नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी से जुड़े चिट्ठी विवाद पर कहा है कि इस पत्र में अहम मुद्दे उठाये गए थे और उन्हें दुख है कि आवाज उठाने वालों को ‘जयचंद’ और ‘गद्दार’ कहा गया. सिब्बल ने कहा है कि इस पत्र में हस्ताक्षर करने वाले नेता किसी भी तरह से रक्षात्मक मुद्रा में नहीं है और उन्होंने पूरी शिद्दत से अपनी बात कही है.
पार्टी के लिए रिवाइवल प्लान की जरूरत
आजतक से खास बातचीत में कपिल सिब्बल ने कहा है कि उन्होंने इस चिट्ठी को कुछ अहम मुद्दों को उठाने के लिए लिखा था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस वक्त ऐतिहासिक रूप से निचले पायदान पर पहुंच गई है और पार्टी के लिए रिवाइवल प्लान वक्त की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लोगों ने ये चिट्ठी पढ़ी नहीं है, अगर वे पत्र पढ़े होते तो उन्हें समझ में आता कि ये पत्र किसी को नीचे दिखाने के लिए अथवा गांधी परिवार की छवि खराब करने के लिए नहीं है.
वरिष्ठ वकील ने कहा कि हमने नेतृत्व की तारीफ की है और उनके योगदान को सराहा है लेकिन हमें आमूल चूल बदलाव की भी जरूरत है.
बता दें कि कांग्रेस पार्टी के 23 नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व में बदलाव की बात कही थी. हाल ही में हुए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में ये मुद्दा जोर-शोर से गूंजा. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस पत्र के बाद इस्तीफे की पेशकश की. इस पत्र पर राहुल गांधी ने कहा कि पत्र लिखने वाले बीजेपी के मिले हुए हैं.
बता दें कि पत्र लिखने वालों में कपिल सिब्बल भी थे. राहुल के इस आरोप से आहत सिब्बल ने ट्वीट के जरिए कड़ी टिप्पणी की थी. हालांकि उन्होंने बाद में अपने ट्वीट को ये कहते हुए वापस ले लिया था कि राहुल गांधी ने ऐसा नहीं कहा था.
पार्टी के संविधान से बंधा हूं
कांग्रेस के गौरवपूर्ण इतिहास को याद करते हुए सिब्बल ने कहा है कि हमारी निष्ठा पार्टी के संविधान और उस विरासत के प्रति है जहां हम लोगों ने 30 साल तक काम किया है.
कांग्रेस नेता सिब्बल ने कहा, “मैं पार्टी के संविधान से पूरी तरह से परिचित हूं, और पत्र कई संगठनात्मक ढांचों की चर्चा कर रहा था, जो कि अबतक नहीं है और उन्हें फिर से लाने की जरूरत है. पार्टी के संविधान में इनकी भी चर्चा है. जैसा कि हमारा कर्तव्य है कि हम देश के संविधान के साथ डटे रहें, इसी तरह हमारी ये भी ड्यूटी है कि हम पार्टी के संविधान का पालन करें.”
सोनिया गांधी को लिखे गए इस पत्र में कांग्रेस के कई संगठनों को पुनर्जीवित करने की चर्चा थी.
‘जयचंद’ की टिप्पणी से आहत
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पत्र लिखने वालों को निशाना बनाने पर उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खड़ी रही है और मीटिंग में जो कुछ हुआ वो दुखद था.
सिब्बल ने कहा कि उन्हें बेहद दुख है कि ‘जयचंद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया और कहा गया कि चिट्ठी की मंशा गलत है. चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों को गद्दार बताने से पहले उन्हें पत्र की भाषा और शब्द देखने चाहिए था, तब उन्हें पता चलता है कि ये चिट्ठी कांग्रेस को मजबूत करने और पार्टी में नई ऊर्जा भरने को लेकर है, पत्र में एक भी असंसदीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था. ” उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी सर्वोच्च निर्णायक संस्था की मीटिंग में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया और इसे किसी ने रोका नहीं.
लखीमपुर खीरी में पार्टी नेता जितिन प्रसाद के साथ हुए व्यवहार की भी उन्होंने निंदा की और कहा कि ये चाटुकारिता खुल्लमखुल्ला प्रदर्शन है.
आगे की क्या है रणनीति
कपिल सिब्बल से पूछा गया वे आगे अपनी पार्टी का भविष्य क्या देखते हैं? और क्या उन्हें उम्मीद है कि उन्हें जवाब मिलेगा. इस पर उन्होंने कहा, “हमें व्यक्तिगत रूप से कुछ पाना नहीं है, पार्टी का हित सर्वोपरि है और हमें कुछ भी खोने का भय नहीं है. हम लोग एक साथ हैं और उम्मीद करते हैं कि हमारे सुझावों पर पार्टी गंभीरता से विचार करेगी, हमलोग इंतजार करेंगे और आने वाले वक्त में अगले कदम का फैसला करेंगे.