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प्रणब मुखर्जी को बचपन में पोल्टू के नाम से पुकारते थे लोग

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के किरनाहर शहर के एक छोटे से गांव मिराटी (मिराती) में हुआ था। वो एक ब्राह्मण परिवार में 11 दिसम्बर 1935 को जन्मे थे। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी था।

पोल्टू के नाम से जाने जाते थे 

ग्रामीण बंगाल के बीरभूम में पले-बढ़े मुखर्जी अपने उपनाम ‘पोल्टू’ के नाम से जाने जाते थे। मुखर्जी की पत्नी का नाम शुभ्रा था। उनके दो पुत्र- अभिजीत और इंद्रजीत और एक पुत्री शर्मिष्ठा हैं। मुखर्जी के पुत्र अभिजीत सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य हैं।

पिता स्वतंत्रता सेनानी और बेटी नृत्यांगना 

उनकी बेटी शर्मिष्ठा एक नृत्यांगना हैं। मुखर्जी के पिताजी कामदा किंकर प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और आज़ादी की लड़ाई में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के चलते 10 वर्षों से ज्यादा समय तक ब्रिटिश जेलों में कैद रहे। उनके पिताजी 1920 से अखिल भारतीय कांग्रेस के एक सक्रिय कार्यकर्ता थे और 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य रहे।

मुखर्जी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई जब वह पहली बार राज्यसभा सांसद बने। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी योग्यता से प्रभावित होकर मात्र 35 वर्ष की अवस्था में साल 1969 में राज्यसभा का सदस्य बना दिया था।

राज्यसभा पहुंचे 

उसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। वर्ष 1974 में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री बने। इसके बाद राष्ट्रपति बनने तक आठ बार कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने इस दौरान वित्त, विदेश, रक्षा और वाणिज्य जैसे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। पहली बार लोकसभा के लिए पश्चिम बंगाल के जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 13 मई 2004 को चुने गए।

इसी क्षेत्र से दुबारा 2009 में भी चुने गए। वर्ष 1998 से 1999 तक कांग्रेस के महासचिव रहे। 28 जून 1999 से अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के केंद्रीय चुनाव समन्वय समिति के चेयरमैन भी बने। 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक राष्ट्रपति रहे।

 

अलग पार्टी का गठन 

इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद, राजीव गांधी सरकार की कैबिनेट में प्रणब मुखर्जी को शामिल नहीं किया गया। इस बीच मुखर्जी ने 1986 में अपनी अलग राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। लेकिन जल्द ही वर्ष 1989 में राजीव गांधी से विवाद का निपटारा होने के बाद मुखर्जी ने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय कांग्रेस में मिला दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव से था खास याराना  

राजनीति के जानकारों का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव से उनका खास याराना था। यही वजह थी कि जब उन्होंने राजीव गांधी से नाराज होने के बाद अपनी अलग पार्टी बना ली थी तो इस विवाद को पीवी नरसिंह राव ने खत्म कराया था। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ही उन्हें पार्टी में दोबारा लेकर आये थे। मुखर्जी वर्ष 1978 में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य बने। वर्ष 1985 तक पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे, लेकिन काम का बोझ बढ़ जाने के कारण उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया था।

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