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क्या होता है नार्को टेस्ट, हाथरस पीड़‍िता के परिवार के लिए क्यों हो रही इसकी मांग

बीते 14 सितंबर को हाथरस में दिल दहला देने वाले अपराध में पीड़‍िता की मौत की गुत्थी सुलझाने में जांच एजेंसियां जुटी हुई हैं. मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद लोगों में इस बात पर विवाद है कि पीड़ित का रेप हुआ था या नहीं. इसी वजह से गांव के लोग पीड़‍िता और आरोपी दोनों के परिवार का नार्को टेस्ट कराने की मांग करने लगे हैं. गांव के लोगों का कहना है कि इस मामले में सच सामने आना चाहिए, जिससे न दोषी बचें और किसी निर्दोष को सजा मिले. आइए जानते हैं क्या है नार्को टेस्ट…

What is the narco test

बता दें कि नार्को टेस्ट के जरिये किसी अपराधी या संदिग्ध व्यक्ति से सच उगलवाने की पूरी संभावना रहती है. इसके जरिये व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है. कई मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन लगाया जाता है. खून में ये दवा पहुंचते ही व्यक्त‍ि अर्धचेतना की अवस्था में पहुंच जाता है. उस व्यक्त‍ि से अर्धम‍ूर्छित अवस्था में टीम अपने पैटर्न से सवाल करती है.

What is the narco test

कौन करता है ये टेस्ट 

ये टेस्ट फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि की टीम एकसाथ मिलकर करती है. इस दौरान सुस्त अवस्था में सोच रहे व्यक्ति से सवाल-जवाब घटनाक्रम आदि के बारे में पूछा जाता है. इस दौरान व्यक्त‍ि में तर्क क्षमता काफी कम होती है, ऐसे में उससे सच उगलवाने की गुंजाइश बढ़ जाती है.

What is narco test

नार्को जांच से पहले ये टेस्ट जरूरी 

नार्को टेस्ट करने से पहले व्यक्त‍ि का फिजिकल एग्जामिन यानी कि शारीरिक परीक्षण जरूरी होता है. इसमें ये चेक किया जाता है कि अमुक व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित तो नहीं. बुजुर्ग, दिमागी रूप से कमजोर, नाबालिग या गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों में ये टेस्ट एप्लाई नहीं किया जाता है.

What is narco test

व्यक्ति की सेहत, उम्र और जेंडर के आधार पर उसको नार्को टेस्ट की दवाइयां दी जाती है. कई बार दवाई के अधिक डोज के कारण यह टेस्ट फेल भी हो जाता है. इससे व्यक्त‍ि अध‍िक बेहोशी की स्थि‍त‍ि में भी चला जाता है, जिससे वो जवाब देने की स्थ‍ित‍ि में नहीं रहता. इसलिए विशेषज्ञ इस टेस्ट को करने से पहले कई जरुरी सावधानियां बरतते हैं.

What is narco test

अक्सर क्राइम के मामलों में अगर झूठी कहानी बनाई गई होती है तो उसे स्थापित करने के लिए कई और झूठ बोलने पड़ते हैं, जिसमें व्यक्त‍ि को ज्यादा दिमाग लगाना पड़ता है. लेकिन जब दिमाग श‍िथ‍िल होता है तो उससे सच निकलवाना ज्यादा आसान होता है. अक्सर लोग अर्धमूर्छा के दौरान बातों को घुमा-फिरा नहीं पाते हैं. ऐसे में फॉरेंसिक और मनोवैज्ञानिकों की टीम झूठ पकड़ लेती है.

Hathras Gangrape case

व्यक्ति‍ को पहले आसपास की सामान्य चीजें जैसे उसका घर, परिच‍ित चेहरे, फल-फूल आदि दिखाए जाते हैं. इसके बाद उसे उस केस से जुड़ी तस्वीर दिखाई जाती है फिर व्यक्ति की बॉडी को रिएक्शन चेक किया जाता है. ऐसी अवस्था में अगर दिमाग और शरीर कुछ अलग प्रतिक्रिया देता है तो इससे पता चल जाता है कि व्यक्ति उस घटना या केस से जुड़े तथ्य बताएगा .

Hathras Gangrape case

नार्को टेस्ट के लिए कानून क्या कहता है 

बता दें कि साल 2010 में केजी बालाकृष्णन की तीन जजों की खंडपीठ ने कहा था कि जिस व्यक्ति का नार्को टेस्ट या पॉलीग्राफ टेस्ट लिया जाना है उसकी सहमति बहुत जरूरी है. इसीलिए सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी को नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट से अनुमत‍ि लेना जरूरी होता है.

Protest on Hathras Gangrape case

बता दें कि इस पूरे मामले में नार्को टेस्ट कराने की मांग उठा रहे लोगों का आरोप है कि पीड़‍िता के परिवार के लोग जानबूझ कर इस टेस्ट के लिए मना कर रहे हैं. इस घटना पर पूरे देश और सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया था. यही नहीं अभी पूरे मामले को लेकर सियासी संग्राम जारी है. एसआईटी इस मामले की जांच रिपोर्ट आज यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप सकती है.

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