लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस मामले की सीबीआई जाँच के आदेश दिए हैं। यह फैसला इस मामले की सीबीआई जाँच की माँग के बाद आया है। पीड़िता के पिता ने सीबीआई जाँच की माँग की थी, जिसे यूपी के सीएम ने मान लिया है। यूपी सीएम दफ्तर की ओर से ट्वीट कर सीबीआई जाँच की जानकारी दी गई है।
Chief Minister Yogi Adityanath orders Central Bureau of Investigation (CBI) probe into the #Hathras case: Chief Minister's Office (CMO) (File pic) pic.twitter.com/VVvf2M6hRc
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 3, 2020
यूपी सीएम दफ्तर की ओर से ट्वीट किया गया, “मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने सम्पूर्ण हाथरस प्रकरण की जाँच सीबीआई से कराए जाने के आदेश दिए हैं।” इससे पहले, उन्होंने अपराध की जाँच के लिए एक एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। तब से, मामला बेहद पेचीदा हो गया है और कई नए पहलू सामने आए हैं।
मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी ने सम्पूर्ण हाथरस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराए जाने के आदेश दिए हैं।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) October 3, 2020
बता दें कि आज यूपी के डीजीपी और गृह सचिव अवनीश अवस्थी ने पीड़ित परिवार के साथ मुलाकात की थी और उनसे उनकी शिकायतें और माँगें सुनीं। परिवार से मुलाकात के बाद अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने पीड़ित परिवार की सारी माँगों को रखा, जिसके बाद ही यूपी के सीएम ने सीबीआई जाँच के आदेश दे दिए।
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत के बाद से हाथरस मामले को लेकर काफी बहस और राजनीतिकरण हो रहा है। पीड़िता के साथ दो सप्ताह पहले कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। मामले में देशव्यापी आक्रोश का माहौल उत्पन्न हो गया जब कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि हाथरस पुलिस ने परिवार के सदस्यों की सहमति के बिना रात में लड़की का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस ने बाद में बताया था कि पीड़िता के पिता दाह संस्कार के दौरान मौजूद थे।
एएनआई से बात करते हुए, एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया था कि जिन फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार था, वो आ गई हैं। एडीजी ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट में ‘बलात्कार’ का कोई सबूत नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यह निष्कर्ष निकाला गया था कि कोई यौन हमला नहीं था, और मौत का कारण गला घोंटने और रीढ़ की चोट थी।
आरोपितों के परिवार ने भी आरोपों से इनकार किया है और यह दावा किया कि आरोप झूठे हैं और पीड़ित परिवार के साथ एक पुराने पारिवारिक झगड़े की वजह से लगाए गए हैं। ठाकुर समुदाय ने भी यह माँग की है कि इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई की जाए और निष्पक्ष जाँच के बाद निर्दोष पाए जाने पर आरोपितों को छोड़ दिया जाए।