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एकनाथ खडसे क्‍यों हुए भाजपा छोड़ने को मजबूर, आखिर क्यों हुई फडणवीस से दुश्मनी? जानिए पूरी कहानी

मुंबई। छह साल पहले शुरू हुई कहानी के क्‍लाईमैक्‍स का आज एकनाथ खडसे के भाजपा छोड़ने के साथ ही अंत हो गया। महाराष्ट्र भाजपा में मुंडे-महाजन की टीम के भरोसेमंद सदस्य रहे एकनाथ खडसे ने भाजपा छोड़ने के बाद कहा कि उन्हें देवेंद्र फड़नवीस के कारण भाजपा छोड़नी पड़ी है। फड़नवीस ने उचित समय आने पर उनके इस आरोप का उत्तर देने की बात कही है। खडसे ने आज एक ओर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल को मात्र डेढ़ पंक्ति की चिट्ठी लिखकर व्यक्तिगत कारणों से भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने की घोषणा की, तो दूसरी ओर राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने शुक्रवार को खडसे के राकांपा में प्रवेश की घोषणा कर दी। शुक्रवार को दोपहर दो बजे खडसे राकांपा में शामिल होंगे। जयंत पाटिल का तो यह भी दावा है कि भाजपा के करीब एक दर्जन विधायक राकांपा में शामिल होना चाहते हैं।

2014 में हुई थी अनबन की शुरुआत 

देवेंद्र फड़नवीस पर लगाए गंभीर आरोप

अब खडसे का आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने उनका राजनीतिक कैरियर चौपट किया। कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना ने कभी उनका इस्तीफा नहीं मांगा था। वह सिर्फ फड़नवीस के कारण ही भाजपा छोड़ने पर बाध्य हो रहे हैं। भाजपा में फूट को देखते हुए सत्तारूढ़ शिवसेना की बांछें खिली हुई हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खड़से के महाविकास आघाड़ी के एक दल में शामिल होने का स्वागत किया है।

बहू रक्षा खडसे अब भी भाजपा की सांसद

खड़से भाजपा भले छोड़ दी हो, लेकिन उनकी बहू रक्षा खडसे अब भी भाजपा की सांसद हैं। खडसे के निर्णय पर खेद जताते हुए रक्षा ने कहा है कि वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने व्यक्तिगत कारणों से भाजपा से त्यागपत्र दिया है। आज का दिन हमारे लिए बहुत दुखदायक है। उनके इस निर्णय से हमारा दल भी दुखी है। रक्षा ने स्वयं भाजपा में ही बने रहने की घोषणा करते हुए कहा कि मैं भाजपा से चुनकर आई हूं।

लोगों ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में मुझे चुना है। इसलिए मैं भाजपा में ही रहूंगी और पार्टी की तरफ से जो जिम्मेदारी दी जाएगी, उसका निर्वाह करती रहूंगी। रक्षा का मानना है कि भाजपा ने नाथा भाऊ को भरपूर अवसर दिए। ये बात वह स्वयं भी मानते हैं। पार्टी को बड़ा करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने जीवन के 40 वर्ष पार्टी को इस मुकाम तक लाने में खपा दिए हैं। ये मानना चाहिए।

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