लखनऊ। हाथरस में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद यह मीडिया पर्यटक स्थल बन गया है। विभिन्न मेनस्ट्रीम न्यूज नेटवर्क के पत्रकार नई-नई तकनीकें अपनाकर टीआरपी की होड़ में आगे बढ़ने की जुगाड़ में लगे हुए हैं। इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे वीडियो से भरे हुए हैं, जिसमें तथाकथित पत्रकार न्याय के लिए लड़ाई की आड़ में अपनी नीच आचरण का परिचय दे रहे हैं।
हिंदी न्यूज चैनल भारत समाचार के पत्रकार द्वारा इसी तरह का वीडियो शेयर किया गया है। इसमें पत्रकार खेत के पास बैठ जाती है और पीड़ितों से मिलने की जिद करती है। इतनी ही नहीं, वो पुलिस अधिकारियों को यह कहकर उकसाती है कि क्या वे भी उसे उसी तरह जला देंगे, जैसा उन्होंने हाथरस पीड़िता के शव का दाह संस्कार किया था।
https://twitter.com/PragyaLive/status/1312814133054562304?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1312814133054562304%7Ctwgr%5Eshare_3&ref_url=https%3A%2F%2Fhindi.opindia.com%2Freports%2Fmedia%2Ffour-video-pictures-despicable-conduct-of-media-while-covering-hathras-case%2F
महिला पुलिस अधिकारी उस पत्रकार के सामने हाथ जोड़ती है और वहाँ से उठने का निवेदन करती है। महिला पुलिस अधिकारी पत्रकार से कहती है कि वो वहाँ से उठ जाए, किसी तरह का तमाशा न करें। वहीं दूसरी तरफ पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा का पुलिस अधिकारियों को उकसाकर ये पूछना कि क्या वो उन्हें भी जलाएँगे, ये उनकी नैतिक स्तर का परिचय देती है।
इस तरह का व्यवहार करने के पीछे दो कारण हैं- पहला तो ये कि वह चाहते हैं कि दर्शकों को इस बात पर विश्वास को पत्रकार ग्राउंड लेवल पर जाकर भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ पीड़िता के लिए न्याय की लड़ रही है और दूसरा कारण है- टीआरपी, जो कि उल्लेखनीय गति के साथ घट रही है।
इसी तरह का एक वीडियो ABP न्यूज की तरफ से 2 अक्टूबर को शेयर किया गया। जिसमें मीडिया नेटवर्क की पत्रकार प्रतिमा मिश्रा हंगामा करते हुए जबरन गाँव के अंदर घुसने का प्रयास करती है। इस दौरान वो बार-बार ये कहती हैं कि वो अपना काम कर रही है। हालाँकि बाद में उन्हें और कैमरामैन को गाड़ी में बैठाकर गाँव के बाहर कर दिया जाता है। प्रतिमा मिश्रा आरोप लगाती है कि उन्हें बिना महिला पुलिसकर्मी वाली गाड़ी में बैठाकर जबरन गाँव के बाहर किया जाता है।
#ABPKoMatRoko | ABP न्यूज़ ने पूछे सवाल तो यूपी पुलिस ने कैमरे पर की खुलेआम गुंडागर्दी
बिना डरे, बिना झुके, हाथरस में डटा रहा ABP न्यूज़@pratimamishra04 @awasthis #HathrasCase pic.twitter.com/8U9CDmGdfi
— ABP News (@ABPNews) October 2, 2020
एबीपी न्यूज़ ने उसी दिन एक और वीडियो पोस्ट किया। इस पोस्ट का कैप्शन था, “हाथरस की बेटी के लिए एबीपी न्यूज के सत्याग्रह को पुलिस ने की रोकने की कोशिश। आखिर गाँधी जयंती पर बापू के विचारों को कुचलने वाला ‘गोडसे’ कौन?
