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ज़कात फाउंडेशन… जहाँ से बने 27 UPSC ऑफिसर… वहाँ के मौलाना की बात – ‘हिंदू जल कर नर्क में जाते हैं’

ज़कात फाउंडेशन शरिया काउंसिल के सदस्य मौलाना कालिम सिद्दीकी का विवदित वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। ये वीडियो उनके साक्षात्कार का है, जो उन्होंने सऊदी अरब के एक चैनल को दिया। ट्विटर पर इसे संजीव नेवर ने शेयर किया है।

इन वीडियोज में हम देख सकते हैं कि कालिम इस्लाम को अव्वल दर्जे का दिखाने के लिए हिंदुओं की परंपराओं पर न केवल सवाल उठा रहे हैं। बल्कि ये बताने की कोशिश भी कर रहे हैं कि हिंदू इतने ज्यादा नासमझ हैं कि वह बहुत आसानी से इस्लाम कबूल लेते हैं।

अपनी वीडियो में वह कहते हैं कि आज गैर मुस्लिमों के इस्लाम कबूल करने की तादाद बेहद मामूली होती जा रही है। वह अपने आप को धर्म परिवर्तन करवाने के पेशे में काफी मशहूर नाम बताते हैं।

वह कहते हैं कि एक रिमोट एरिया में रहने के बावजूद अगर लोगों को उनकी मौजूदगी का पता चल जाता है, तो पूरे दिन अलग-अलग जगह से लोग इस्लाम कबूलने आते हैं। दिन भर लाइन लगी रहती है।

जब साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति उनसे कहता है कि दुनिया में और खासकर हिंदुस्तान में रहने वाले हिंदू सबसे ज्यादा मुश्किल से इस्लाम कबूलते हैं। क्या यह सही है? तो कालिम कहते हैं कि अगर सऊदी अरब में इस्लाम कबूल करने वालों में हिंदुओं की संख्या सबसे कम है तो उसका कारण यह है कि वहाँ पर लोग उस तरह की कोशिश नहीं करते।

इसके बाद सेकुलरिज्म की धज्जियाँ उड़ाते हुए जकात फाउंडेशन के सदस्य उन लोगों की धारणा को भी ध्वस्त करते हैं जिनका मानना यह है कि अल्लाह और राम सब एक ही होते हैं।

इंटरव्यू लेने वाला पूछता है कि हिंदुस्तान में कहा जाता है- अल्लाह कहो, राम कहो…बात एक है। प्याले अलग-अलग हैं लेकिन जाम एक है। इस पर कालिम बताते हैं कि अल्लाह और राम अलग-अलग हैं। केवल इस्लाम ही सच्चा मजहब है। जो लोग अलग-अलग चीजों को मानते हैं वह शैतान बराबर होते हैं क्योंकि शैतान का भी ये कहना था कि रास्ते अलग-अलग हैं लेकिन मंजिल एक है।

वह आगे कहते हैं कि इंसान इस्लाम के प्रति आकर्षित होता है क्योंकि यह एक लॉजिक वाला मजहब तो है। लेकिन जो इसमें आने का फैसला करता है, वो जन्नत के लालच व जहन्नुम के डर से करता है।

वह बताते हैं कि लोग कुरान की आयतें सुनकर ही इसकी ओर खिंचे चले आते हैं। देहरादून के दो लोगों का जिक्र करते हुए वो बताते हैं कि जब उन्होंने कुरान सुनी तो वह इतना प्रभावित हुए कि जब उनसे तर्जुमा करने को कहा गया तो वह कहने लगे कि हम मान चुके हैं, जो लिखा है वो सच है। अब बस बताओ हमें करना क्या है?

जब उनसे उसे समझने को कहा गया तो बोले कि उन्हें समझने की जरूरत नहीं है। कालिम के अनुसार, आज वह लोग दावत का काम रहे हैं।

यहाँ बता दें कि संजीव कुमार ने कामिल सिद्दीकी की ये वीडियोज अपने ट्विटर पर शेयर करते हुए हैरानी जताई है। उन्होंने कहा है कि कल्पना करिए ऐसा व्यक्ति यूपीएससी में सिलेक्ट होने वाले बच्चों को पढ़ाता है! यह भावी सिविल सर्वेंट्स को ट्रेन करता है! आपको बता दें कि इस साल इस फाउंडेशन से 27 छात्र-छात्राएँ UPSC में सिलेक्ट हुए हैं।

इनमें से एक वीडियो में कालिम हिंदू धर्म में होने वाले अंतिम संस्कार की क्रिया पर भी सवाल उठाते हैं और उदाहरण देकर समझाते हैं कि लोग इसलिए हिंदू से मुसलमान बनना चाहते हैं क्योंकि वह जहन्नुम की आग से खुद को बचाना चाहते हैं।

वे लंबी उम्र में मरने वाले हिंदुओं के आगे स्वर्गीय शब्द पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि हिंदुओं को लगता है कि आग में जलकर वह स्वर्ग जाते हैं जबकि जाते वह नर्क में हैं। उनका कहना है कि इंसान को जलाना इंसानियत के भी ख़िलाफ़ है।

बता दें कि एक अन्य वीडियो भी संजीव नेवर ने कालिम सिद्दीकी की शेयर की है। जिसमें उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से बताते देखा जा सकता है कि एक बार एक टैक्सी ड्राइवर से उन्होंने बहुत अच्छा बर्ताव किया, जिससे वह उनका कायल हो गया और बदले में तारीफ करने लगा।

ऐसे में उन्होंने उससे 10-11 मिनट बात की और उसका ऐसा ब्रेनवॉश किया कि वह कलमा पढ़ने को तैयार हो गया। अपनी ऑडियो में आगे वह कहते हैं कि इसके बाद उस आदमी ने अपने घर-परिवार-रिश्तेदारों और दोस्तों में सबको मिलाकर तकरीबन 83 लोगों को मुसलमान बना लिया था।

उल्लेखनीय है कि मजहबी कट्टरता की बातें जो कालिम सिद्दीकी अपनी वीडियो में बड़े मीठे अंदाज में कह रहे हैं, वह चिंताजनक इसलिए हैं क्योंकि जकात फाउंडेशन वहीं संस्था है, जो अब सिविल सर्विस के लिए मुस्लिमों को ट्रेनिंग देता है। पिछले साल फाउंडेशन के 18 छात्रों ने यूपीएससी एग्जाम उत्तीर्ण किया था।

शरिया एडवाइजरी काउंसिल में मौलाना कालिम का नाम यूपी क्षेत्र के लिए आता है। इसके अलावा इस फाउंडेशन का ताल्लुक जाकिर नाईक जैसे कट्टरपंथी से है, जो कई इस्लामिक संगठनों का संचालक है। इनकी माँग सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों के आरक्षण की है।

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