 20, 2013 को पुणे में गोली मार कर कर दी गई थी। जाँच एजेंसियाँ अब तक न ही उनके हत्यारों तक पहुँच सकी हैं और न ही हत्या के सूत्रधार तक।

शरद के पोते ने कहा ‘सत्यमेव जयते’

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में पटना में दर्ज FIR को CBI को ट्रांसफर करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पोते पार्थ पवार ने बिना किसी सन्दर्भ के एक ट्वीट में लिखा – ‘सत्यमेव जयते’

पार्थ ने मामले की जाँच सीबीआई से कराने की माँग की थी, जिस पर NCP प्रमुख शरद पवार ने गत सप्ताह उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार भी लगाई थी। पवार ने पार्थ को ‘अपरिपक्व’ भी बताया था।

शिवसेना ने बताया अपमानजनक

वहीं, सुशांत मौत के मामले की जाँच सीबीआई को ट्रांसफर होने पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में बिहार पुलिस की जाँच के अधिकार पर सवाल उठाए हैं। शिवसेना का कहना है कि इस केस में बिहार पुलिस की ओर से जाँच किया जाना ‘अपमानजनक’ है। मुंबई पुलिस इस केस की जाँच अच्छी तरह से कर रही है। ऐसे में इस मामले को सीबीआई के पास बिहार सरकार की तरफ से स्थानांतरित किया जाना ‘उचित’ नहीं था।

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