टोक्यो। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वास्थ्य कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. शिंजो आबे जापान के प्रधानमंत्री पद पर (Japan’s longest-serving prime minister, Shinzo Abe) सबसे लंबे समय तक टिके रहने वाले राजनेता हैं. हालांकि अब शिंजो के इस्तीफे के बाद जापान के नए प्रधानमंत्री को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं, कि आखिर वो कौन सा शख्स होगा, जो शिंजो आबे की विरासत को संभालेगा और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश जापान को आगे लेकर जाएगा. आइए एक नजर संभावित दावेदारों पर डाल लेते हैं:
तारो असो
जापान के वित्तमंत्री तारो असो (Finance minister Taro Aso) इस दौड़ में सबसे आगे हैं। तारो की उम्र 79 वर्ष है और वित्तमंत्रालय के साथ ही जापान के उप प्रधानमंत्री (Deputy Prime Minister) का पद भी संभाल रहे हैं. तारो शिंजो आबे प्रशासन में सबसे ताकतवर नेताओं में से एक हैं और माना जा रहा है कि वो जापान के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे. हालांकि उनकी ज्यादा उम्र को देखते हुए उन्हें जापान का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है, ताकि उनकी देखरेख में अगले प्रधानमंत्री की नियुक्ति की जा सके.
तारो असो साल 2008 में जापान के प्रधानमंत्री भी बने थे और माना जा रहा था कि वो पार्टी को आगे लेकर जाएंगे. उनकी अगुवाई में पार्टी ने साल 2009 का चुनाव भी लड़ा था. हालांकि उस चुनाव में पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था और पार्टी को तीन साल विपक्ष में बिताना पड़ा था. असो राजनेताओं के परिवार से आते हैं. उनके नाना भी जापान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
शिगेरू इशिबा
जापान के पूर्व रक्षामंत्री शिगेरू इशिबा (Shigeru Ishiba) शिंजो आबे की नीतियों का खुला विरोध करने वालों में से एक हैं. शिगेरू इशिबा को सैन्य नीतियों के मामले में कट्टर माना जाता है. जापान की जनता भी उन्हें पसंद करती है, लेकिन जापान की सत्ताधारी पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नीति निर्धारकों में उन्हें कम पसंद किया जाता है. शिगेरू इशिबा कृषि संबंधित मामलों को देखते हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को उभारने में लगे हुए हैं.
शिगेरू इशिबा ने साल 2012 में पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव के पहले दौर में शिंजो आबे को हरा दिया था. जिसमें ग्रासरूट पर वोटिंग होती है, लेकिन सिर्फ सांसदों की वोटिंग वाले दूसरे दौर में वो हार गए थे. यही नहीं, साल 2018 में भी इशिबा को आबे के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी थी.
फुमिओ किशिदा
आबे के मंत्रिमंडल में साल 2012 से 2017 तक फुमिओ किशिदा (Fumio Kishida) जापान के विदेश मंत्री रह चुके हैं. हालांकि इस दौर में शिंजो आबे ने ही विदेश मामलों की अगुवाई की. किशिदा जापान के हिरोशिमा (Hiroshima) से आते हैं और आबे के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखे जाते हैं. लेकिन मतदाताओं की पसंद के मामले में पिछड़ जाते हैं.
तारो कोनो
जापान के रक्षामंत्री तारो कोनो (Taro Kono) स्वतंत्र विचारों के लिए जाने जाते हैंं. वो शिंजो की आलोचना से भी नहीं चूके हैं और दक्षिण कोरिया को लेकर जापान की नीतियों में बदलाव भी चाहते हैं. जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय (Georgetown University) से पढ़े तारो कोनो अंग्रेजी के अच्छे जानकार हैं और आबे सरकार में कई अहम पद संभाल चुके हैं.
योशिहिदे सुगा
योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) आबे के सबसे भरोसेमंद साथी रहे हैं. उन्होंने शिंजे को कई अहम मुसीबतों से बाहर निकाला और साल 2012 में शिंजो की चुनावी जीत में अहम भूमिका अदा की. आबे ने उन्हें मुख्य कबिनेट सचिव की पोस्ट दी. हालांकि नेताओं से नवमी नजदीकियों के चलते वो विवादों में भी घिरे रहे हैं.
शिन्जिरो कोईजुमी
शिन्जिरो कोईजुमी (Shinjiro Koizumi) अभी जापान के पर्यावरण मंत्री हैं. वो जापान के करिश्माई प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोईजुमी के बेटे हैं और जनता भी उन्हें पसंद करती है. शिन्जिरो की कम उम्र उनकी राह में आड़े आ सकती है. जो अभी सिर्फ 39 साल के हैं.
सेईको नोदा
जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की सेईको नोदा (Seiko Noda) की आकांक्षा किसी से छिपी नहीं है. जापान के आंतरिक मामलों की मंत्री रही नोदा शिंजो आबे की वैचारिक विरोधी भी मानी जाती हैं और देश की महिला सशक्तिकरण मामलों की मंत्री भी रह चुकी हैं. वो साल 2018 में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी भी पेश कर चुकी हैं.