जम्मू। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। पुलवामा के जदूरा इलाके में शुक्रवार (अगस्त 28, 2020) रात शुरु हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया है। मारे गए आतंकियों की पहचान आदिल हाफिज (निवासी डालीपोरा पुलवामा), राउफ (निवासी मुसपुना), अरशिद (निवासी द्रबगाम) के तौर पर हुई है।
जानकारी के मुताबिक, 18 घंटे में यहाँ कुल 8 आतंकी मारे गए हैं, वहीं एक आतंकी ने सरेंडर कर दिया है। आतंकियों के पास से कई हथियार भी बरामद की गई है।
आदिल वर्ष 2019 से कश्मीर में सक्रिय था, जबकि राउफ और अरशिद एक सप्ताह पहले ही आतंकी संगठन में शामिल हुए थे। जनसंपर्क अधिकारी (PRO) रक्षा, श्रीनगर से मिली जानकारी के अनुसार पुलवामा के जदूरा इलाके में कल रात शुरु हुई मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बाद एक सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए। मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए जवान की पहचान उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर निवासी मनीष शर्मा के रूप में हुई है।
जम्मू-कश्मीर में विक्टर फोर्स के जनरल ऑपरेशन कमांडिंग (GOC) ए सेनगुप्ता ने बताया, “कल दोपहर से शुरू हुए 18 घंटे से अधिक चले दो ऑपरेशनों के तहत, जम्मू-कश्मीर पुलिस और आरआर बटालियनों की बेहद ही सटीक खुफिया जानकारी और कड़ी मेहनत के जरिए हम 8 आतंकवादियों को मार पाने में सक्षम रहे हैं, साथ ही एक आतंकवादी ने आत्मसमर्पण किया है।”
ए सेनगुप्ता ने आगे बताया कि कल देर रात पुलवामा में हुई मुठभेड़ में मारे गए तीनों आतंकवादी हिजबुल मुजाहिदीन से संबंधित थे। इन आतंकवादियों में शामिल आदिल कई आतंकवादी घटनाओं में वांछित था। उसी ने अपने साथियों के साथ मिलकर परीचू पुल के नजदीक सुरक्षाबलों पर हमला किया था। इस ऑपरेशन के बारे में सेना ने शुक्रवार को यह बताया था कि आतंकियों के पास से 2 एके-47 रायफलें (AK-47 Rifles) और 3 पिस्टल भी बरामद की गई हैं।
दक्षिण कश्मीर के DIG अतुल गोयल ने बताया कि कल दो ऑपरेशनों में जिन आतंकवादियों को ढेर किया गया, वह कई नागरिकों के साथ धृष्टता और सुरक्षा बलों पर हमले में शामिल थे। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष दक्षिण कश्मीर में लगभग 80 भर्तियाँ हुई हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले सीमा सुरक्षा बल ने एक बार फिर पाकिस्तान की बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया। भारतीय सीमा में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के इरादे से बनाई गई सुरंग का पता लगाया है।
जम्मू बीएसफ के आईजी एनएस जम्वाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा था, “सैंडबैग्स के ऊपर पाकिस्तान की साफ-साफ मार्किंग हैं जो ये दिखाती हैं कि इसे (सुंरग) पूरी प्लानिंग और इंजीनियरिंग की कोशिशों के साथ खोदा गया है। पाकिस्तानी रेंजर्स और अन्य एजेंसियों की सहमति और अनुमोदन के बिना, इतनी बड़ी सुरंग का निर्माण नहीं किया जा सकता है।”