नई दिल्ली। जकात फाउंडेशन समुदाय विशेष के युवाओं को सिविल सेवा में भर्ती होने के लिए ट्रेनिंग ही नहीं देता है। यह बात सामने आई है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले रोहिंग्या घुसपैठियों की भी वह मदद कर रहा है। इनके लिए जकात ने दिल्ली में दारुल हिजरात (Darul Hijrat) नामक ‘मेकशिफ्ट कैंप’ स्थापित किया है।
एक नक्शा सामने आया है। इससे पता चलता है कि मस्जिद के साथ रोहिंग्या लोगों के लिए स्थायी कॉलोनी बनाई जाएगी। यहॉं फाउंडेशन का स्थायी कार्यालय भी होगा।
ज़कात फाउंडेशन का दावा है कि पूरी परियोजना को गृह मंत्रालय की मँजूरी हासिल है। फाउंडेशन के उपाध्यक्ष एसएम शकील परियोजना के प्रभारी हैं।
ज़कात फाउंडेशन इस्लामिक सिद्धांतों पर रोहिंग्या लोगों को शिक्षित करता है। इस समय दिल्ली में कई रोहिंग्या बस्तियाँ हैं। इनमें से सबसे प्रमुख हैं शाहीन बाग, कालिंदी कुंज, विकास पुरी और खजूरी खास। इनमें से कुछ क्षेत्रों में फरवरी के महीने में राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई थी।
गौरतलब है कि हाल ही में, ज़कात फाउंडेशन शरिया काउंसिल के सदस्य कलीम सिद्दीकी का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता था कि हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित होने की आवश्यकता है, क्योंकि यदि वे इस्लाम नहीं कबूल करंगे तो नर्क में जलेंगे।
वीडियो में कलीम हिंदू धर्म में होने वाले अंतिम संस्कार की क्रिया पर भी सवाल उठाते हैं और उदाहरण देकर समझाते हैं कि इसलिए हिंदू इस्लाम कबूल करना चाहते हैं, क्योंकि वे जहन्नुम की आग से खुद को बचाना चाहते हैं।