#ABPKoMatRoko | हाथरस की बेटी के लिए एबीपी न्यूज के सत्याग्रह को पुलिस ने की रोकने की कोशिश…आखिर #GandhiJayant पर बापू के विचारों को कुचलने वाला 'गोडसे' कौन ?#HathrasCase pic.twitter.com/mIBopS6YP5
— ABP News (@ABPNews) October 2, 2020
एक अन्य वीडियो में, एबीपी न्यूज ने दावा किया कि पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश कर रहे उनके पत्रकार और कैमरामैन के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार किया।
#ABPKoMatRoko | ABP News के सवालों से घबरायी यूपी पुलिस, रिपोर्टर @pratimamishra04 और कैमरामैन के साथ की धक्कामुक्की#HathrasCase
WATCH LIVE: https://t.co/tHnZLOPKGQ pic.twitter.com/JZLO9I90KE
— ABP News (@ABPNews) October 2, 2020
‘पत्रकार’ बरखा दत्त ने भी 2 अक्टूबर को तस्वीरें पोस्ट करते हुए बताया था कि कैसे कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद वो गाँव पहुँचने में कामयाब हुई, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें और उनकी मोजो टीम को पकड़कर पुलिस वैन में बैठाया और उन्हें फिर से हाइवे पर पहुँचा दिया।
After Police blocked media from #Hathras village @themojo_in team and I walked several kms through vast fields and managed to reach the village on foot, only to be caught by the police, put in the police van & deposited right on the highway again. We tried. More reports soon pic.twitter.com/YNzeVusejq
— barkha dutt (@BDUTT) October 2, 2020
जब इन वीडियो और तस्वीरों को शूट किया गया था तब धारा 144 लगाई गई थी
उल्लेखनीय है कि जिस समय पर ये तस्वीरें और वीडियो शूट किया गया है, उस समय वहाँ पर SIT जाँच को देखते हुए धारा 144 लगाई गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुख्य सड़क पर गाँव से लगभग 2 किमी की दूरी पर बैरिकेड्स लगा दिए थे, जिससे गाँव के सभी प्रवेश मार्ग बंद हो गए।
हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गाँव में प्रवेश अनुमति नहीं देने के कदम पर सवाल उठाना मीडिया के अधिकार में है। लेकिन मीडिया द्वारा प्रदर्शित इन ड्रामेबाजी से लगता नहीं कि उनका मकसद पीड़ित परिवार से मिलना है।
इससे भी बुरी बात यह है कि एसआईटी जाँच पूरी होने के बाद यूपी सरकार द्वारा मीडिया को गाँव में जाने की अनुमति दिए जाने के बाद सभी चैनलों का दावा था कि ऐसा उनके दवाब की वजह से हुआ। जबकि सच्चाई यह थी कि मीडिया को अनुमति इसलिए दी गई क्योंकि एसआईटी जाँच पूरी हो चुकी थी। इस सबसे यह स्पष्ट होता है कि कोई पत्रकार या चैनल सच्चाई को सामने लाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी गिरती टीआरपी को उठाने के लिए ये सब कर रहे थे।
इंडिया टुडे की पत्रकार का ऑडियो लीक
गौरतलब है कि हम ने इंडिया टुडे के पत्रकार और हाथरस पीड़िता के भाई के बीच की लीक बातचीत की रिपोर्ट की थी। इसमें सुना जा सकता था कि इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री मृतका के भाई संदीप को ऐसा स्टेटमेंट देने के लिए बोल रही हैं, जिसमें लड़की के पिता आरोप लगाए कि उनके ऊपर प्रशासन की ओर से बहुत दबाव था। बातचीत को सुनकर यह साफ पता चलता था कि तनुश्री पीड़िता के भाई से एक निश्चित बयान दिलवाने का प्रयास कर रही थी और संदीप की दबी आवाज सुनकर लग रहा था, जैसे वह ऐसा नहीं करना चाहते।