फ्रांस के प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रों ने फ्रेंच व्यंग्य साप्ताहिक मैगजिन शार्ली एब्दो के पैगम्बर मुहम्मद पर पुनः प्रकाशित किए जाने वाले कार्टून के फैसले को लेकर किसी भी प्रकार की निंदा नहीं की।
लेबनान की एक यात्रा के दौरान मैक्रों ने फ्रेंच ब्रॉडकास्टर बीएफएम टीवी से कहा,
“यह महत्वपूर्ण है कि फ्रांसीसी नागरिक एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक भावना रखें। साथ ही नफ़रत से भरे वाद-विवाद से बचें। लेकिन वे व्यंग्य पत्रिका के कार्टून को पुनः प्रकाशित करने के फैसले की आलोचना नहीं करेंगे।”
फ्रांस के प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रों लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बल देते हुए कहा कि कोई भी प्रेसिडेंट पत्रकार या न्यूज़ रूम के संपादकीय की पसंद को लेकर कोई जजमेंट पास नहीं कर सकता। क्योंकि देश (फ्रांस) में प्रेस की स्वतंत्रता है।
उन्होंने आगे कहा, “फ्रांस में ईशनिंदा की आज़ादी अंतरात्मा की स्वतंत्रता से जुड़ी है। मैं इन सभी आज़ादी की रक्षा करने के लिए यहाँ हूँ। फ्रांस में कोई भी राष्ट्रपति, राज्यपाल, ईशनिंदा की आलोचना कर सकता है।”
बता दें कि फ्रांस के प्रेसिडेंट की यह टिप्पणी तब आई, जब 2015 में इस्लामी आतंकवादियों के हमले का शिकार होने वाले फ्रेंच व्यंग्य साप्ताहिक शार्ली एब्दो ने मंगलवार को कहा कि वह पैगंबर मुहम्मद के कथित विवादास्पद कार्टूनों के कारण हुए हमले से जुड़े मुकदमे की शुरुआत में एक बार फिर पैगम्बर मुहम्मद पर कार्टून प्रकाशित करेंगे।
गौरतलब है कि मैगजीन के हालिया संस्करण में कवर पेज पर दर्जन भर कार्टून प्रकाशित किए गए हैं। कवर पेज के बीच में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून भी मौजूद है, जिसे जीन काबूट ने बनाया था। 2015 में हुए आतंकी हमले में उनकी जान चली गई थी। पत्रिका के फ्रंट पेज की हेडलाइन है, “यह सब, बस उसी के लिए।”
मैगजीन के डायरेक्टर लौरेंट रिस सौरीस्यू ने लेटेस्ट एडिशन में कार्टून को फिर से छापने को लेकर लिखा, “हम कभी झुकेंगे नहीं, हम कभी हार नहीं मानेंगे।”
शार्ली एब्दो के इस फैसले ने ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की बहस को एक बार फिर जीवित कर दिया है। एक ओर जहाँ कुछ लोग इसे फ्री स्पीच का लीडर कह रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि शार्ली एब्दो ने लाइन क्रॉस की थी।
फ्रांस के पेरिस में जनवरी 7, 2015 में 2 इस्लामी बंदूकधारी भाइयों ने व्यंग्य-पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ के दफ्तर पर हमला बोल दिया था। इस हमले में कम से कम 12 लोगों के मरने की खबर आई थी जबकि काफी लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
पत्रिका के संपादक स्टीफन चारबोनियर की भी हमले में मौत हो गई थी। बंदूकधारी हमलावर इस मैगजीन में छपे पैगंबर मुहम्मद के कार्टून से नाराज थे। पत्रिका काफी समय अपने कथित ‘इस्लाम विरोधी’ सामग्री की वजह से कट्टरपंथियों के निशाने पर थी।