अवमानना मामले में दोषी पाए गए भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े व्यापारी विजय माल्या को पाँच अक्टूबर को दोपहर 2 बजे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने गृह मंत्रालय को भी उस दिन कोर्टरूम में माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अदालत की अवमानना मामले में 2017 में सुनाए गए आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की एक बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘हमें इस पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नजर नहीं आता। इसलिए यह पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है।’’
न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “अब जबकि रिव्यू पेटिशन खारिज हो गई है, हम प्रतिवादी नंबर 3 (माल्या) को इस कोर्ट में 05.10.2020 को दोपहर 02:00 बजे पेश होने का निर्देश देते हैं। गृह मंत्रालय को उस दिन इस न्यायालय के समक्ष प्रतिवादी नंबर 3 की उपस्थिति को सुगम बनाने और सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया जाता है। इस निर्णय की एक प्रति गृह मंत्रालय को भेजी जाती है।”
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश माल्या द्वारा 14 जुलाई, 2017 के फैसले के खिलाफ दायर एक समीक्षा याचिका पर आया है। माल्या को बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद बैंकों को 9,000 करोड़ रुपए का भुगतान न किए जाने का अवमानना का दोषी पाया गया था।
27 अगस्त को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। भगोड़े कारोबारी माल्या ने सुप्रीम कोर्ट के नौ मई 2017 के उस आदेश पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें उसे न्यायिक आदेशों को दरकिनार कर अपने बच्चों के खातों में चार सौ मिलियन अमेरिकी डॉलर ट्रांसफर करने पर अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया गया था।
नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक के बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में आरोपित माल्या फिलहाल ब्रिटेन में है। शीर्ष अदालत ने 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की याचिका पर वह आदेश दिया था। याचिका में कहा गया था कि माल्या ने कथित रूप से विभिन्न न्यायिक आदेशों का ”खुलेआम उल्लंघन” कर ब्रिटिश कंपनी डियाजियो से प्राप्त 40 मिलियन यूएस डॉलर अपने बच्चों के खातों में ट्रांसफर किए थे।
भारतीय एजेंसियाँ उसके प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटी हैं। लंदन हाईकोर्ट ने इस साल 14 मई को उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें माल्या ने प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की इजाजत माँगी थी। इसके बाद माल्या के पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है।