नई दिल्ली। RBI के लोन मोरेटोरियम (moratorium) के ब्याज को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में आज तीखी बहस हुई. कर्जदारों के वकील राजीव दत्ता ने सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को मोरेटोरियम पीरियड के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूलने के लिए कटघरे में खड़ा किया. वकील ने कहा कि ‘बड़े पैमाने पर जनता नर्क में जी रही है, मैं इन सब बातों में नहीं जाना चाहता. RBI हमारी मदद करने के लिए एक योजना लेकर आई. लेकिन ये तो दोहरा आघात है, क्योंकि बैंक हम पर चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) लगा रहे हैं.’
लोन मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने की मांग वाली दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई हुई. कल केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि लोन मोराटोरियम की स्कीम को 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है.
आज वकील राजीव दत्ता ने आरोप लगाया कि ‘लोग कठिन हालातों से गुजर रहे हैं और बैंक्स ब्याज पर ब्याज मांग रहे हैं, बैंक इसे डिफॉल्ट मानते हैं, जबकि हमारी तरफ से कोई डिफॉल्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘यह बैंकों के लिए राजस्व नहीं है, इसलिए वह ऐसा नहीं कह सकते हैं कि उन्हें नुकसान होगा.’ वकील ने कहा कि ‘पूरे देश में सभी क्षेत्रों में गिरावट आई है और RBI चाहता है कि बैंक मुनाफा कमाएं, भारतीय रिज़र्व बैंक केवल एक नियामक (Regulator) है, बैंक के एजेंट नहीं हैं. ऐसा लगता है कि बैंक्स RBI के पीछे छिपे हुए हैं.’
‘बैंक ब्याज पर ब्याज मांग रहे हैं’
वकील राजीव दत्ता ने आरोप लगाया कि ‘RBI चाहता है कि बैंक कोरोना काल में और मुनाफा कमाएं, यह सही नही है, सरकार कह रही है कि एक माप से सभी को राहत नही मिल सकती, वह अपना पुनर्गठन कराना चाहते हैं, लेकिन अपने देश के नागरिकों को सजा मत दीजिए, सरकार RBI का बचाव कर रही है.’ दत्ता ने कहा कि ब्याज पर ब्याज लगाना पहली नजर में पूरी तरह से गलत है और इसको नहीं लगाना चाहिए.’
कोर्ट में CREDAI की ओर से पेश वकील आर्यमन सुंदरम ने कहा कि लंबे समय तक कर्जदाताओं से पेनाल्टी ब्याज वसूलना अनुचित है, इससे एनपीए बढ़ सकता है. इसके अलावा शॉपिंग सेंटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से पेश हुए रंजीत कुमार ने कहा कि फार्मा, FMCG और IT सेक्टर के उलट शॉपिंग सेंटर्स और मॉल ने बंद के दौरान अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है.
हम किस तरह की राहत दें: SC
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि हम किस तरह की राहत दे सकते हैं? तब वकील ने कहा कि ‘बैंकों से कहा जाए कि वह मुनाफा छोड़ दें. पावर सेक्टर की मांग में बहुत कमी आई है. बैंक हर सेक्टर के साथ बैठ कर ऐसा हल निकालें जिससे दोनों का नुकसान न हो. अगर ऐसा नहीं हुआ तो अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.
शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि RBI गवर्नर खुद कह चुके हैं कि हर सेक्टर की स्थिति खराब है, जब देश में बार, थिएटर नहीं चल रहे तो कमाई कैसे होगी, हर सेक्टर के लिए अलग राहत तय होनी चाहिए, रंजीत कुमार ने कहा कि मोरेटोरियम का लाभ लेने वाले लोन अगस्त के बाद NPA माने जाएंगे, आदेश में इसका ध्यान भी रखा जाए.
‘हालात अब भी नहीं सुधरे’
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की दलील है कि कोरोना संकट में जिन कठिन आर्थिक हालातों को देखते हुए मोरेटोरियम की सुविधा दी गई थी, वह अभी खत्म नहीं हुई है. ऐसे में मोरेटोरियम की सुविधा को इस साल दिसंबर तक बढ़ाया जाना चाहिए. रिजर्व बैंक ने कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान लोगों को होम लोन की EMI से राहत देने के लिए मार्च में तीन महीने के लिए मोरेटोरियम सुविधा दी थी. इसके बाद इसे और तीन महीने के लिए 31 अगस्त तक बढ़ाया गया. यानी कुल 6 महीने की मोरेटोरियम सुविधा दी गई है. 31 अगस्त को यह सुविधा खत्म हो गई है.
क्या सितंबर से भरनी पड़ेगी EMI?
आपको बता दें कि मोरेटोरियम के ब्याज माफी वाले एक दूसरे मामले की भी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. रिजर्व बैंक की ओर से दी गई मोराटोरियम सुविधा 31 अगस्त को खत्म हो गई है. इसकी अवधि बढ़ेगी या नहीं, ये फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है. अगर सुप्रीम कोर्ट मोरेटोरियम की अवधि को नहीं बढ़ाता है तो सितंबर से होम लोन ग्राहकों को अपनी EMI भरनी पड़ेंगी.