संजय राउत ने कंगना रनौत को ‘हरामखोर’ कह कर संबोधित किया था। एक महिला पर ऐसी अभद्र टिप्पणी के चलते संजय राउत की जम कर आलोचना हुई। बड़े पैमाने पर विरोध होने के बाद संजय राउत अब उस बयान का डैमेज कंट्रोल करते हुए नज़र आ रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए लिखा उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया, जिससे लोगों में ऐसा संदेश जाए कि वह एक महिला का सम्मान नहीं करते हैं।
कंगना रनौत के लिए अपशब्द का इस्तेमाल करने वाले के बाद संजय राउत ने परिस्थितियों को अपने हित में करने के लिए शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप जैसे ऐतिहासिक हिंदूवादी चेहरों का उल्लेख किया। उन्होंने इतना कुछ इसलिए किया जिससे ऐसा लगे कि शिवसेना महिलाओं का सम्मान करती है। इसके पहले भी शिवसेना और उनके प्रवक्ता संजय राउत को अमर्यादित और असंसदीय भाषा का उपयोग करने के चलते आलोचना का सामना करना पड़ा है।
क्षेत्रवाद का अहंकार दिखाते हुए संजय राउत ने लिखा जो शिवसेना पर महिलाओं के अपमान का आरोप लगा रहे हैं वह खुद मुंबई और मुंबई देवी का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “लोगों को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि वह इस तरह के आरोप लगा कर मुंबई और मुंबई देवी का अपमान कर रहे हैं।” इसके बाद संजय राउत ने लिखा शिवसेना महिलाओं के सम्मान के लिए लगातार लड़ती रहेगी। शिवसेना सुप्रीमो ने भी हमें यही सिखाया है।
संजय राउत की तरफ से किया गया इतना बड़ा दावा कि शिवसेना महिलाओं का सम्मान करती है कंगना रनौत पर की गई टिप्पणी से आधार पर बिलकुल सही साबित नहीं होता है। दरअसल हाल ही में कंगना ने इस बात पर चिंता जताते हुए बयान दिया था कि मुंबई पाक अधिकृत कश्मीर जैसा लगने लगा है। ख़ासकर जब से मुंबई में ‘आज़ादी के नारे’ नज़र आने लगे हैं। कंगना ने मुंबई की दीवारों पर लिखे गए आज़ादी के नारों पर आपत्ति जताई थी। इस पर संजय राउत ने उन्हें मुंबई में कदम नहीं रखने की धमकी दे दी थी।
इस बात पर न्यूज़ नेशन के पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या आप कोई गैर क़ानूनी कार्रवाई करेंगे जिससे कंगना रनौत मुंबई में दाखिल न हों पाएँ। इस बात का जवाब देते हुए संजय राउत ने कहा, “क़ानून क्या है? उस लड़की ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है क्या वह क़ानून का सम्मान था? आप उस ‘हरामखोर लड़की के वकील की तरह क्यों बात कर रहे हैं?”