Friday , March 29 2024

फर्जी टीआरपी कांडः दोषी साबित हुए चैनल मालिक तो मिल सकती है इतनी सजा

मुंबई पुलिस ने फेक टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ कर दिया है. मुंबई पुलिस का कहना है कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर टीआरपी खरीद रहे थे. अब इन चैनलों की जांच की जा रही है. इस फेक टीआरपी के खेल में पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिनके खिलाफ भारतीय दंड सहिंता यानी आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत कार्रवाई की जा रही है.

मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया कि पुलिस के खिलाफ प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा था. साथ ही फेक टीआरपी का रैकेट चल रहा था. पैसा देकर आरोपी चैनल फेक टीआरपी का खेल कर रहे थे. आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 2 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. अब आपको बताते हैं कि आरोपियों के खिलाफ जिन धाराओं में कार्रवाई को अंजाम दिया गया है, उसमें कितनी सजा का प्रावधान है.

आईपीसी की धारा 420
फेक टीआरपी का खेल करने वाले आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 420 लगाई गई है. पकड़े गए दोनों लोगों को आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा करने का आरोपी बनाया गया है. अगर कोई भी किसी शख्स को धोखा दे, बेईमानी से किसी भी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दे या ले. या किसी बहुमूल्य वस्तु या उसके एक हिस्से को धोखे से खरीदे-बेचे या उपयोग करे या किसी भी हस्ताक्षरित या मुहरबंद दस्तावेज़ में परिवर्तन करे, या उसे बनाए या उसे नष्ट करे या ऐसा करने के लिए किसी को प्रेरित करे तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के अनुसार दोषी माना जाता है.

सजा का प्रावधान
ऐसे में दोषी पाए जाने पर किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जा सकती है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही दोषी पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है. या फिर दोनों भी. यह एक गैर-जमानती संज्ञेय अपराध है, जिसे किसी भी न्यायाधीश द्वारा सुना जा सकता है. यह अपराध न्यायालय की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है.

आईपीसी की धारा 409
किसी लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता के विश्वास का आपराधिक हनन करने पर भारतयी दंड संहिता की धारा 409 के तहत कार्रवाई की जाती है. आईपीसी की धारा 409 के अनुसार, जो भी कोई लोक सेवक के नाते अथवा बैंक कर्मचारी, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटॉर्नी या अभिकर्ता के रूप में किसी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई भी प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है, उसे दोषी करार दिया जा सकता है.

सजा का प्रावधान
ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जा सकता है. यह एक गैर-जमानती संज्ञेय अपराध है. इस धारा के मामले प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते हैं. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch