सुशांत सिंह की मौत के बाद लगातार हो रहे खुलासों ने बॉलीवुड की चकमक दुनिया के पीछे छिपी गंदगी को बेपर्दा कर दिया। इंडस्ट्री में नेपोटिज्म से लेकर अंडरवर्ल्ड तक की दखल सब कुछ धीरे-धीरे सामने आ रहा है। अभिनेत्री कंगना रनौत भी लगातार इन मामलों को लेकर मुखर रही हैं।
अब उन्होंने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को दिए इंटरव्यू में बॉलीवुड में ड्रग्स के इस्तेमाल और आउटसाइडर के शोषण को लेकर अपनी बात रखी है। सुशांत मामले की मुख्य आरोपित रिया चकवर्ती के व्हाट्स्एप चैट से ड्रग का एंगल सामने आया था और अब नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) इसकी पड़ताल कर रही है।
कंगना ने बताया कि बॉलीवुड में कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार एजेंसियों का कोई दखल नहीं है। इसे माफिया या अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोग चलाते हैं। यदि आपने कभी मदद के लिए पुलिस का दरवाजा खटखटाया तो वे आपको ‘पागल’ करार देंगे और आपका बहिष्कार या आपकी हत्या कर देंगे। कंगना ने दावा किया कि कई सरकारों ने बॉलीवुड में ड्रग माफिया को मजबूत होने में मदद की है।
इससे पहले कंगना ने ट्वीट कर कहा था कि यदि बॉलीवुड में नॉरकोटिक्स टेस्ट हो गया तो कई सितारे जेल में होंगे। इसके अलावा एक ट्वीट में उन्होंने ये भी बताया था जब वे बॉलीवुड में आईं थी तो उन्हें ड्रिंक में ड्रग्स दिए जाते थे।
साथ ही कहा था, “मैं तब नाबालिग थी और मेरे मेंटॉर इतने खतरनाक थे कि वह मेरी ड्रिंक में ड्रग्स मिला देते ताकि मैं पुलिस के पास न जा सकूँ। जब मैं कामयाब हो गई और मुझे मशहूर फिल्मों की पार्टियों में एंट्री मिलने लगी और तब मेरा सामना सबसे शॉकिंग और भयानक दुनिया व ड्रग्स, अय्याशी और माफिया जैसी चीजों से हुआ था।” अर्नब को दिए इंटरव्यू में भी कंगना ने विस्तार से इस बारे में बताया है कि कैसे बॉलीवुड के सितारे और उनके परिजन ड्रग्स के इस खेल में लिप्त हैं।
कंगना इससे पहले यह भी बता चुकी हैं कि किस तरह मूवी माफिया अपने इशारों पर नहीं नाचने वाले आउटसाइडर का करियर ख़त्म करते हैं। उन्होंने कहा था, “इनलोगों ने सुशांत सिंह को एक बलात्कारी में तब्दील कर दिया था। वह कैसे अपने घर बिहार वापस जाता? छोटे शहरों में पैसे नहीं देखे जाते, सम्मान देखा जाता है।”
वे इस मामले में मुंबई पुलिस की भूमिका को लेकर भी लगातार सवाल करती रही हैं। देश के जाने-माने वकील हरीश साल्वे भी सुशांत सिंह राजपूत मामले की जाँच में मुंबई पुलिस के व्यवहार को संदेहास्पद बता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि इस मामले में क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन का पूरी तरह मजाक बना कर रख दिया गया। इसके लिए अगर कोई एक संस्था जिम्मेदार है तो वो है मुंबई पुलिस। साल्वे ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि आखिर मुंबई पुलिस ने इस मामले में एफआईआर तक भी क्यों नहीं दर्ज की? साथ ही उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के समय का ऑटोप्सी रिपोर्ट में जिक्र न होने को भी अजीब बताया।
यह बात भी सामने आई है कि सुशांत ने मौत से पहले ‘पेनलेस डेथ’, सिज़ोफ्रेनिया’ और ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ जैसे शब्दों को गूगल पर सर्च नहीं किया था। इन शब्दों को सर्च किए जाने का दावा मुंबई पुलिस के कमिश्नर ने किया था।